एयर इंडिया हादसा : दो डाक्टरों ने लिखा सीजेआई को खत – लें स्वत: संज्ञान
विमान हादसे में यात्रियों की मौत के साथ ही हुई है देशवासियों के भरोसे की भी मौत
खरी-खरी (सवाल उठाते हैं पालकी नहीं)
Ai 171 विमान दुर्घटना में केवल यात्रियों और संयोगवश चपेट में आये रिहायशी क्षेत्र के लोगों भर की मौत नहीं हुई है। इससे देश और विदेश के करोड़ों नागरिकों के भरोसे की, उनके विश्वास की मौत भी हुई। भारत सरकार, उनकी ऐजेंसियों पर यकीन रखने वालों को दिली आघात लगा है। दुर्घटना को लेकर लोगों के अपने अलग – अलग आंकलन हो सकते हैं। देश की सरकार का चरण चुंबन करने वाले मीडिया का अलग आंकलन हो सकता है। दुर्घटना को साजिश के आईने से भी देखने की कोशिश हो सकती है। फ्लाइट विशेषज्ञों की माने तो उनके अनुसार विमान दुर्घटना का कोई एक कारण नहीं होता है बल्कि कई कारणों की एक ऐसी कड़ी सी बन जाती है जिससे दुर्घटना होती है। विमान उडाने की प्रक्रिया और उसके विज्ञान में हजारों खूबियों और कामयाबियों के बीच कुछ चूक भी हो सकती है। एक तंत्र की मजबूती दूसरे तंत्र की कमजोरी को हावी होने रोक लेती है, दुर्घटना से बचा लेती है मगर कभी – कभी ऐसा भी होता है कि अलग – अलग प्रकार की कमियां, लापरवाहियां इस तरह से एक दूसरे से मिल जाती हैं कि दुर्घटना हो जाती है। इसका मतलब यह कतई नहीं कि किसी की गलती नहीं होती, किसी की जवाबदेही नहीं होती।
विमान जैसे जटिल ढांचे में ऐसा बहुत कुछ होता है जो सामान्य नजरों के पीछे हो रहा होता है, घट रहा होता है । जब छोटे बड़े लाखों पुर्जे एक साथ काम करते हैं तब जाकर विमान उड़ और उतर पाता है। इस तरह की टेक्नोलॉजी भी विकसित हो चुकी है कि खराब मौसम में भी विमान खुद-ब-खुद आटो पायलट की मदद से उडान भर सकता है, उड सकता है और उतर सकता है। किसी एक कारण से विमान क्रेस होने को दुर्लभ माना जाता है। विमान का दुर्घटनाग्रस्त होना पूरे सिस्टम का फेलुअर होना होता है। और ये इस बात का भी संकेत है कि सिस्टम पेशेवर तरीके से काम नहीं कर रहा है। फुल प्रूफ़ लगने वाली टेक्नोलॉजी में कहां दरार आ गई है, कहां गलती की गुंजाइश हुई है कि इतना भारी नुकसान हो गया इसकी जांच परख तो होनी ही चाहिए। सिस्टम में कई तरह के होने वाले छेद भले ही उसे यात्रियों द्वारा नजरअंदाज कर दिया जाय मगर जब कोई घटना घटती है तो लोगों का भरोसा तो डगमगाता ही डगमगाता है। 2019 में इथोपियन एयर लाइंस का एक विमान नैरोबी जाते हुए रास्ते में क्रेस हो गया और विमान में सवार 149 यात्री और चालक दल के 8 साथियों सहित सभी मारे गए। 24 साल की महिला यात्री सामिया रोज की मां एक डाक्यूमेंट्री में कहती है कि मेरी बेटी को कभी उडने से डर नहीं लगा सिवाय अपनी जिंदगी की आखिरी उडान के 6 मिनट में लगा। बोइंग ने जो किया वह इंसान के साथ भयानक धोखा था, भरोसा टूट गया।
25 मार्च 2025 को संसद के पटल पर स्थाई समिति द्वारा पेश की गई रिपोर्ट कहती है कि DGCA में 53 फीसदी कर्मचारियों की कमी है। एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया में 3200 पद खाली हैं। DCAD में 35 फीसदी स्टाफ नहीं है। तो सहज ही समझा जा सकता है कि जो अधिकारी कर्मचारी काम कर रहे हैं उन पर कितना काम का बोझ है, वे कितने तनाव और दबाव में काम कर रहे हैं। जिम्मेदारों द्वारा पल्ला झाड़ कर दुर्घटनाओं की जिम्मेदारी पायलट पर डाल दी जाती है जबकि इसके लिए सीधे तौर पर भारत सरकार जिम्मेदार है। विमान में एक ही चीज ऐसी होती है जो न तो खुद खराब होती है न अपने भीतर सहेजे गये राज को खराब होने देती है और उसका नाम है ब्लैक बाक्स, जिसमें नाम को छोड़ कर सब कुछ व्हाइट होता है। भारतीय विमान सेवाओं के उड़ान की पहुंच दुनिया भर के देशों में है जबकि कांगो एयरवेज, एयर कटांगा, मालू एविएशन आदि उड़ानों को ब्रिटेन, अमेरिका, यूरोप के देशों में उडने की अनुमति नहीं है। 