किसान दिल्ली आने को आतुर और ” पीएम श्री ” कतर और यूएई में !!!
खबरी प्रशाद : दिल्ली / चंडीगढ़ / अंबाला
केशव माहेश्वरी / प्रिया ओझा / मोहित
चंडीगढ़ में सोमवार को हुई केंद्रीय मंत्रियों और किसानों की वार्ता विफल होने के बाद मंगलवार सुबह 10 बजे किसानों ने दिल्ली कूच का ऐलान कर दिया। किसानों ने ना सिर्फ एलान किया बल्कि दिल्ली के लिए किसानों का एक लंबा काफिला पंजाब से हरियाणा के हर प्रमुख बॉर्डर पर पहुंचने लग गया। जैसे-जैसे सूरज चढ़ता रहा वैसे-वैसे पंजाब से जुड़े हरियाणा के लगभग सभी बॉर्डर पर किसान का काफिला पहुंचने लग गया। सबसे पहले हंगामा अंबाला के पास शंभू बॉर्डर पर हुआ जहां पर लगातार पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और वाटर कैनन भी चलाई। यहां पर किसान जत्थेबंदियों के द्वारा पुल के साइड में लगी हुई रेलिंग को तोड़ दिया गया और पुलिस बल पर पथराव की तस्वीर भी सामने आई। यहीं पर किसानों ने उनको रोकने के लिए लगाए गए पत्थर के बैरिकेड हटाने के लिए क्रेन का इस्तेमाल किया। कुछ एक पत्थरों के स्लैब हटाने में कामयाबी भी मिली मगर आसमान मे ड्रोन से , और सड़क पर पुलिस लगातार आंसू गैस के गोले और वॉटर कैनन का इस्तेमाल करके किसानों को पीछे हटाती रही। काफी संख्या में किसान बॉर्डर पर बने पुल के ऊपर और पुल के नीचे जुटे रहे। कुछ ऐसे ही हालात खनोरी बॉर्डर पर भी रहे । एक दो जगह पर किसानों पर हालत बिगड़ने पर प्लास्टिक की गोलियां भी चलाई गई । मिली जानकारी के अनुसार आज तक के संवाददाता सत्येंद्र चौहान पर भी प्लास्टिक की गोली लगी जिस वक्त वह किसान आंदोलन की अंबाला के पास शंभू बैरियर पर लाइव रिपोर्टिंग कर रहे थे । लाइव कवरेज के दौरान सत्येंद्र ने आज तक के स्टूडियो में बैठी एंकर से बताया बताया कि नेहा मुझे गोली लग गई है । नेहा मुझे गोली लग गई है , तब किसानों ने उन्हें संभाला और उन्हें वहां से बाहर लेकर गए । जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है ।
किसान आंदोलन का कांग्रेस फायदा उठाने के मूड में
खड़गे बोले, अगर आई हमारी सरकार तो देंगे एमएसपी
पिछले 10 सालों से सत्ता से बाहर कांग्रेस के नेताओं को किसान आंदोलन के रास्ते सत्ता वापसी का रास्ता दिखाई पड़ने लग गया है। अब कांग्रेस नेता इंडिया गठबंधन को छोड़कर किसानों के कंधे पर सवार होकर सत्ता के सपने देखने लगे हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे यह कहते हुए नजर ना आते कि अगर हमारी सरकार बनेगी तो किसानों को मिनिमम समर्थन मूल्य दे दिया जाएगा। यह कहते वक्त खड़गे साहब यह भूल गए कि भारत में एक लंबे समय तक कांग्रेस ने ही राज किया है और अगर उस राज के दौरान किसानों को यह गारंटी मिल गई होती तो आज किसान सड़कों पर ना होते।
हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार व केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया, 15 फरवरी की लगी तारीख
हरियाणा सरकार द्वारा रास्ता रोके जाने और इंटरनेट बंद करने को लेकर हाईकोर्ट में दो याचिकाए लगाई गई थी जिस पर कल यानी 13 फरवरी को ही सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा कि आखिर जब किसान दिल्ली जाना चाहते हैं तो उनको क्यों रोका जा रहा है। इस सवाल पर हरियाणा सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे हैं वकील का कहना था कि किसानों ने दिल्ली से परमिशन नहीं ले रखी है जिसकी वजह से इनको रोका जा रहा है। तब हाई कोर्ट ने कहा कि सबके अपने-अपने अधिकार हैं किसानों के भी अधिकार है तो आम नागरिकों के भी अधिकार हैं। आम नागरिकों के अधिकारों को लेकर भी याचिका लगाई गई थी जिसमें कहा गया था की हरियाणा सरकार ने 7 जिलों में इंटरनेट बंद किया है और 15 जिलों में धारा 144 लगाई गई है जो कहीं ना कहीं नागरिकों के अधिकार का उल्लंघन है। इन सब बातों को लेकर हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 15 फरवरी को जवाब देने को कहा है।
