चले हुए कारतूसों और उधार के उम्मीदवारों के भरोसे चुनाव में उतरी भाजपा : कांग्रेस का आधिकारिक बयान
भारतीय जनता पार्टी की 67 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी होने के बाद कांग्रेस ने अपना आधिकारिक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने कहा है की चले हुए कारतूसों और उधर के उम्मीदवारों के भरोसे चुनाव में उतरने जा रही है भारतीय जनता पार्टी । कांग्रेस का आधिकारिक बयान जारी करते हुए कांग्रेस के मीडिया प्रभारी चांद वीर हुड्डा ने मीडिया को जारी बयान में बताया
बीजेपी की पहली लिस्ट देखकर तो ऐसा लग रहा है कि उसने मानो चुनाव से पहले ही आत्मसमर्पण कर दिया है। यहां-वहां से उम्मीदवारों को इकट्ठा करके और चले हुए कारतूसों को टिकट देने के बावजूद भाजपा अब तक 67 उम्मीदवारों का ही ऐलान कर पाई है। जबकि कम से कम 5 दिनों से मीडिया में कहा जा रहा था कि सभी 90 नामों पर मुहर लग चुकी है।
सबसे पहले लिस्ट में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का नाम है। वो खुद ना तो अपनी मौजूदा करनाल सीट से चुनाव लड़ने की हिम्मत कर पाए और ना ही पुरानी नारायणगढ़ सीट से चुनाव मैदान में उतारने का हौसला जुटा पाए। लिस्ट में दूसरा नाम शक्ति रानी शर्मा का है, जो मुश्किल से 2 दिन पहले ही बीजेपी में शामिल हुईं और लतिका शर्मा का टिकट काटकर उन्हें भाजपा में उम्मीदवार बना दिया गया। तीसरा नाम पंचकूला से ज्ञानचंद गुप्ता का है, जो बीजेपी के 70 पार वाले फार्मूल के तहत मार्गदर्शक मंडल में होने चाहिए थे। लेकिन उम्मीदवारों के अभाव में लगभग 80 साल के हो चुके ज्ञानचंद गुप्ता को ही मैदान में उतरना पड़ा है।
पूरी तरह हाशिए पर धकेला जा चुके अनिल विज का नाम भी लिस्ट में चौथे नंबर पर है। शाहाबाद से पूर्व मंत्री और मनोहर लाल के खासमखास कृष्ण बेदी भी अपने विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं कर पाए हैं। उनकी जगह सुभाष कलसाना को टिकट दिया गया है। इसराना में भी बीजेपी को कोई उम्मीदवार नहीं मिला। इसलिए राज्यसभा सांसद कृष्ण लाल पंवार को मैदान में उतरना पड़ा। सोनीपत से निखिल मदन को टिकट दी गई है, जो चंद दिन पहले ही कांग्रेस से बीजेपी में आए हैं। वहां पर पार्टी ने अपने पुराने नेताओं जैन दंपति को हाशिए पर धकेल दिया और एक कांग्रेसी पर मेहबानी दिखाई।
गोहाना से अरविंद शर्मा को मैदान में उतर गया है, जहां से बीजेपी के योगेश्वर दत्त लंबे समय से तैयारी कर रहे थे। योगेश्वर दत्त के समर्थकों ने पहले ही अरविंद शर्मा का विरोध शुरू कर दिया था। सफीदों से रामकुमार गौतम को उतारा गया है, जो 2 दिन पहले ही जेजेपी छोड़कर बीजेपी में आए हैं। रामकुमार गौतम खुद की नारनौंद सीट पर चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं कर पाए।
टोहाना से देवेंद्र बबली को उतारा गया है, जो पहले कांग्रेस की टिकट के लिए मिन्नतें कर रहे थे। असल में तो दादा गौतम हो, बबली हो या अनूप धानक, सभी पहले कांग्रेस में टिकट की ट्राई कर रहे थे। लेकिन जब कांग्रेस ने इनको इनकार कर दिया तो बीजेपी ने हाथों-हाथ टिकट दे दी। जेजेपी से दो दिन पहले आए अनूप धानक को उकलाना से टिकट दे दी गई है।
नारनौंद से अपनी टिकट बदलने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे कैप्टन अभिमन्यु को आखिरकार मजबूरी में नारनौंद से ही उतारना पड़ा है। नलवा से विधायक रणबीर गंगवा को बीजेपी नलवा से चुनाव लड़वाने की हिम्मत नहीं कर पाई और उन्हें बरवाला भेज दिया गया। चंद महीने पहले ही कांग्रेस से आए रणधीर पनिहार को नलवा से टिकट दे दी गई।
दादरी से भी एक दिन पहले पार्टी में आए सुनील सांगवान को टिकट दे दी गई। उनके पिता भी कांग्रेस से टिकट के लिए संघर्ष कर रहे थे। तोशाम में भी परिवारवाद पर करारा हमला करते हुए बीजेपी ने चंद दिन पहले ही पार्टी में आई श्रुति चौधरी को अपना उम्मीदवार बना दिया है। चंद दिन पहले ही बीजेपी में आए दीपक हुड्डा को महम से बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है, जो मूल रूप से किलोई हलके के रहने वाले हैं।
किलोई से जब सतीश नांदल ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया तो मंजू हुड्डा को उम्मीदवार बनाया गया है। कलानौर की उम्मीदवार रेनू डाबला भी पूर्व कांग्रेसी हैं। बदली से टिकट बदलने की कोशिशों में लगे ओमप्रकाश धनखड़ को भी पुराने कारतूस के रूप में आखिरकार बादली में ही चलाने का फैसला हुआ है। जबकि संजय कबलाना बदली से टिकट मांग रहे थे, उन्हें बरी से उतार दिया गया है।
अटेली से आरती राव को टिकट देकर भी बीजेपी ने परिवारवाद पर गहरी चोट की है। कोसली से बीजेपी अपने मौजूदा विधायक को टिकट देने की हिम्मत नहीं कर पाई और लक्ष्मण सिंह यादव को रेवाड़ी से उम्मीदवार बना दिया।
कुल मिलाकर, बीजेपी की पहली लिस्ट देखकर लगता है कि उसने जीतने या मुकाबला करने की उम्मीद ही छोड़ दी है। अगर दूसरे दलों से आने वाले नेताओं को कांग्रेस आश्रय दे देती या कांग्रेस व जेजेपी से आने वाले नेताओं को बीजेपी टिकट नहीं देती तो 90 उम्मीदवार तो छोड़िए बीजेपी के 67 उम्मीदवारों की लिस्ट भी आधी हो जाती।
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