2020 में करांची विमान दुर्घटना के बाद पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन्स (PIA) पर इंग्लैण्ड, यूरोपीय देशों ने चार का प्रतिबंध लगा दिया था जिसे हाल ही में हटाया गया है। भारत इस मामले में भाग्यशाली है कि इंडियन एयरलाइन्स पर इस तरह का प्रतिबंध कभी नहीं लगाया गया है।
दैनिक भास्कर ने अपनी हेडलाइन बनाई है : अहमदाबाद विमान हादसा – पायलट का ATC को आखिरी मैसेज – बोले – प्लेन उड़ नहीं रहा, बचेंगे नहीं, मरने वालों का आंकड़ा 275। बीजे मेडिकल कालेज के हास्टल के जिस हिस्से से टकरा कर जब AI 171 दुर्घटनाग्रस्त हुआ है, तब हास्टल के उस हिस्से में 60 से ज्यादा डाक्टर, मेडिकल स्टूडेंट तथा अन्य लोग मौजूद थे उसमें से 34 की मौत हो जाने की खबर है। दिव्य भास्कर के मुताबिक अधिकतर शवों का पोस्टमार्टम हो चुका है। 220 की डीएनए सैम्पलिंग हो चुकी है। 7 शवों की शिनाख्त भी हो चुकी है। प्लेन हादसे की जांच में नेशनल इन्वेस्टिगेशन ऐजेंसी, गुजरात पुलिस, एयर क्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB), डायरेक्टोरेट जनरल आफ सिविल एविएशन (DGCA), यूनाइटेड किंगडम – एयर एक्सीडेंट्स इन्वेस्टिगेशन ब्रांच (UK – AAIB), यूनाइटेड स्टेट्स – नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (US – NTSB), फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) सहित 8 ऐजेंसियां शामिल हैं। पुलवामा, पठानकोट, कुंभ, पहलगाम और अब अहमदाबाद में जिस तरह से मोदी सरकार आम आदमी का जीवन बचाने में लगातार फेल हुई है उससे देशवासियों का भरोसा, विस्वास, यकीन सब कुछ उठ सा गया है। लोगों को विश्वास ही नहीं है कि अहमदाबाद विमान दुर्घटना की जांच के बाद जरा सा भी सच सामने आ पायेगा। इस पर भी पुलवामा, कुंभ, पहलगाम की तरह मिट्टी की परत डाल दी जायेगी।
शायद इसीलिए डाॅ सौरभ कुमार और डाॅ ध्रुव चौहान ने भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई को पत्र लिखकर निवेदन किया है कि अहमदाबाद में जो विमान दुर्घटना हुई है उस पर सुप्रीम कोर्ट स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करे। Air India flight crash :Supreme Court Urged To Take Suo Motu Cognizance, Issue Direction For Compensation & PROBE – Two doctors have written a letter to the Chief Justice of India seeking a SUO MOTU action by the Supreme Court with respect to the crash of the Air India Flight AI171 at Ahmedabad yesterday. They urged that the Supreme Court, after taking Suo Motu cognizance of the incident, give directions to the Central Government to disburse competition to the victims at the earliest. They also sought a through investigation to ascertain the case of the plane crash. Dr. Sourabh Kumar and Dr. Dhruv Chouhan, in their letter, referred to the Supreme Court’s 2020 Judgment in Triveni Kodkany vs Air India Ltd. an others a case dealing with the 2010 Mangalore plane crash, which laid down principles to ascertain competition. 