त्योहारों का सेल्फ़ी ड्रामा
(त्योहार अब दिल से नहीं, डिस्प्ले से मनाए जाते हैं — हम अब त्योहारों से ज़्यादा अपनी तस्वीरें मना रहे हैं।) अब त्योहार पूजा, मिलन और आत्मिक उल्लास का नहीं, बल्कि ‘कंटेंट’ का मौसम बन गए हैं। दीपक की लौ से ज़्यादा रोशनी अब मोबाइल की फ्लैश में दिखती है। भक्ति, व्रत और परंपराएँ अब […]