वाजपेई जी आप अब तक कुंवारे क्यों है ?पत्रकारों के इस सवाल पर वाजपेई ने क्या कहा ?
आज पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई की 99वीं जयंती है । राजघाट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा , स्पीकर ओम बिरला ,भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सहित तमाम भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता एवं नेता अटल बिहारी वाजपेई को श्रद्धांजलि देने पहुंचे । वही लगभग सभी भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में आज सुशासन दिवस मनाया जा रहा है । अटल बिहारी वाजपेई उन चंद नेताओं में शामिल है जिनके सभी राजनीतिक दलों में अच्छे और मधुर संबंध हुआ करते थे । कई बार अटल बिहारी वाजपेई मजाक मजाक में पत्रकारों को भी निरूतर कर देते थे ऐसा ही एक वाकया उनकी शादी से जुड़ा हुआ भी है जब पत्रकारों ने वाजपेई से शादी को लेकर सवाल पूछा था ।
वाजपेई जी आप अभी तक कुंवारे क्यों हैं ?
हाजिर जवाब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई से एक बार पत्रकारों ने उनकी शादी के संबंध में सवाल पूछा था । सवाल था बाजपेई जी आप अब तक कुंवारे क्यों हैं ? हाजिर जवाब बाजपेई का जवाब था “आदर्श पत्नी की खोज में ” इस पत्रकार ने पलट कर दूसरा सवाल पूछा ” तो क्या वह मिली नहीं ” तो वाजपेई भी कहां चुप रहने वाले थे उन्होंने भी तत्काल मुस्कुराते हुए जवाब दिया ” मिली तो थी लेकिन उसे भी आदर्श पति की तलाश थी ” ।
सदन में उनके भाषण को सुनने के लिए विपक्ष भी लालायित रहता था
अटल बिहारी वाजपेई जब सदन में भाषण दिया करते थे पूरा सदन यहां तक की विपक्ष के सदस्य भी उनके एक-एक शब्द को ध्यान से सुनते थे । कई बार विपक्षी सदस्यों के साथ नोक झोंक भी हुआ करती थी मगर यह नोक झोंक भी हंसते-हंसते खत्म हो जाती थी । लालू प्रसाद यादव का वह किस्सा कैसे भूल जा सकता है जब विपक्ष में रहते हुए लालू प्रसाद यादव ने कहा था । अब तो कुर्सी छोड़ दो ,, दो दो बार प्रधानमंत्री बन गए हो तब अटल जी के साथ-साथ पूरा सदन हंसते-हंसते लोटपोट हो गया था ।
वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी थी राजधर्म की सलाह
2002 में जब गुजरात दंगे हुए थे तब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी हुआ करते थे । दंगों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने नरेंद्र मोदी को राजधर्म अपनाने की सलाह दी थी । गौरतलब है कि गुजरात दंगों में हिंदुओं और मुसलमान दोनों ही समुदायों का नुकसान हुआ था और यह सलाह अटल बिहारी वाजपेई की तरफ से एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान तब के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को दी गई थी ।
एक वोट से गिर गई थी वाजपेई की सरकार
एक वह राजनीति का दौर था जब अटल बिहारी वाजपेई ने राजनीति से समझौता नहीं किया था । और एक आज का दौर है जब सत्ता के लोलूप राजनेता सत्ता के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं । 1996 में पहली बार विभिन्न दलों को लेकर सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी की अटल सरकार मात्र एक वोट से सदन में अविश्वास प्रस्ताव हार गई थी । तब अटल बिहारी वाजपेई ने कहा था की सत्ता हमारे लिए देश सेवा का माध्यम है , विलासिता का नहीं ।
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