खबरी प्रशाद चुनावी सर्वे चंडीगढ़ लोकसभा सीट : क्या कहते है चंडीगढ़ के लोग अपने उम्मीदवार को लेकर
लोकसभा चुनाव 2024
चंडीगढ़ सीट पर मुकाबला बनियों के बीच होने की संभावना
खबरी प्रशाद : रीतेश माहेश्वरी
खबरी प्रशाद ने चंडीगढ़ में लोकसभा का उम्मीदवार कौन पर जानी लोगो की राय
लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। सभी पार्टियां जीतने वाले उम्मीदवारों की खोज करने में लगी हुई है। कोई पार्टी गुप्त सर्वे करवा रही है तो कोई पार्टी अपने कार्यकर्ताओं से राय मुशायरा कर रही है। तो कोई पार्टी चुनाव लड़ने वाले लोगों से फॉर्म भरने को कह रही है। मगर आज बात करते हैं चंडीगढ़ लोकसभा सीट की कि चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस से कौन से चेहरे है जो चुनाव की दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं। सबसे पहले तो इस बार का चुनाव में लोकल उम्मीदवार ही बाजी मार सकते हैं ना कि पैराशूट उम्मीदवार। अगर किसी भी पार्टी ने पैराशूट उम्मीदवार उतारा तो उस पार्टी की तो हार निश्चित है। हमारी टीम ने “चंडीगढ़ में लोकसभा का उम्मीदवार कौन” इस टैगलाइन को लेकर चंडीगढ़ की आम जनता के बहुत से लोगों से बात की। तो जो निष्कर्ष निकलकर सामने आए आज चर्चा उन्हीं नामों पर करेंगे।
“आम आदमी पार्टी”
यू तो आम आदमी पार्टी से चंडीगढ़ मे कई लोगों ने की इच्छा चुनाव लड़ने की है मगर आम आदमी पार्टी से प्रेम गर्ग इस दौड़ में सबसे आगे हैं। इसके पहले 2024 चंडीगढ़ मेयर चुनाव में आप और कांग्रेस का गठबंधन रहा था, मगर लोकसभा चुनाव अकेले ही आम आदमी पार्टी लड़ने जा रही है। इसी सत्र के मेयर चुनाव में 14 सीट जीतने के बाद आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं का जोश हाई है। इसी जोश को भुनाने के लिए आम आदमी पार्टी की तरफ से सर्वे किए गए। सर्वे में कई नाम सामने आए थे। मगर सबसे आगे जो नाम है वह चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रेम गर्ग का है। प्रेम गर्ग आम आदमी पार्टी के चंडीगढ़ के कन्वीनर भी रह चुके हैं। गर्ग एक साफ सुथरा बेदाग चेहरा है। प्रेम गर्ग की आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल से सीधी पकड़ है और अरविंद केजरीवाल भी बनिया समुदाय से हैं तो उसका फायदा भी उन्हें मिल सकता है। अभी तक प्रेम गर्ग ने सीधे तोर पर कोई भी राजनीतिक चुनाव नहीं लड़ा है। अगर वह आम आदमी पार्टी से टिकट प्राप्त करते हैं तो यह प्रेम गर्ग के लिए पहला राजनीतिक चुनाव होगा। तमाम सामाजिक संस्थाओं से भी प्रेम गर्ग जुड़े हुए हैं जिसका उन्हें लोकसभा चुनाव में फायदा मिल सकता है।
गर्ग की जीत में बाधाएं
यूं तो प्रेम गर्ग साफ सुथरी छवि के उम्मीदवार है। वह सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं। मगर पिछले कुछ समय से आम आदमी पार्टी में एका नजर नहीं आ रहा है जो प्रेम गर्ग की जीत में रोड़ा डाल सकता है।
“बीजेपी”
