जलते पुतले, बढ़ते रावण: दशहरे का बदलता अर्थ
“पुतलों का दहन नहीं, मन और समाज के भीतर छिपी बुराइयों का संहार ही दशहरे का असली संदेश है।” दशहरे पर रावण के पुतले जलाना केवल परंपरा नहीं, बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। लेकिन आज पुतले केवल मनोरंजन बनकर रह गए हैं, जबकि समाज में अहंकार, हिंसा, वासना और अन्य बुराइयाँ […]

