कविता : अगर कहीं मिले तुमसे हरि
अगर कहीं मिले तुमसे हरि,तो कहना उनसे खरी-खरी।यहाँ महंगाई सर पर है चढ़ी,जनता गुस्से में है लाल-पीली!जीना मुश्किल यहां हर घड़ी। अगर कहीं मिले तुमसे हरि,तो कहना उनसे खरी-खरी।किसको किसी की नहीं पड़ी,मोबाइल में दुनिया घुसी पड़ी!दिन का चैन व रात भी ले उड़ी। अगर कहीं मिले तुमसे हरि,तो कहना उनसे खरी-खरी।सरकार है आंखें मूंदे […]