सत्ता, शहादत और सवाल: जलियांवाला बाग की आज की प्रासंगिकता
जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) केवल ब्रिटिश अत्याचार का प्रतीक नहीं, बल्कि आज के भारत में सत्ता और लोकतंत्र के बीच जटिल रिश्ते का प्रतिबिंब भी है। जनरल डायर द्वारा किए गए नरसंहार ने स्वतंत्रता संग्राम को दिशा दी, लेकिन यह भी सिखाया कि जब सत्ता निरंकुश हो जाए और जनता मौन, तो इतिहास रक्त से […]

