पंचकूला नगर निगम में प्रॉपर्टी टैक्स से जुड़ा बड़ा घोटाला उजागर , विजिलेंस जांच की मांग तेज
पंचकूला नगर निगम में भ्रष्टाचार के अनेकों मामले हो रहे उजागर करवाई किसी पर नहीं
नगर निगम पंचकूला की प्रॉपर्टी टैक्स शाखा में करोड़ों रुपये के राजस्व नुकसान से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है। खबरों के मुताबिक, निगम के एक असिस्टेंट द्वारा 89 प्रॉपर्टी आईडी में जानबूझकर टैक्स और शुल्क में हेराफेरी की गई, जिससे नगर निगम को करीब 1.66 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि संबंधित अधिकारी ने बिना किसी वैध दस्तावेज और नियमों के पालन के, कई प्रॉपर्टियों में बकाया टैक्स और अन्य शुल्क या तो पूरी तरह हटा दिए या फिर काफी हद तक कम कर दिए। हैरानी की बात यह है कि इस पूरे प्रकरण को एक व्यक्ति द्वारा अंजाम दिया गया बताया जा रहा है, जबकि नगर निगम की प्रणाली में किसी भी परिवर्तन के लिए कई स्तरों पर स्वीकृति अनिवार्य होती है।
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने सवाल उठाए हैं कि क्या केवल एक असिस्टेंट को इतने व्यापक स्तर पर गड़बड़ी करने की छूट दी जा सकती है? साथ ही यह भी पूछा जा रहा है कि क्या इस मामले में केवल वही दोषी है, या फिर यह किसी बड़ी साजिश का हिस्सा है जिसमें अन्य अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं।
पूर्व में माजरी गांव में दुकानों के किराए में छूट देकर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का मामला भी चर्चा में रह चुका है, जिसकी शिकायतें अब तक लंबित हैं। ऐसे में नगर निगम की कार्यशैली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
प्रमुख मांगें और सवाल:
- क्या 89 प्रॉपर्टी मालिकों को नियमों के बाहर लाभ देने वालों पर भी कोई कार्रवाई की गई?
- क्या यह लाभ बिना प्रॉपर्टी मालिकों की जानकारी के दिया गया, या जानबूझकर मिलीभगत से?
- इस प्रकार की हेराफेरी एक ही समय में की गई या अलग-अलग समय पर?
- निगम के भीतर जांच निष्पक्ष होगी, इस पर आमजन को भरोसा क्यों नहीं है?
- क्या निगम सिर्फ छोटी मछलियों को पकड़कर बड़े घोटालेबाजों को बचा रहा है?
जनप्रतिनिधियों और नागरिकों की ओर से यह भी मांग उठाई गई है कि इस पूरे मामले को विजिलेंस विभाग को सौंपा जाए, ताकि निष्पक्ष जांच सुनिश्चित हो सके। साथ ही पहले से लंबित माजरी गांव दुकानों के किराया हेराफेरी मामले को भी इसी जांच के दायरे में लाने की मांग की गई है।
पंचकूला नगर निगम में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही की आशंकाएं गहराती जा रही हैं। यह जरूरी है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले और सिर्फ दिखावटी कार्रवाई की बजाय दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कदम उठाए जाएं। अन्यथा इससे न सिर्फ सरकारी खजाने को नुकसान होगा, बल्कि जनता का विश्वास भी बुरी तरह टूटेगा।
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