नील आर्मस्ट्रॉन्ग के लॉन्च पैड से शुभांशु शुक्ला ने रचा भारतीय अंतरिक्ष इतिहास
केनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा
जिस ऐतिहासिक लॉन्च पैड 39A से साल 1969 में नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने चंद्रमा के लिए पहला कदम बढ़ाया था, वहीं से अब भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर उड़ान भरकर नया इतिहास रच दिया है। यह मिशन न केवल अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक है, बल्कि भारत के भविष्य के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए एक अहम कदम भी है।
Axiom-4 मिशन: भारत का बढ़ता अंतरिक्ष कद
Axiom Space, NASA और SpaceX के सहयोग से संचालित यह मिशन, Axiom-4, चार अंतरिक्ष यात्रियों को ISS तक लेकर जा रहा है। इनमें अमेरिका की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिट्सन (कमांडर), पोलैंड के स्लावोश उज्नी, हंगरी के तिबोर कपु, और भारत के शुभांशु शुक्ला (पायलट) शामिल हैं। शुभांशु इस मिशन में पायलट की भूमिका निभा रहे हैं, जो न केवल भारत के लिए गर्व की बात है, बल्कि भविष्य में होने वाले गगनयान मिशन के लिए भी एक महत्वपूर्ण अनुभव है।
लॉन्च पैड 39A: जहां से इतिहास बनता है
अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य के मेरिट द्वीप पर स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर का लॉन्च पैड 39A हमेशा से ऐतिहासिक उड़ानों का गवाह रहा है। यहीं से 16 जुलाई 1969 को अपोलो-11 मिशन रवाना हुआ था, जिसने नील आर्मस्ट्रॉन्ग, बज़ एल्ड्रिन और माइकल कॉलिन्स को चंद्रमा तक पहुंचाया था। अब उसी पवित्र जमीन से शुभांशु शुक्ला ने भारत का तिरंगा अंतरिक्ष में लहराया है।
शुभांशु का देशवासियों को संदेश
अंतरिक्ष में पहुंचते ही शुभांशु शुक्ला ने एक भावुक संदेश देशवासियों के नाम भेजा:
“नमस्कार, मेरे प्यारे देशवासियों, यह शानदार यात्रा थी। 41 साल बाद हम फिर से अंतरिक्ष में हैं। इस समय हम 7.5 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं।
मेरे कंधे पर तिरंगा है, जो बता रहा है कि मैं अकेला नहीं हूं, बल्कि आप सब मेरे साथ हैं।
यह मेरी यात्रा की शुरुआत नहीं, बल्कि भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत है। आइए हम सब मिलकर इसका हिस्सा बनें। जय हिंद, जय भारत।”
यह संदेश न केवल देश को गौरवान्वित करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित भी करता है।
शुभांशु की निजी यात्रा: लखनऊ से अंतरिक्ष तक
शुभांशु शुक्ला की यात्रा सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि मानवीय भी है। उनकी पत्नी कामना शुक्ला ने गर्व के साथ बताया कि वे दोनों लखनऊ के स्कूल फ्रेंड्स हैं।
तीसरी कक्षा से साथ पढ़ते-पढ़ते दोनों का रिश्ता दोस्ती से प्यार और फिर शादी तक पहुंचा। आज उनका छह साल का बेटा है, जो एक अंतरिक्ष यात्री को अपना पापा कहता है।
कामना कहती हैं,
“वो शर्मीले और गंभीर किस्म के थे। लेकिन आज उनका आत्मविश्वास पूरी दुनिया देख रही है। मुझे उन पर गर्व है।”
एक मिशन, चार देश, एक सपना
Axiom-4 मिशन में अमेरिका, भारत, पोलैंड और हंगरी जैसे देशों के यात्री एक साझा उद्देश्य के लिए एक साथ अंतरिक्ष की ओर निकले हैं।
इस मिशन से भारत को न केवल वैश्विक पहचान मिली है, बल्कि अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में गगनयान और आगे के मिशनों के लिए अनुभव भी।
शुभांशु शुक्ला की यह उड़ान केवल अंतरिक्ष की नहीं, बल्कि भारतीय महत्वाकांक्षाओं की भी है। एक ऐसा कदम जो आने वाले वर्षों में भारत को मानव अंतरिक्ष यान के क्षेत्र में एक अग्रणी राष्ट्र बना सकता है। और जैसा कि शुभांशु ने कहा— “यह सिर्फ मेरी उड़ान नहीं है, यह हर भारतीय की उड़ान है।”
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