वहीं खड़ी है द्रौपदी
चीरहरण को देख कर, दरबारी सब मौन।प्रश्न करे अँधराज पर, विदुर बने वह कौन॥ राम राज के नाम पर, कैसे हुए सुधार।घर-घर दुःशासन खड़े, रावण है हर द्वार॥ कदम-कदम पर हैं खड़े, लपलप करें सियार।जाये तो जाये कहाँ, हर बेटी लाचार॥ बची कहाँ है आजकल, लाज-धर्म की डोर।पल-पल लुटती बेटियाँ, कैसा कलयुग घोर॥ वक्त बदलता […]