यह है गुरुग्राम : कमर तक पानी और सड़कों पर जाम !
गुरुग्राम की दुर्दशा पर भड़के दीपेन्द्र हुड्डा, बोले- 11 साल की भाजपा सरकार ने मिलेनियम सिटी को बना दिया ‘सिंक सिटी’
कांग्रेस सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा ने भाजपा सरकार पर गुरुग्राम की अनदेखी का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि 11 साल में जिस गुरुग्राम को कांग्रेस ने मिलेनियम सिटी के तौर पर विकसित किया था, उसे भाजपा ने ‘सिंक सिटी’ और ‘कूड़ाग्राम’ बना दिया है। उन्होंने कहा कि आज गुरुग्राम वायु और जल प्रदूषण से लेकर जलभराव, सीवरेज, ट्रैफिक जाम, टूटी सड़कों और गंदगी जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है।


हुड्डा ने कहा कि संसद में जब उन्होंने गुरुग्राम की स्थिति पर सवाल उठाया था तो तत्कालीन शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दावा किया था कि शहर में कोई बड़ी समस्या नहीं है। “लेकिन सच्चाई सबके सामने है, हर साल बारिश में यहां जलभराव से लोगों का जीवन ठप हो जाता है। इस बार भी 9 लोगों की मौत हो चुकी है। विदेशी नागरिकों को तक सड़कों पर सफाई करनी पड़ी, जो सरकार के लिए शर्मनाक है।”
सांसद ने बताया कि संसद में पेश आंकड़ों के मुताबिक पिछले 5 वर्षों में गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (GMDA) ने 3,602 करोड़ रुपये खर्च किए, फिर भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। नगर निगमों पर भ्रष्टाचार और सफाई घोटालों के आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि “नालियां साफ नहीं हुईं, बजट साफ हो गया।”
दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान गुरुग्राम को मेट्रो, रैपिड मेट्रो, ईएसआई अस्पताल, गोल्फ कोर्स रोड और वर्ल्ड क्लास आईएमटी जैसी सौगातें मिली थीं, लेकिन भाजपा सरकार ने कोई नई बड़ी परियोजना शुरू नहीं की। “आज हालत ये है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां यहां से शिफ्ट होने की सोच रही हैं। किसानों की हजारों एकड़ जमीन जलभराव से डूबी पड़ी है और सरकार आंखें मूंदे बैठी है।”
उन्होंने मांग की कि सरकार तुरंत गुरुग्राम की मूलभूत समस्याओं का स्थायी समाधान करे, अन्यथा जनता इसका जवाब चुनाव में देगी।
गुरुग्राम में मूसलाधार बारिश से हालात बिगड़े, 54 साल बाद फिर टूटा कादरपुर बांध
गुरुग्राम। लगातार हो रही भारी बारिश ने सोमवार को शहर को थमा दिया। जगह-जगह जलभराव से सड़कें तालाब जैसी हो गईं और हजारों गाड़ियां घंटों तक जाम में फंसी रहीं। सबसे बड़ी समस्या तब खड़ी हुई जब अरावली से सटे कादरपुर गांव का पुराना बांध टूट गया। यही बांध 54 साल पहले 1971 में टूटा था, जिससे गुरुग्राम में तबाही मच गई थी। अब इतिहास खुद को दोहराता दिख रहा है।
बांध टूटने से आसपास के करीब आधा दर्जन गांवों में दो से पांच फीट तक पानी भर गया है। कॉलोनियों और घरों में पानी घुस गया है, जिससे लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एनएच-48 और सर्विस लेन पर चार किलोमीटर लंबा जाम लग गया। प्रशासन ने हालात को देखते हुए कंपनियों को कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम देने और स्कूलों को ऑनलाइन कक्षाएं चलाने का निर्देश जारी किया है।
डिप्टी कमिश्नर अजय कुमार ने बताया कि हालात पर काबू पाने के लिए पांच हजार पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। हर 10 मीटर पर एक पुलिसकर्मी ड्यूटी पर रहेगा ताकि यातायात व्यवस्था संभाली जा सके। जिला आपदा प्रबंधन की टीमें अलर्ट मोड पर हैं और बाढ़ नियंत्रण कार्यालय को चौबीसों घंटे चालू रखा गया है।
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है। 1 सितंबर को ही अनुमान से ज्यादा बारिश दर्ज की गई और 5 सितंबर तक भारी बारिश का अलर्ट जारी है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि बिना जरूरी काम के घर से बाहर न निकलें।
गुरुग्राम इस वक्त जलभराव, जाम और बाढ़ जैसी स्थिति से जूझ रहा है, और आने वाले दिनों में हालात और चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।
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