माननीय बनने की संभावनाओं की “किरण” : दूसरे दलों से भाजपा में आऔ और ” माननीय ” बन जाओ
हरियाणा की राज्यसभा सीट के लिए भारतीय जनता पार्टी की नेत्री ( 4 महीने पहले कांग्रेस में थी और तब पानी पी पीकर भाजपा को कोसती थी ) किरण चौधरी ने नामांकन कर दिया है और उनकी जीत निश्चित मानी जा रही है । क्योंकि राज्यसभा के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवार उतारने से मना कर दिया है और इसके अलावा विपक्ष के पास राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए बहुमत नहीं है ।
और न सिर्फ किरण चौधरी ही बल्कि राजस्थान से राज्यसभा के लिए पंजाब कांग्रेस के रास्ते भाजपा में आए रवनीत सिंह बिट्टू भी राज्यसभा में जा रहे हैं । रवनीत सिंह बिट्टू ने लोकसभा का भी चुनाव लड़ा था परंतु वहां पर उन्हें पराजय मिली थी । आपको बता दे रवनीत सिंह बिट्टू भी लगभग 4 महीने पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं और अब राज्यसभा के लिए भाजपा उनको राजस्थान के रास्ते माननीय बनाने जा रही है ।
क्या बीजेपी का यही संदेश दूसरे दलों से भाजपा में आओ और माननीय बन जाओ
पिछले काफी समय से भारतीय जनता पार्टी लगातार अन्य दलों से आने वाले लोगों को माननीय बनती जा रही है । किरण चौधरी और रवनीत सिंह बिट्टू पहले व्यक्ति नहीं है जो कांग्रेस या किसी अन्य दल से आकर माननीय बने हैं या फिर भाजपा में किसी बड़े पद पर आसीन हुए हैं इसके पहले एक लंबी लिस्ट है । असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा पहले कांग्रेस में हुआ करते थे पर भाजपा में आते ही अब वह असम के मुख्यमंत्री हैं । महाराष्ट्र में अजीत पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी छोड़कर आने के बाद भाजपा में माननीय की भूमिका में है क्योंकि उन्होंने शिंदे सरकार बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था । पंजाब के वर्तमान भाजपा अध्यक्ष लगभग 35 साल कांग्रेस में रह चुके हैं और भाजपा में आने के कुछ ही महीनो के अंदर उन्हें भारतीय जनता पार्टी पंजाब के मुखिया के तौर पर जिम्मेदारी दी गई । यह तो चंद नाम है, बहुत लंबी लिस्ट है जो अन्य दलों से भाजपा में आए और माननीय बन गए ।
क्या पहले ही हो जाती है डील की माननीय बनाएंगे ?
राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा अक्सर होती रहती है कि किसी दूसरे दल से भाजपा में दामन थामने के पहले ही एक अघोषित डील हो जाती है की भाजपा सरकार में शामिल होते ही या समर्थन देते ही अगले कुछ महीनो के अंदर आपको महत्वपूर्ण पद पर बैठा दिया जाएगा ।
भाजपा कार्यकर्ताओं में दिख रहा असंतोष
दूसरे दलों से आए लोगों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलने से भाजपा कार्यकर्ताओं में कहीं ना कहीं मन में असंतोष नजर आ रहा है पर यह अलग बात है कि वह कैमरे के सामने खुलकर कुछ नहीं कह पाते । उसमें भी सबकी अलग-अलग मजबूरियां है किसी के पास सरकारी टेंडर है तो किसी के बाल बच्चे ” सरकारी मदद “ पर पल रहे होते हैं ।
भाजपा कार्यकर्ता भी सोच रहे कांग्रेस में जाकर के वापस भाजपा आने की
खबरी प्रशाद के संवाददाता ने कई दशक पुराने भाजपा कार्यकर्ताओं से जब बात की तो उनका दर्द छलक आया । उन्होंने हंसी मजाक ( अपने दर्द को छुपाते हुए ) के तौर पर खबरी प्रशाद के संवाददाता से कहा कि अब तो हम भी सोच रहे हैं कि त्यागपत्र देकर कुछ दिन किसी दूसरे दल में चले जाते हैं और उसके बाद वापस भाजपा में आ जाएंगे और कहीं ना कहीं कोई ना कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल जाएगी । एक पुराने भाजपा कार्यकर्ता ने कहा कि जैसे कॉरपोरेट वर्ल्ड में होता है किसी को अपनी सैलरी बड़वानी होती है तो पुरानी कंपनी छोड़कर के नई कंपनी में चला जाता है वहां उसकी तनख्वाह बढ़ जाती है और साल 2 साल के बाद में वापस पुरानी कंपनी में आ जाता है और तनख्वाह फिर बढ़ जाती है । तो लगता है हमें भी ऐसा ही करना पड़ेगा यहां से छोड़कर किसी दूसरे दल में जाएंगे वहां कुछ बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी और फिर वापस भाजपा में आ जाएंगे तो उसे बड़ी जिम्मेदारी के साथ आएंगे ।
अगर देखा जाए तो यही सच है वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी का सिस्टम बिल्कुल पूरी तरीके से कॉरपोरेट कल्चर की तरीके से चल रहा है । पुराने कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दूसरे दलों से आए हुए लोगों को जिस तरीके से माननीय बनाया जा रहा है या बड़ी जिम्मेदारियां दी जा रही हैं । कह सकते हैं कि ज्वालामुखी अंदर ही अंदर पनप रहा है इसका विस्फोट कब होगा किस दिन होगा और किसी वक्त होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है ।
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