सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव लड़ने वाली सभी पार्टियों को दिया झटका, 6 मार्च तक सभी पार्टियों चुनावी चंदे का दे हिसाब
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टरल बॉन्ड पर तत्काल लगाई रोक
लोकसभा चुनाव के पहले चुनावी चंदा लेने पर सभी राजनीतिक दलों को झटका
खबरी प्रशाद, नई दिल्ली: पांच जजों की बेंच ने लोकसभा चुनाव के ठीक पहले चुनाव लड़ने वाले सभी राजनीतिक दलों को एक बड़ा झटका दे दिया है और कहा है इलेक्टोरल बांड से चंदा लेने पर तत्काल रोक लगाई जा रही है। सभी पार्टियां 6 मार्च के पहले चुनावी चंदे का हिसाब दें। इलेक्टरल बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना पूरी तरीके से गलत है।
केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि दो अलग-अलग फैसले हैं – एक उनके द्वारा लिखा गया और दूसरा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना द्वारा और दोनों फैसले सर्वसम्मत हैं।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि काले धन पर अंकुश लगाने के लिए सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राजनीतिक दल चुनावी प्रक्रिया में प्रासंगिक इकाइयां हैं और चुनावी विकल्पों के लिए राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानकारी आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि चुनावी बांड के माध्यम से कॉर्पोरेट योगदानकर्ताओं के बारे में जानकारी का खुलासा किया जाना चाहिए क्योंकि कंपनियों द्वारा दान पूरी तरह से बदले के उद्देश्य से है।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि बैंक तत्काल चुनावी बांड जारी करना बंद कर दें। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एसबीआई राजनीतिक दलों द्वारा लिए गए चुनावी बांड का ब्योरा पेश करेगा। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि एसबीआई भारत के चुनाव आयोग को विवरण प्रस्तुत करेगा और ECI इन विवरणों को वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन और असंवैधानिक माना है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द करना होगा।
6 साल पहले केंद्र सरकार लाई थी इलेक्टरल ब्रांड योजना
लगभग 6 साल पहले 2 जनवरी 2018 को केंद्र सरकार चुनाव लड़ने वाली पार्टियों के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम लेकर आई थी। इस स्कीम के अनुसार इस बॉन्ड को कोई भी नागरिक अकेले या किसी के साथ मिलकर खरीद सकता था। इस योजना को 2017 में ही चुनौती दे दी गई थी लेकिन इस योजना पर सुनवाई 2019 में शुरू हुई। फैसला मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने 2 नवंबर 2023 को सुरक्षित रख लिया था। आज यानी की 15 फरवरी 2024 को इलेक्टरल बॉन्ड की गोपनीयता को बनाए रखने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरीके से इनकार कर दिया है और कहा है की सभी पार्टियों को जो इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा ले रही है, उनको इसका हिसाब देना होगा।
इस मामले में केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहे हैं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था इलेक्टोरल बांड से राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता आई है। पहले चुनावी चंदा नगद में दिया जाता था मगर इलेक्टोरल बॉन्ड की गोपनीयता दानदाताओं के हित के लिए रखी गई थी। क्योंकि ज्यादातर चंदा देने वाले लोग नहीं चाहते कि उनके नाम की जानकारी किसी दूसरी पार्टी को पता चले। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था फिर सत्ताधारी दल विपक्षियों के चंदा की जानकारी क्यों लेना चाहता है विपक्ष क्यों नहीं ले सकता सत्ता पक्ष को मिले हुए चंदे की जानकारी।
वही इस मामले पर प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने कहा था चुनावी इलेक्टोरल बॉन्ड सिर्फ रिश्वत है जो सरकारी फैसले को प्रभावित करती है सभी नागरिकों को जानने का पूरा अधिकार है कि किस पार्टी को कहां से पैसा मिल रहा है।
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