चंडीगढ़ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बना आम आदमी पार्टी का मेयर , बीजेपी को लगा धक्का
भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनाव के पहले एक बड़ा धक्का लगा है । चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर चुनाव में सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप टीटा को मेयर उम्मीदवार घोषित किया है ।
टीटा को उम्मीदवार घोषित किए जाने के साथ ही आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ से लेकर दिल्ली तक लड्डू बाटने शुरू हो गए । क्योंकि अब दिल्ली पंजाब के बाद चंडीगढ़ में भी आम आदमी पार्टी की सरकार बन गई है ।


सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गठबंधन की भी प्रतिक्रिया सामने आई है और जहां आम आदमी पार्टी ने इस सच्चाई की जीत बताया है और सत्यमेव जयते लिखा है बीजेपी चंडीगढ़ ईकाई अध्यक्ष प्रेम गर्ग ने कहा कि भाजपा को पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए ।
वही चंडीगढ़ कांग्रेस की भी प्रतिक्रिया इस मामले पर आ गई है और उन्होंने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है और इस सत्य की जीत बतायाहै ।
20 दिन में ही लड्डुओं का स्वाद हुआ कड़वा
मगर इसके उलट भारतीय जनता पार्टी में जहां 30 जनवरी को लड्डू बाटे थे वहां पर आज पूरी तरीके से सन्नाटा पसरा रहा । जब हमारे संवाददाता ने भारतीय जनता पार्टी चंडीगढ़ के सेक्टर 33 कार्यालय पहुंचे तो वहां पर कोई भी बड़ा नेता प्रतिक्रिया देने के लिए मौजूद नहीं था । चंडीगढ़ भाजपा के दफ्तर में कैलाश जैन उपाध्यक्ष भाजपा बैठे हुए टीवी पर मेयर चुनाव की खबरें देख रहे थे तो हमने उनसे कहा कि इस पर आप प्रतिक्रिया दे दे तो उन्होंने कहा कि 5:30 बजे जब पूरा फैसला आएगा उसके बाद ही किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया दी जासकेगी । जाहिर सी बात है कि आज लड्डुओं का स्वाद पूरे 20 दिन के अंदर ही कसैला हो गया है । तो जवाब कैसे देते ।


हालांकि मनोज सोनकर ने पहले ही इस्तीफा दे दिया था
सुप्रीम कोर्ट के फैसले काअसर लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का असर लोकसभा चुनाव पर पढ़ना तय है क्योंकि लोकसभा चुनाव अगले कुछ ही दिनों में होने वाले हैं और विपक्ष आम जनता के बीच में यह बताया कि भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीतने के लिए बेमानी करती है और सुप्रीम कोर्ट में क्या बेमानी साबित हो चुकी है ।
विपक्षी गठबंधन को मिली संजीवनी बूटी
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद विपक्षी गठबंधन को एक तरह से संजीवनी बूटी मिल गई है कि अगर भाजपा के खिलाफ इकट्ठे होकर लड़ेंगे तो भाजपा को हरा सकते हैं । अब देखना यह होगा कि विपक्ष इस मुद्दे को लोकसभा चुनाव में किस तरीके से आम जनता के सामने लेकर जाता है ।
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