किसानों को लठ नहीं खोद मारनी है, डीसीपी का वीडियो वायरल
हरियाणा में किसान आंदोलन को लेकर एक डीसीपी रविन्द्र तोमर का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इसमें वह पुलिस वालों को समझाते हुए कह रहे हैं कि किसानों को लठ नहीं मारना है बल्कि खोद मारनी है। हम आईटीबीपी के जवानों को समझा देंगे की खोद कैसे मारी जाती है। यह एक जुगाड़ है जो सिर्फ हरियाणा में ही पाया जाता है।
डीसीपी का बयान कुछ इस तरीके का है जिस तरीके का बयान किसान आंदोलन के समय करनाल में तत्कालीन एसडीएम आयुष ने दिए थे। उन्होंने कहा था किसानों का सिर फोड़ देना।
किसानों की प्रमुख मांगें
सभी फसलों की एमएसपी पर खरीद की गारंटी का कानून बने
डॉ स्वामीनाथन आयोग के रिपोर्ट के हिसाब से कीमत तय हो
किसान खेत मजदूर का कर्ज माफ हो, पेंशन दी जाए
भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा लागू किया जाए
लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा दी जाए
मुक्त व्यापार समझौता पर रोक लगाई जाए
किसान आंदोलन में मृत किसानों के परिवार को मुआवजा व सरकारी नौकरी मिले
विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाए
मनरेगा में हर साल 200 दिन का काम और ₹700 दिहाड़ी दी जाए
नकली बीज, कीटनाशक दवाइयां व खाद वाली कंपनियों पर कड़ा कानून बनाया जाए
मिर्च, हल्दी व अन्य मसाले के राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए
संविधान की 5 सूची को लागू कर आदिवासियों की जमीन की लूट बंद की जाए
किसान आंदोलन की यादें हुई ताज़ा
2020 में केंद्र सरकार तीन कृषि कानून लेकर आई थी। इन तीनों कृषि कानून का हरियाणा और पंजाब के किसानों ने जमकर विरोध किया था। 17 सितंबर 2020 को किसानों ने तीनों कृषि कानून के विरोध में दिल्ली की सीमा पर आंदोलन किया था। दिया आंदोलन करीब 375 दिन चला था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर तीनों कृषि कानून को वापस लेने का ऐलान किया था। इसके बाद 11 दिसंबर, 2021 को किसानों ने आधिकारिक रूप से आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया था। ऐसा दावा किया गया था कि 375 दिन चले इस आंदोलन में 700 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। विपक्ष लगातार इन कृषि कानून को लेकर सड़क से लेकर संसद तक सरकार को घेरता रहा है । विपक्ष ने हीं कृषि कानून को काले कानून नाम दिया था ।
किसानों पर आंसू गैस के गोले दागना गलत
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने किसानों को जबरन रोकने की निंदा करते हुए कहा कि सरकारों को इस मसले का हल निकालना चाहिए। हरियाणा सरकार की तरफ से किसानों पर आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियां दागना लोकतांत्रित ढांचे के विरुद्ध है।
हिमाचल रोडवेज ने दिल्ली तक बसें की बंद
किसान आंदोलन के चलते पंजाब और हरियाणा के तमाम रास्ते बंद होने के कारण हिमाचल पथ परिवहन निगम ने अपनी बसों को दिल्ली ना भेजने का फैसला लिया गया है। हिमाचल रोडवेज का यह आदेश अस्थाई है। स्थितियां सामान्य होने के बाद हिमाचल रोडवेज की बस देश की राजधानी दिल्ली तक जाएगी। अभी लगभग 300 बसें पूरे हिमाचल प्रदेश से दिल्ली जाती है। हरियाणा पुलिस के फैसले के बाद ही हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (HRTC) बसों को दिल्ली भेजने को लेकर फैसला लेगा। इसके साथी हरियाणा से चंडीगढ़ से एवं पंजाब से भी जो बसे रोजाना दिल्ली जाती थी उनके या तो रूट बदलकर दिल्ली भेजा जा रहा है या फिर अस्थाई तौर पर उनको भी बंद किया गया है । क्योंकि लगातार पुलिस प्रशासन की एडवाइजरी जारी हो रही है कि अगर जरूरत हो या अति आवश्यक काम हो तो ही हरियाणा होते हुए दिल्ली का सफर करें । इसके साथ-साथ टैक्सी संचालकों ने भी अपनी दिल्ली की सभी बुकिंग रद्द कर दी हैं ना तो वह दिल्ली की कोई सवारियां ले रहे हैं ना ही उस रास्ते पर इस समय जा रहे हैं ।
