बांग्लादेश संकट पर केंद्र की चौकस नजर: शेख हसीना की भारत में शरण, राहुल गांधी के सवालों पर जयशंकर का जवाब
बांग्लादेश संकट: शेख हसीना ने भारत में ली शरण, सर्वदलीय बैठक में जयशंकर ने दी जानकारी
बांग्लादेश में चल रहे गंभीर राजनीतिक संकट और हिंसक प्रदर्शनों के बीच भारत सरकार की चिंता और सक्रियता बढ़ गई है। 6 अगस्त को इस मुद्दे पर संसद भवन में एक सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें प्रमुख दलों के नेताओं को बांग्लादेश की स्थिति पर ब्रीफ किया गया। इस बैठक की अध्यक्षता विदेश मंत्री एस जयशंकर ने की, जिन्होंने विभिन्न दलों के नेताओं को बांग्लादेश में हो रहे घटनाक्रम और भारत सरकार की प्रतिक्रिया के बारे में जानकारी दी।
बांग्लादेश में क्या हो रहा है?
बांग्लादेश में पिछले दो महीनों से छात्र नेतृत्व वाले विरोध-प्रदर्शन उग्र होते जा रहे हैं। प्रदर्शनकारी बांग्लादेश सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण की नीति के विरोध में सड़कों पर उतरे हुए हैं, जिसमें स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों के परिवारों के लिए आरक्षण का प्रावधान है। यह आंदोलन धीरे-धीरे हिंसक रूप ले चुका है और देश भर में तनाव का माहौल बना हुआ है।
हिंसा के चलते रविवार (5 अगस्त) को देशभर में बड़े पैमाने पर झड़पें हुईं, जिसमें 100 से अधिक लोगों की मौत और 1,000 से ज्यादा लोग घायल हो गए। सरकार की ओर से स्थिति को संभालने की कोशिशें नाकाम रहीं, जिसके बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया और सुरक्षा कारणों से भारत में शरण ली। वर्तमान में हसीना गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर स्थित सेफ हाउस में ठहरी हुई हैं।
सर्वदलीय बैठक: राहुल गांधी के सवाल और जयशंकर का जवाब
सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार से तीन बड़े सवाल पूछे। उन्होंने सबसे पहले सवाल किया कि क्या बांग्लादेश में जारी हिंसा के पीछे पाकिस्तान का हाथ हो सकता है? राहुल गांधी ने कहा, “क्या भारत सरकार के पास ऐसे संकेत हैं कि बांग्लादेशी हिंसा को विदेशी ताकतों द्वारा उकसाया जा रहा है?” इस पर विदेश मंत्री जयशंकर ने जवाब दिया कि पाकिस्तान के एक डिप्लोमेट द्वारा हिंसा की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई हैं, और इस एंगल की जांच की जा रही है।
राहुल गांधी ने फिर पूछा, “क्या भारत सरकार को बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति का अंदेशा पहले से था?” इस पर जयशंकर ने बताया कि भारत लगातार बांग्लादेश की स्थिति पर नजर रख रहा था और समय-समय पर अपने नागरिकों को एडवाइजरी जारी की थी। उन्होंने कहा कि इस तरह की स्थितियों में तुरंत प्रतिक्रिया देना जरूरी होता है और सरकार ने अपने सभी कदम पूरी तैयारी के साथ उठाए हैं।
तीसरे सवाल के रूप में राहुल ने पूछा कि, “बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के असर से निपटने के लिए भारत सरकार की शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म रणनीति क्या है?” जयशंकर ने जवाब में कहा कि बांग्लादेश में तेजी से बदलते हालात को देखते हुए सरकार ने अपनी रणनीति तैयार की है। शॉर्ट टर्म में सरकार का फोकस वहां फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा पर है, जबकि लॉन्ग टर्म में सरकार बांग्लादेश के साथ राजनीतिक और कूटनीतिक संबंधों को स्थिर रखने की दिशा में काम कर रही है।
जयशंकर ने यह भी बताया कि शेख हसीना इस वक्त सदमे में हैं और उन्होंने फिलहाल अपने आगे के कदम के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है। भारत सरकार उन्हें हर संभव सहायता प्रदान कर रही है और उन्हें स्थिति का विश्लेषण करने और अगला कदम उठाने के लिए समय दिया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, हसीना ने लंदन या फिनलैंड जाने के संकेत दिए हैं, लेकिन अभी कुछ भी तय नहीं हुआ है।
भारतीय नागरिकों की सुरक्षा पर ध्यान
बैठक में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा का मुद्दा भी महत्वपूर्ण रूप से उठाया गया। जयशंकर ने जानकारी दी कि बांग्लादेश में लगभग 20,000 भारतीय नागरिक थे, जिनमें से 8,000 लोग वापस लौट चुके हैं। अभी भी करीब 10,000 भारतीय नागरिक, जिनमें ज्यादातर छात्र हैं, बांग्लादेश में फंसे हुए हैं। भारत सरकार उनके सुरक्षित निकास के लिए बांग्लादेश के सेना प्रमुख से लगातार संपर्क में है और हाई कमीशन भी सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
सरकार की रणनीति और आगे की राह
सरकार का ध्यान अब बांग्लादेश में फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी के साथ-साथ वहां की स्थिति के दीर्घकालिक प्रभावों पर भी है। बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू समेत कई बड़े नेताओं ने भाग लिया। सभी दलों ने इस मामले में सरकार को पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया।
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह बांग्लादेश की स्थिति पर बारीकी से नजर रखे हुए है और जैसे-जैसे हालात बदलेंगे, वैसे-वैसे अपनी रणनीति में भी बदलाव करेगी। इस संकट का प्रभाव न केवल बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति पर पड़ेगा, बल्कि भारत-बांग्लादेश संबंधों पर भी इसका दीर्घकालिक असर हो सकता है।
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