अशोक तंवर की कांग्रेस में जाने की पूरी पटकथा
चुनाव से 36 घंटे पहले आख़िर क्यों कांग्रेस अशोक तंवर को लेकर आई?
कांग्रेस अंदरखाने इसके तीन प्रमुख कारण बताये जा रहे हैं-
1- हुड्डा गुट द्वारा लगातार उपेक्षा से शैलजा इतनी अधिक आहत हैं कि उनको मनाने के कोई उपाय काम नहीं आये। राहुल गांधी ने एक मंच पर हुड्डा और शैलजा का हाथ मिलवाया लेकिन बात नहीं बनी। शैलजा ने हाथ तो मिला लिया लेकिन मन उनका नहीं मिला। अगले ही दिन उन्होंने हुड्डा से अपनी बातचीत बंद होने का बयान दे दिया। कांग्रेस सूत्र बताते हैं यह राहुल गांधी को पसंद नहीं आई। उन्होंने उस बयान के बाद ही हुड्डा से तंवर को लाने और शैलजा को किनारे रखने की बात शुरू की। इसमें कड़ी बने अजय माकन और तंवर कांग्रेस के हो गये।
2- तंवर और हुड्डा का रिश्ता बेहद ख़राब है। इसके बावजूद हुड्डा तंवर को लाने पर इसलिए राज़ी हुए क्योंकि उन्हें आभास हो गया कि शैलजा की नाराज़गी कांग्रेस पर भारी पड़ रही। दलित कांग्रेस टूट रहे हैं। ऐसे में दलित विरोधी नैरेटिव को कम करने के लिए तंवर को लाने पर हुड्डा सहमत हुए।
3- सबको पता है कि अशोक तंवर का दलितों में शैलजा की तरह असर नहीं है। हुड्डा के लिए बड़ा शत्रु शैलजा हैं न कि अशोक तंवर। इसलिए बड़े शत्रु को निपटाने के लिए छोटे शत्रु से हुड्डा ने परहेज़ नहीं किया। शैलजा से नाराज़ राहुल गांधी और हुड्डा एक हो गये और शैलजा आउट हुईं और तंवर अंदर आये।
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