6 महीनों की तैयारी करके निकले किसान
सैकड़ों ट्रालियों में राशन, चूल्हे और बर्तन
पंजाब से किसान ट्रैक्टर ट्रॉलियां लेकर कल दिल्ली के लिए रवाना हुए। किसानों का पुलिस से साथ मेल हरियाणा पंजाब के बॉर्डर पर हुआ जहां हरियाणा पुलिस ने शंभू बॉर्डर पर हैवी बैरिकेडिंग की हुई है। किसानों के जत्थे में सैकड़ों ट्रैक्टर ट्राली शामिल हैं। इन ट्रैक्टर ट्रालियों में राशन, पानी, ईंधन, आदि सभी सामान ले जाया जा रहा है। अधिकार ट्रैक्टर के पीछे 2 ट्रालियां किसानों ने लगाई है जिसमें एक में सामान रखा है तो वही दूसरी में सोने की व्यवस्था की गई है।
किसानों की यह तैयारियां 1 या 2 दिन की नहीं है। किसान प्रदर्शन के लिए लंबे समय से तैयारी कर रहे थे। किसानों के मुताबिक 800 ट्रॉलियों में राशन के साथ उसे पकाने के लिए लकड़ी भर रखी है। 6 महीने तक का राशन साथ में लेकर चले हैं। कई ट्रॉलियों में सोने तक का प्रबंध भी किया गया है। उनमें गद्दे बिछाए गए हैं। इसके साथ पानी के टैंकर-ड्रम और डीजल भी लेकर जा रहे। जत्थों में महिलाएं भी शामिल हैं, जो लंगर की जिम्मेदारी संभालेंगी।
किसानों का प्रदर्शन और हवाई जहाज कंपनिया कमा रही मुनाफा
किसान आंदोलन के कारण परिवहन व्यवस्था काफी खराब हो गई है। पंजाब, हिमाचल और हरियाणा से दिल्ली जाना आसान नहीं है। हाईवे (चंडीगढ़ दिल्ली नेशनल हाईवे) पर पुलिस ने कई जगहों पर बैरिकेड्स लगाकर ट्रैफिक रोक दिया। जिसकी वजह से सड़क से आने-जाने में वक्त भी ज्यादा लग रहा है और अफरा तफरी का माहौल भी है । बीते कल से बहुत सारे लोगों के फोन खबरी प्रसाद अखबार के ऑफिस में और संवाददाताओं के पास इस बात को लेकर पहुंच रहे हैं कि कौन सा रास्ता दिल्ली जाने के लिए सही रहेगा या कौन सा रास्ता दिल्ली के लिए खुला हुआ है । इस वजह से अब चंडीगढ़ से दिल्ली का हवाई किराया बढ़ गया। किराया लगभग पांच गुना तक बढ़ गया है। बहुत से लोगों ने हवाई यात्रा के बड़े हुए किराए को लेकर भी ऐतराज जताया है और बहुत से लोगों ने रेलवे से दिल्ली जाने को प्रमुखता दी है । अगर रेलवे की बात की जाए तो आज की तारीख में चंडीगढ़ से दिल्ली जाने के लिए रेलवे की किसी भी ट्रेन में टिकट उपलब्ध नहीं है ।
आंकड़ों के मुताबिक, आम दिनों में चंडीगढ़ से दिल्ली का हवाई किराया करीब 3,000 रुपये के आसपास ही रहता है। लेकिन अब किसान आंदोलन के कारण 12 फरवरी और 13 फरवरी को किराया 9000 रुपये से बढ़कर 15000 रुपये हो गया है। दरअसल, चंडीगढ़ से दिल्ली के लिए कुल 9 उड़ानें संचालित होती हैं। अब 14 और उड़ानें संचालित की जा रही हैं। यानी राजमार्गों पर यातायात बाधित होने और किसान आंदोलन के कारण उड़ानों की संख्या भी बढ़ गई है।
किसानों के आंदोलन और कई जगहों पर सड़क बंद होने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में लोग अब दिल्ली पहुंचने के लिए हवाई जहाज से यात्रा कर रहे हैं। एयरलाइन ने टिकट के दाम भी बढ़ा दिए हैं। हालाँकि, ये दरें एक या दो दिन के बाद सामान्य हो सकती हैं।
फिलहाल कल का दिन बीतने के बाद अब देखना होगा कि आज सारा दिन किसान आंदोलन किस मोड़ पर जाता है । हालांकि हाई कोर्ट की तरफ से केंद्र सरकार एवं हरियाणा सरकार को लगाई गई याचिका पर 15 फरवरी की तारीख पर जवाब देना है मगर क्या किसान आज और कल याचिका के जवाब का इंतजार करेंगे या फिर कल की तरह ही पुलिस प्रशासन से दिल्ली जाने को लेकर भिड़ने की कोशिश करेंगे ।
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