अजमेर सेक्स स्कैंडल : 32 साल बाद आरोपियों को मिली सजा
मुंबई में ट्यूशन टीचर ने ट्यूशन पढ़ने आने वाली लड़कियों के साथ किया यौन शोषण
न्याय मिलने में देरी की वजह से रेप और बलात्कार के मामले बढ़ रहे जबकि कठोर कानून मौजूद
100 से भी अधिक लड़कियों के साथ हुआ बलात्कार, हर जगह बेटियां है दरिंदगी का शिकार !
देश भर में ऐसे समय जहां दुष्कर्म को लेकर आंदोलन चल रहा है, वहीं अब 1992 में दिल दहलानेवाली अजमेर रेप कांड में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया दिया है। 100 लड़कियों के साथ दुष्कर्म करने वाले 6 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। जिसके साथ ही उन पर पांच-पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।
दिल्ली प्रेरणा ढिंगरा
कोलकाता कांड के बाद हर किसी में बलात्कार को आक्रोश नजर आ रहा है। हर कोई सड़कों पर उत्तर आया है और सोशल मीडिया पर भी लोग महिलाओं की सुरक्षा के ऊपर सवाल उठाने लगे हैं। जनता का कहना है कि रक्षाबंधन का असली मतलब ही क्या रह गया जब देश की बेटियां ही देश में सुरक्षित नहीं है। ऐसी स्थिति में कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुना दिया है। 32 साल बाद अजमेर रेप कांड को लेकर आरोपियों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास के लिए भेज दिया है। बता दें कि ब्लैकमेल कांड में शामिल आरोपी नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ टार्जन, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, सोहेल गनी और सैयद जमीर हुसैन हैं। एक आरोपी इकबाल भाटी को एम्बुलेंस से दिल्ली से अजमेर लाया गया था। इन 6 आरोपियों पर 23 जून 2001 को चार्जशीट पेश हुई थी और इसी साल जुलाई में सुनवाई पूरी हुई थी।
जानिए पूरा मामला क्या है
दरअसल, अजमेर के एक गैंग ने 1992 में स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली करीब 250 लड़कियों की नग्न तस्वीरें हासिल की। फिर उन तस्वीरों को लीक करने की धमकी देकर सबसे अधिक लड़कियों के साथ बलात्कार किया। इस पूरे स्कैंडल का मास्टर माइंड तत्कालीन अजमेर यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष फारूक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती था। लोगों ने पहले एक छात्रों को बहला फुसलाकर फार्म हाउस पर बुलाया, इसके बाद अजमेर शहर के एक प्रतिष्ठित कॉलेज की कई छात्राओं को इन दरिंदों ने अपना निशाना बनाया था।
धीरे-धीरे दरिंदगी की हद बढ़ गई और वह लड़कियों से अपनी सहेलियों को भी साथ लाने के लिए कहा करते थे।
अपनी तस्वीर लीक होने के डर से मजबूर लड़कियां उनके जाल में फंस जाती। 1 से 2, 2 से 3 और 3 से 4 लड़कियां बढ़ती गई, पर आरोपियों की भूख रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। इस पूरे मामले में 18 आरोपी थे, जिनमें से 9 को पहले ही सजा हो चुकी है। मामले का खुलासा होने से पहले कुछ लड़कियां हिम्मत जुटा कर पुलिस के पास भी गईं थी मगर वहां भी उनका साथ किसी ने नहीं दिया और पुलिस ने केवल बयान दर्ज कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। दूसरी तरफ आरोपियों ने बयान देने वाली लड़कियों को धमकाना शुरू कर दिया डर के मारे लड़कियों ने चुप्पी बनाए रखी। एक तो आरोपियों का खुले आम घूमना उन लड़कियों को और ज्यादा डरने लगा। हालांकि, बाद में 18 पीड़िताओं ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में बयान भी दे दिया।
मुंबई में हुई शर्मनाक घटना आई सामने
दुष्कर्म के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। ट्यूशन टीचर ने कथित तौर पर एक नाबालिग को अश्लील वीडियो दिखाकर उसका यौन उत्पीड़न किया। फिलहाल, मुंबई पुलिस मामले की जांच कर रही है। आरोपी ने 14 वर्षीय छात्रा को मोबाइल फोन पर अश्लील वीडियो दिखाकर उसके साथ घिनौनी हरकत की।
हालांकि, धारावी पुलिस ने आरोपी ट्यूशन टीचर मैतारी अशन्ना (उम्र 34) के खिलाफ मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है, मगर इस मामले को लेकर भी लोगों में गुस्सा दिखाई दे रहा है।
चाहे घर हो, बाहर सड़क, स्कूल, ऑफिस या ट्यूशन महिलाएं और बेटियां कहीं पर भी सुरक्षित नजर नहीं आ रही है। आरोपी ने 21 जुलाई के दिन घटना को अनजाम दिया। 14 साल के एक छात्रा के दोनों हाथ चादर से बांधकर उसके साथ दरिंदगी करी। लड़की को इसके बाद मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा पर घटना के बाद लड़की ने खामोशी को ही अपनाना सही समझा। बदनामी का डर बच्ची को इतना सता रहा था कि वह किसी से भी इस घटना के बारे में जिक्र नहीं कर पाई। पूरा मामला तब सामने आया जब परिजनों ने लड़की की हालत देखी और उन्होंने ही पुलिस स्टेशन में जाकर शिकायत दर्ज करवाई।
बात तो अभी भी वही की वही है, बेटियां अपने ही घर में सुरक्षित नहीं है। इन सब मामलों को देखकर एक और बात सामने आती है कि कोई भी इंसान इतनी दरिंगदी तक कैसे पहुंच सकता है? जैसे कि अजमेर कांड में कोर्ट का फैसला सुनाने में 30 साल से भी अधिक लग गए, अब ऐसी स्थिति में लोगों की मानसिकता ऐसी बन गई है कि वह कोई भी अपराध करेंगे और आसानी से बच जाएंगे। मुंबई हादसे में लड़की के डर का जिक्र हुआ है, अक्सर महिलाएं और बच्चियों डर जाती है जब उनके साथ किसी तरीके का जुल्म हो, जिससे आरोपियों को बढ़ावा मिलता है। इन सब बातों के चलते किसकी लापरवाही मानी जाए? क्या हो जब सुरक्षा करने वाले ही वस्त्र उतारने पर तुले हो? हम सब लोग एजुकेशन को एक हथियार समझते हैं। कई बार यह भी माना जाता है कि शिक्षा लोगों की मानसिकता बदल सकती है और बलात्कार को कम कर सकती है। पर मुंबई में गुरु ने ही यौन उत्पीड़न किया, अब ऐसे में कोई भी लड़की किसके पास जाए और अगर इंसाफ मांगने के लिए कोर्ट का भी दरवाजा घटघटाए है तो उसमें समय कितना लगेगा?
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