तीन राज्यों में जीत के बाद मोदी और शाह का फोकस हरियाणा पर
हरियाणा में आपरेशन लोटस से कांग्रेस को खतरा
भाजपा डोरे डाल सकती है सैनी सिख और रविदास समाज के कदावर नेताओं पर
कांग्रेस नेताओं के पनामा पेपर्स, खनन और नौकरी घोटालों की खुल सकती है फाइलें
प्रवीण सिंह वालिया, करनाल, 4 दिसंबर : भारतीय जनता पार्टी की चार राज्यों में जीत के बाद अब भाजपा आलाकमान की निगाह हरियाणा पर है। हरियाणा में तीसरी बार पार्टी की सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का फोकस हरियाणा पर है। हरियाणा में भाजपा नेता पिछड़ा, दलित और अन्य जनाधार वाले वर्ग को अपने पक्ष में लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। भाजपा आलाकमान के पास दूसरे दलों में उपक्षित जन आधार वाले नेताओं की जानकारी भेजी गई हैं। वहीं पर जनता के बीच लगातार रहने वाले नेताओं की जानकारी पार्टी के आलाकमान ने एकत्रित कर ली है । कई एजेंसियो के साथ संघ के नेटवर्क से मिले फीड बेक के आधार पर पार्टी दूसरे दलों में कद्दावर नेताओं को पार्टी में लाने के लिए आपरेशन लोटस शुरू कर रही है। वहीं पर कांग्रेस के उन नेताओं की सूची भी तैयार हो रही है। जिनके काले कारनामे फाइलों में बंद पड़े हुए हैं। पिछड़े वर्ग सिख समुदाय के साथ कांग्रेस के पंजाबी और दलित नेताओं पर डोरे डालने की तैयारी चल रही है। पिछले चुनावों की तरह इस बार भी लोकसभा चुनावों से पहले कुछ कांग्रेस के नेताओं और नैत्रियों को मैदान से हटाने के लिए उनके पुराने काले कारनामों के जिन को जिंदा किया जा सकता है। कांग्रेस आलकामान द्वारा कदावर और लोगों के बीच रहने वाले नेताओं की उपेक्षा कांग्रेस के लिए मंहगी पड़ सकती है। हरियाणा में भाजपा के विजयी अभियान के बीच मुख्य रुकावट कांग्रेस के कुछ पिछड़े वर्ग के नेता और कुछ मैदानी नेता हैं। भाजपा आलाकमान प्रदेशाध्यक्ष नायब सैनी के माध्यम से सैनी कुशवाह मौर्य , शाक्य समाज के नेताओं पर डोरे डाल सकती है। सैन समाज बाल्मीकि और रविदास समाज के जनाधार वाले नेताओं पर भी पार्टी की निगाहें बनी हुई हैं। 2024 में हरियाणा में दस सीटों पर भाजपा का मंथन चल रहा है। पार्टी इन सभी सीटों पर अपनी जीत वैश्य, पिछडा वर्ग और सिख समाज के साथ सैनी समाज में देख रही है। भाजपा की रणनीति के रहते कांग्रेस को हरियाणा में विभाजन का खतरा भी बना हुआ है। इस बार दुष्यंत के कमजोर पडऩे के बाद भाजपा अपने नए सहयोगी को तलाश रही है। जो लोकसभा और विधानसभा चुनावों में विपक्ष में रहकर चुनाव लड़े, चुनावों के बाद जरूरत पडऩे पर सरकार बनाने में मदद कर सके। पार्टी को चुनावों के लिए जनाधारहीन नेताओं को चुनावों में बार बार हारने वाले और मौका पडऩे पर भागने वाले नेताओं को चुनावी राजनीति से दूर करना होगा। यह लोग कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते हैं ।
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