इंसानों की तरह जानवरों को भी मिले हैं अधिकार, जीने का हक संविधान ने दिया सबको
जानवरो को भी है जीने का हक, भेड़ियों को गोली मारने पर छिड़ी चर्चा ,
दिल्ली प्रेरणा ढिंगरा
भारतीय संविधान में हर किसी के लिए जगह है फिर चाहे वह जानवर ही क्यों ना हो। ऐसे कई सारे जानवर मौजूद है जिनको गोली मारना कानून जुर्म माना गया है, फिर चाहे वह आदमखोर ही क्यों ना हो जाए। संविधान हर एक नागरिक को जीने का अधिकार देता है, अब जानवर क्यों पीछे हटे? अगर उनके जीवन में कोई बाधा डालने की कोशिश करता है तो इसके लिए दंड का प्रावधान भी मौजूद है। चलिए हम इन्हीं जानवरों के बारे में आज आपको बताएं।
आपको बता दे की दंड विधान में केवल मानव जीवन के प्रति होने वाले अपराधों को ही अपराध नहीं माना है, अपितु पशुओं के प्रति होने वाले अपराधों को भी अपराध माना है। कई बार साधारण नागरिकों को जानवर और पशु के जीवन से जुड़े कानून के बारे में ज्ञान नहीं होता। कुछ ऐसे ही कानून के बारे में आज हम आपको बताएंगे। भारत के संविधान में जिन नागरिक कर्तव्यों का जिक्र है, उसमें सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया का भाव रखना अनुच्छेद 51A (g) के तहत नागरिक कर्तव्य बताया गया है। जानवरों की बात करें तो वाइल्डलाइफ एक्ट के तहत बंदरों को कानूनी सुरक्षा दी गई है। कानून कहता है कि बंदरों से नुमाइश करवाना या उन्हें कैद में रखना अपराध है। पालतू जानवरों पर भी यह रूल अपनाया गया है। अगर कोई व्यक्ति अपने जानवर को घर से निकाल देता है तो उसे 3 महीने तक की जय हो सकती है। PCA एक्ट, 1960 की धारा 11(1)(i) और धारा 11(1)(j) में ऐसा प्रावधान किया गया है।
किन जानवरों को मारना है गैरकानूनी?
किसी जानवर को परेशान करना, चोट पहुंचाना और उसकी जिंदगी में परेशानी खड़ी करना अपराध माना जाता है। ऐसा करने पर 25 हजार जुर्माना और 3 साल की सजा भी हो सकती है। संविधान की अनुसूची में 43 वन्य जीवों को रखा गया है। इसमें धारा 2, धारा 8, धारा 9, धारा 11, धारा 40, धारा 41, धारा 43, धारा 48, धारा 51, धारा 61 और धारा 62 के तहत सजा का प्रावधान मौजूद है। जिसमें भालू, सूअर, हिरण, बंदर, बड़ी गिलहरी, लंगूर भेड़िया, लोमड़ी, जिकारा, तेंदुआ, पेंगुइन, गेंडा ऊदबिलाव, रीछ, डॉल्फिन और हिमालय में पाए जाने वाले जानवरों के नाम शामिल हैं। पशुओं को लड़ने के लिए भड़काना, ऐसी लड़ाई का आयोजन करना या उसमें हिस्सा लेना भी संज्ञेय अपराध है। संविधान में कुत्तों को भी जगह दी गई है। जानकारी के अनुसार एंटी बर्थ कंट्रोल (2001) डॉग्स रूल नियम के तहत कुत्तों को दो श्रेणियों में बांटा गया है। यदि कोई व्यक्ति या स्थानीय प्रशासन पशु कल्याण संस्था के सहयोग से आवारा कुत्तों का बर्थ कंट्रोल ऑपरेशन जारी कर सकती है।
शिकार का सही अर्थ क्या है?
कई बार लोगों को गोली मारना ही शिकार करना लगता है, पर असल में यह सच नहीं है। शिकार की प्रक्रिया में शामिल होता है अर्थात जंगली जानवरों की खोज, उनका पीछा करना और उनका व्यापार करना। यदि हम वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अनुसार शिकार की परिभाषा देखें तो उसमें शामिल होते हैं-
• किसी भी जंगली जानवर को पकड़ना, मारना, जहर देना, जाल में फंसाना और फंसाने का प्रयास करने की कोशिश करना। यानी सिर्फ गोली मारने को ही शिकार नहीं कहा जा सकता।
• किसी भी जंगली जानवर को किसी भी निर्दिष्ट उद्देश्य के लिए चलाना, जैसे व्यापार करना, व्यावसायीकरण करना।
• किसी पशु या प्रजाति के किसी भी भाग को नष्ट कर देना।
आप सभी लोग जानते हैं की शिकार करना जुर्म है। भारतीय संविधान में यह साफ लिखा हुआ है कि कोई भी व्यक्ति अनुसूची I, II, III और IV में निर्दिष्ट किसी भी जंगली जानवर का शिकार नहीं करेगा, सिवाय धारा 11 और धारा 12 के तहत दिए गए प्रावधान के।
भारतीय संविधान द्वारा पशु की रक्षा
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51(क) के अंतर्गत मूल कर्तव्य दिए गए हैं। इन मूल कर्तव्यों में प्रत्येक नागरिक पर कुछ कर्तव्य रखे गए हैं, ये कर्तव्य भारत राष्ट्र के प्रति एक नागरिक के कर्तव्य हैं। जानवरों पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया था। इसमें वर्ष 2003 में संशोधन किया गया जिसका नाम भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 रखा दिया गया। जिसमें दंड और और जुर्माना को और भी कठोर कर हुआ है। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 16 (सी) के तहत जंगली पक्षियों या सरीसृपों को नुकसान पहुंचाना, उनके अंड़ों को नुकसान पहुंचाना, घोंसलों को नष्ट करना गैरकानूनी है। ऐसा करने का दोषी पाए गए व्यक्ति को 3 से 7 साल तक की सजा हो सकती है और 25,000 रुपये का जुर्माना भी व्यक्ति को देना होगा।
अब इतने कानून देखकर हर एक काम व्यक्ति सोचता है कि आखिर जानवरों को इतना महत्वपूर्ण क्यों माना गया है? ऐसे में बोलने को सिर्फ एक बात रह जाती है कि क्या जानवरों को जीने का अधिकार नहीं है? आदमखोर जानवर भी आदमखोर तभी बनता है जब उसे किसी प्रकार की तकलीफ हो। प्रभु ने मार देना कितना सही है और कितना गलत यह हमेशा से एक भैंस का विषय बंता आया है। सिर्फ जंगली जानवर ही नहीं बल्कि लोग अपने पालतू जानवर से भी कई बार बुरा बर्ताव करते हैं। उन्हें मरते हैं और अपना सारा गुस्सा उन पर निकलते हैं। ऐसे में उनके लिए एक कानून बनाना जरूरी हो गया।
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