कम आय, बढ़ती जरूरतें: क्रेडिट कार्ड और BNPL के सहारे जी रहे हैं लाखों भारतीय
तेजी से बदलती अर्थव्यवस्था और आसमान छूती महंगाई के बीच, कम आय वाले लाखों भारतीय अब अपने दैनिक खर्चों के लिए क्रेडिट कार्ड, ‘बाय नाउ पे लेटर’ (BNPL) और डिजिटल लोन का सहारा ले रहे हैं। एक हालिया अध्ययन से सामने आया है कि 50,000 रुपये से कम मासिक आय वाले 93% नौकरीपेशा और 85% स्वरोजगार में लगे लोग अब पूरी तरह क्रेडिट आधारित जीवनशैली पर निर्भर हो चुके हैं।
नई दिल्ली रिया सिंह
क्रेडिट कार्ड: अब जरूरत, न कि विलासिता
कभी सिर्फ उच्च वर्ग की सुविधा माने जाने वाले क्रेडिट कार्ड अब आम मध्यमवर्ग की रोज़मर्रा की जरूरत बन चुके हैं। किराने से लेकर बिजली बिल, बच्चों की फीस से लेकर मेडिकल खर्च तक—हर जगह प्लास्टिक मनी का बोलबाला है।
Think360.ai की स्टडी में यह सामने आया कि बड़ी संख्या में लोग अपनी तनख्वाह खत्म होने के बाद भी क्रेडिट कार्ड के माध्यम से अपने खर्च चला रहे हैं। फिर अगले महीने की सैलरी से कार्ड का भुगतान कर देते हैं, और यही चक्र चलता रहता है—एक ऐसा लूप जिससे निकलना अब कई लोगों के लिए मुश्किल हो गया है।
BNPL: नई पीढ़ी का नया क्रेडिट हथियार
क्रेडिट कार्ड के साथ-साथ BNPL सेवाएं भी खासकर युवाओं और स्वरोजगार करने वालों में तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। स्टडी के मुताबिक, 18% स्वरोजगार करने वाले और 15% नौकरीपेशा BNPL का उपयोग कर रहे हैं। यह सेवा छोटी-छोटी खरीदारी के लिए आसान क्रेडिट उपलब्ध कराती है, जिसे बाद में किस्तों में चुकाया जा सकता है।
हालांकि BNPL की ये सहूलियतें जितनी फायदेमंद हैं, उतनी ही जोखिम भरी भी साबित हो सकती हैं। समय पर भुगतान नहीं होने की स्थिति में उपभोक्ताओं को भारी ब्याज और दंड झेलना पड़ता है।
फिनटेक क्रांति: ऋण की दुनिया में बड़ा बदलाव
डिजिटल लेंडिंग सेक्टर में फिनटेक कंपनियों की बढ़ती भूमिका ने पारंपरिक बैंकों को पीछे छोड़ दिया है। FY2023 में फिनटेक फर्मों ने 92,000 करोड़ रुपये से अधिक के पर्सनल लोन वितरित किए, जो कि पूरे नए ऋण वितरण का 76% हिस्सा था।
Think360.ai के संस्थापक और सीईओ अमित दास का मानना है कि, “अब क्रेडिट सिर्फ बड़ी खरीदारी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह भारत के मध्यम वर्ग की रोजमर्रा की जरूरतों का अहम हिस्सा बन चुका है।”
फिनटेक प्लेटफॉर्म जहां एक ओर क्रेडिट को सुलभ बना रहे हैं, वहीं इन सेवाओं की अधिकता और आसान उपलब्धता लोगों को बिना योजना के कर्ज में धकेल भी रही है।
चिंता का कारण: बढ़ता क्रेडिट बोझ
इस बदलते ट्रेंड का एक और पहलू भी है—बढ़ता कर्ज बोझ। कम आय वाले उपभोक्ता जब बार-बार क्रेडिट का इस्तेमाल करते हैं, तो उनकी वित्तीय स्थिति पर दबाव बढ़ता जाता है। कई बार समय पर भुगतान न होने पर ब्याज और जुर्माने की मार से वे और ज्यादा आर्थिक संकट में फंस जाते हैं।
सुविधा या फंदा?
क्रेडिट कार्ड और BNPL ने आम लोगों की जिंदगी को तात्कालिक राहत तो दी है, लेकिन यह राहत कई बार दीर्घकालिक वित्तीय खतरे में बदल जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस दौर में वित्तीय साक्षरता और जिम्मेदार उधारी पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो गई है।
क्रेडिट अब सुविधा से अधिक जिम्मेदारी बन गया है—जो जितनी समझदारी से इस्तेमाल किया जाए, उतना ही फायदेमंद है। वरना आसान क्रेडिट, जिंदगी को कर्ज के जाल में उलझा सकता है।
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