मनीमाजरा सरकारी अस्पताल बन रहा रेफरल अस्पताल
मानिमाजरा डिस्पेंसरी को अस्पताल का दर्जा मिलने उपरांत स्वास्थ सेवाएं सिफर
केवल और केवल रेफरल अस्पताल की भूमिका निभा रहा ये अस्पताल
मरीजों की स्वास्थ सेवाएं को लेकर विभाग नहीं है सीरियस
चंडीगढ़:~मनिमाजरा क्षेत्र चंडीगढ़ और हरियाणा के पंचकुला सीमा पर बसा बहुत पुराना इलाका है जहां की आबादी लगभग एक लाख से अधिक होगी | लेकिन यहां न तो स्वास्थ्य संबंधी कोई बड़ी सेवाएं देने वाला प्राइवेट अस्पताल है न ही सरकारी डिस्पेंसरी से अस्पताल दर्जा मिलने वाले अस्पताल में कोई चिकित्सा संबंधी कोई नाम ,ये अस्पताल केवल रेफरल अस्पताल बन कर रह गया है जहां सिर दर्द पेट दर्द या अन्य छोटी मोटी सेवाओं का निदान एमबीबीएस डॉक्टरों व अन्य स्टाफ द्वारा किया जाता है,अधिकतर मरीजों को फर्स्ट एड के मिलने के बाद सैक्टर 16 या 32 अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है,या फिर पुलिस द्वारा आए किसी मामलों को अटेंड करने उपरांत मेडिकल बना कर चंडीगढ़ के बड़े सरकारी अस्पतालों में भेज दिया जाता है,ऐसे में मानिमाजरा एरिया बिना स्वास्थ्य सेवाओं के अपनी जिंदगी गुजर बसर करने पर मजबूर है, कभी किसी को इमरजेंसी सेवाओं की जरूरत पड़ने पर मरीज के तीमारदारों के हाथ पांव फूल जाते हैं यही डर सताता रहता है कि समय रहते अगर इलाज न मिला तो उनके मरीज की जान पर न बन जाए ,आधुनिक चिकित्सा प्रणाली/सुविधाएं के अभाव में चल रहे इस अस्पताल को रेफरल अस्पताल की संज्ञा दी जाने लगी है|
इतना सब कुछ केंद्र सरकार के अधीन आने वाले चंडीगढ़ प्रदेश के अंदर स्वास्थ्य सेवाओं के साथ खिलवाड़ जैसा प्रतीत होना लाजमी है,अगर चंडीगढ़ में ऐसा हाल है तो देश के बाकि शहरों व गांवों के लोगों को स्वास्थ्य चिकित्सा प्रणाली कैसी मिलती होगी ये एक प्रश्न चिन्ह है ?
इतना सब कुछ होते देख स्वास्थ्य विभाग ने भी आंखें मूंद रखी हैं ,जैसे किसी की जिंदगी मौत से उनको कोई वास्ता ही न हो |और तो और केंद्र में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर खुद की पीठ थपथपाने वाली भाजपा सरकार के ही चंडीगढ़ के सांसद हैं जिन्होंने यहां चिकित्सा प्रणाली की सुध भी लेना मुनासिब नहीं समझा, ऐसे में सवाल ये उठता है कि ऐसा कब तक चलेगा ,क्या कभी ऐसे माहौल के सुधरने की उम्मीद है या मरीजों को उनके हाल पर छोड़ना ही एकमात्र विकल्प ढूंढ रखा है?
अगर ऐसे ही चलना है तो विभाग को ऐसे अस्पतालों को तुरंत बंद करने के आदेश पारित कर देने चाहिए ताकि इन पर होने वाले बेफिजूल खर्चों पर नियंत्रण हो ,जब सभी मरीजों को चंडीगढ़ के सैक्टर 12,16 व 32 के अस्पतालों में ही अपना इलाज करने जाना पड़ता है तो ऐसे अस्पतालों का कोई औचित्य नहीं रह जाता |
मरीजों के अनुसार काफी समय से यहां एक्सरे सुविधा तक नदारद रही है|दवाइयों की कमी देखते हुए विभाग ने इसी अस्पताल में दवाइयों की एक दुकान के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाते हुए एक केमिस्ट शॉप खुलवाई गई जिसका करीब एक लाख रुपए प्रति माह किराया है ,ऐसे में डॉक्टर द्वारा लिखी दवाइयों बाहर बनी इस दुकान से ही उपलब्ध होती है जिसके चलते मरीज का इलाज महंगा हो जाता है|
सिविल अस्पताल क्या होता है?
सिविल अस्पताल एक प्रकार का सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान या चिकित्सा सुविधा है जो आम जनता को चिकित्सा सेवाएं और उपचार प्रदान करता है| चिकित्सालय या अस्पताल स्वास्थ्य की देखभाल करने की संस्था है | इसमें विशिष्टताप्राप्त चिकित्सकों एवं अन्य स्टाफ के द्वारा तथा विभिन्न प्रकार के उपकरणों की सहायता से रोगियों का निदान एवं चिकित्सा की जाती है।
आने वाले लोकसभा चुनाव में मनीमाजरा की जनता अपने उम्मीदवारों से इस बात के लिए सवाल भी पूछेगी , कि क्या हमें सिर्फ वोट बैंक की खातिर सिर्फ वोट लेने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा यह हमारी सुविधाओं को जानने के लिए भी कोई नेता कभी हमारे साथ बैठेगा । क्योंकि चंडीगढ़ में पिछले 10 सालों से भारतीय जनता पार्टी की सांसद किरण खेर है जो ज्यादातर समय पर शहर से बाहर रहती हैं और मनीमाजरा एरिया में तो शायद ही सिर्फ उद्घाटन के वक्त तो नजर आई है उसके अलावा उन्होंने कभी भी मनीमाजरा के नागरिकों के सुख-दुख में शामिल होना जरूरी नहीं समझा ।
जगदीप शर्मा की रिपोर्ट
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