भारतीय जनता पार्टी से चुनाव लड़ने वालों के लिए यूं तो कई उम्मीदवारो के नाम सामने आ रहे हैं। मगर इस रेस में सबसे आगे जो नाम चल रहा है वह है भजन गायक कन्हैया मित्तल का। पिछले काफी समय से कन्हैया मित्तल लोकसभा चुनाव की तैयारी पर्दे के पीछे से करते हुए नजर आ रहे थे। कई बार कई मंच से वह सीधे तौर पर तो नहीं मगर अप्रत्यक्ष तौर पर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। कन्हैया मित्तल भी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उतरेंगे। हालांकि इसके पहले वह पार्षद का चुनाव लड़ चुके हैं, मगर उसमें उनकी हार हुई थी। मगर तब में और आज के कन्हैया मित्तल में बहुत फर्क आ चुका है। भजनों के तो उनके करोड़ों प्रशंसक है। अगर प्रशंसकों की लिस्ट देखें तो जीत एक तरफ नजर आती है। मगर भजन में जुटने वाली भीड़ वोटो में तब्दील हो जाएगी ऐसा कह पाना मुश्किल काम है। इसके साथ-साथ कन्हैया मित्तल के भाजपा में लगभग सभी बड़े कद्दावर नेताओं से पकड़ है। तो टिकट मिलने की संभावना कन्हैया मित्तल की ज्यादा है। कन्हैया मित्तल युवा चेहरा भी है, तकनीक की अच्छी समझ है, बेदाग चेहरा है, जाना पहचाना चेहरा भी है और स्टारकास्ट भी हैं। भाजपा सूत्रों के अनुसार भाजपा हाईकमान की पहली पसंद भी वही हो सकते हैं।
जीत में रोड़ा
चंडीगढ़ भाजपा के कद्दावर नेताओं की आपस की लड़ाई चुनाव के वक्त सामने आ सकती है। जिन नेताओं ने पिछले कई सालों से चुनाव लड़ने की जुगत लगाई हुई थी, वह तन से तो भाजपा में मगर मन से कहीं और खड़े नजर आ सकते हैं। इसके साथ-साथ कन्हैया मित्तल के अपने समकक्ष भजन गायको के विवाद भी निकाल कर सामने आएंगे जिसको विपक्षी भुनाने की कोशिश करेंगे।
“कांग्रेस”
कांग्रेस में पवन बंसल का नाम सबसे आगे है। पवन बंसल माहिर राजनीतिज्ञ हैं और चंडीगढ़ की जनता के बीच में एक जाना माना चेहरा भी है। पूर्व में वह चंडीगढ़ से सांसद भी रह चुके हैं और कांग्रेस की सरकार के दौरान रेल मंत्री भी रह चुके हैं। आज अगर रेलवे नेटवर्क पर चंडीगढ़ की जो पहचान है तो उसके लिए का नाम पवन बंसल का ही है। उनके रेल मंत्री रहने के दौरान चंडीगढ़ से तमाम रेलगाड़ियां अलग-अलग स्थान के लिए चलाई गई थी। मगर रेल मंत्री रहने के दौरान ही उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे जिसकी वजह से उनकी कुर्सी चली गई थी। पिछले काफी समय से वह आम जनता के बीच में एक्टिव है और आम जनता के मुद्दे भी उठा रहे हैं। पवन बंसल लोकसभा चुनाव में इमोशनल कार्ड खेल सकते हैं कि यह मेरा आखिरी चुनाव है इसके बाद में कोई चुनाव नहीं लडूंगा।
जीत में अड़ंगा
पवन बंसल की जीत में सबसे बड़ा रोड़ा इंडिया गठबंधन ही है क्योंकि जिस तरीके से इंडिया गठबंधन बनाया गया था और उसके बाद में धीरे-धीरे सभी पार्टियों अलग होती गई। तो भाजपा चुनाव में आम जनमानस को यह बताने की कोशिश करेगी कि जो चुनाव के पहले एक नहीं रह पाए वह चुनाव के बाद कैसे एक रहेंगे। इसके साथ-साथ पवन बंसल पर रेल मंत्री रहते हुए भ्रष्टाचार का मुद्दा भी भाजपा जोर-शोर से उठाएगी।
अगर जनता के अनुमानों के अनुसार ही सभी पार्टियों टिकट दे देती है तो इस बार चंडीगढ़ में मुकाबला बनिया समुदाय के बीच ही हो सकता है । और ऐसी स्थिति में बनिया समुदाय के लोगों के बीच में असमंजस की स्थिति भी खड़ी हो सकती है कि वह किस को आशीर्वाद दें और किसको दूर से ही प्रणाम करें ।
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