2010 में मेंगलुरु विमान दुर्घटना में दिये जाने वाली मुआवजा राशि दिए जाने को लेकर 2020 में आये फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कुछ गाइडलाइन दी थी। सीजेआई को लिखे अपने पत्र में दोनों डाक्टर्स ने उल्लेख किया है कि पीडित परिवारों को 2020 के फैसले के अनुसार अंतिम मुआवजा दिलाया जाय तथा आंकलन के लिए सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में विमानन एक्सपर्ट, अर्थशास्त्री की एक हाईलेवल विशेषज्ञ कमेटी बनायें या केन्द्र सरकार को निर्देश दिया जाय। एयर इंडिया को भी निर्देशित करने का अनुरोध है कि एयर इंडिया लिमिटेड पीडित परिवारों को जटिल अदालती प्रक्रिया में उलझाने के बजाय शीघ्र तथा आसान तरीके से मुआवजा राशि का भुगतान करे। क्योंकि उन्हें डर है कि एयर इंडिया पीडितों को मुआवजा देने के बजाय लंबे समय तक कानूनी उलझनों में उलझा सकता है। सुप्रीम कोर्ट से यह भी अपेक्षा की गई है कि वह पीडित परिवारों के पुनर्वास के लिए सहायता और रोजगार के अवसर दिये जाने का आदेश केन्द्र सरकार को देगी। भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो उसके लिए सरकार कारगर कदम उठायेगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मुआवजा राशि देर से दिए जाने पर ब्याज दिए जाने की बात कही है। माॅन्ट्रियल कन्वेंशन 1999 के तहत मुआवजे की राशि, जो प्रति यात्री लगभग दो लाख अमेरिकी डॉलर है, पर्याप्त नहीं है इसलिए विमान दुर्घटना के पीडितों के परिवारजनों को 50 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा दिया जाना चाहिए और इस मुआवजे में बीजे मेडिकल कालेज के रेजिडेंट डाक्टर्स भी शामिल किये जाने चाहिए। जिस पर डाॅ कपिल खान ने ट्यूट किया है कि एयर इंडिया हादसे के यात्रियों के साथ – साथ 33 से ज्यादा और अपनी जान गवां बैठे, जिसमें बीजे मेडिकल कालेज के MBBS छात्र और डाक्टर्स भी हैं। हर जान अनमोल है। जैसे यात्रियों के परिवारों को मुआवजा मिले वैसे ही हम इन युवा डाक्टरों के परिवारों के लिए भी समान सहायता की अपील करते हैं। उनके सपनों की उड़ान भी वहीं रुक गई।
यह इस बात को बताने के लिए काफी है कि मदर आफ डेमोक्रेसी में सरकार और जनता के बीच भरोसे की कितनी भारी कमी है। एयर इंडिया के जहाजों की अंदरूनी हालत कितनी खस्ता है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब देश के कृषि मंत्री को टूटी सीट मिल सकती है तो बाकी की क्या कहने। कहा तो यहां तक जाने लगा है यदि ये इंटरनेशनल फ्लाइट केवल घरेलू उडान होती और मरने वाले सभी भारतीय होते तो सारी घटना को आसानी से निपटा दिया जाता। सब कुछ मैनेज हो गया होता। क्योंकि देश का स्ट्रीम मीडिया तो मर ही चुका है लेकिन इसमें मरने वालों में विदेशी नागरिकों भी शामिल हैं। दुनिया में ऐसे देश भी हैं जो अपने नागरिकों के लिए, उनकी सुरक्षा के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। वे अपनों की मौत को मीडिया मैनेजमेंट के जरिए छुपाने, भुलाने और बरगलाने की कोशिश नहीं करते। भले ही अदालतों के भीतर न्याय की कुर्सी पर एक दलीय विचारधारा के पालित पोषित जजेज बैठकर न्यायपालिका को कलंकित कर रहे हों फिर भी लोगों का आखिरी भरोसा, ठिकाना न्यायालय की चौखट ही होता है। जल्दी ही जांच शुरू होगी, उसमें न जाने कितने आडे – तिरछे मोड़ आयेंगे। पिछले दस साल की कार्य प्रणाली पर भरोसा करें तो यही कहा जा सकता है कि सत्ता से जिम्मेदारी, जबावदेही की उम्मीद रखना बेमानी ही होगा और इस्तीफे का तो सपना भी मत देखिए।
अश्वनी बडगैया अधिवक्ता
स्वतंत्र पत्रकार
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