प्यार इजहार इकरार का हफ्ता किसी का दिल मिल रहा तो किसी का टूट रहा
देश में आम चुनाव बस कुछ ही दिनों में होने वाले हैं और आम चुनाव के पहले दल बदल वाली एक्सप्रेस गाड़ी पूरी स्पीड से लगभग सभी राज्यों में चल रही है । कांग्रेस के साथ-साथ अन्य दलों की एक्सप्रेस ट्रेन से उतरकर नेता भाजपा की वंदे भारत ट्रेन में सवार होने को बेताब है ।
यूं तो यह वक्त बसंत का है मगर बसंत के इस मौसम के साथ-साथ प्यार ,मोहब्बत ,इकरार और इजहार का भी हफ्ता चल रहा है । इस हफ्ते में कहीं दिल जुड़ रहे हैं तो कहीं दिल टूट भी रहे हैं । कहीं फूल खिल रहे हैं तो कहीं वफा और बेवफाई की बातें चल रही है । कोई किसी का हाथ छोड़ रहा है तो कहीं पर कोई खिलने जा रहा है । आप बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं जनाब । कुर्सी का मिजाज होता ही कुछ ऐसा है । क्योंकि राजनीति के नेता पति-पत्नी की तरह नहीं होते जो सात जन्मों तक साथ निभाएंगे यह तो लिव इन रिलेशनशिप की तरह होते हैं , आज हैं , कल का पता नहीं रहेंगे या नहीं रहेंगे ।
छोड़ो भैया इन सब बातो से अपन को क्या लेना देना ,,
भाई जी , अपन तो उसे प्रदेश से आते हैं जो बिल्कुल दिल्ली दरबार के करीब है । यहां के नेताओं का सुबह का नाश्ता अगर घर पर होता है तो दोपहर का भोजन दिल्ली दरबार में और शाम की चाय राज्य की विधानसभा में तो रात का डिनर अपने वोटरों के बीच होता है । हम तो ऐसे राज्य से आते हैं । अंदाज़ आपने लगा ही लिया होगा । हमारे राज्य के साहब भी आजकल फूंक कर कदम रख रहे हैं । बल्कि सुना तो यह भी जा रहा है कि अब वह अपने लिए कोई नई जमीन की तलाश में जुटे हुए हैं । ऊपर से आजकल तो किसानों ने भी साहेब की नाक में दम कर रखा है । किसान चारों तरफ से हमारे राज्य को घेरने को आतुर है । और किसान ही क्यों कहने को तो अपने आपको सत्ता मे छोटे भाई कहने वाले अपने भी आजकल अंदरखाने आंख दिखा रहे हैं । भले बाहर कहना पड़ रहा है कि आल इज वेल मगर जो अंदर की बात जानते हैं उनको पता है कि अंदर आल इज नॉट वेल । साहब को चिंता भी इसी बात की है की तीसरी बार की हैट्रिक में नंबर आएगा या उसके पहले ही कही क्लीन बोल्ड तो करार न दे दिया जाएं । क्योंकि सामने जो अंपायर है उसके सामने कितना भी चिल्ला चेथन कर लो कि आई एम नॉट आउट , मगर हमारे वाले साहेब की तो चलनी भी नहीं है । इसलिए आजकल तो साहब भी हर बॉल को देख-देख कर खेलते हैं कि कहीं नैतिकता का पाठ पढ़ाते पढ़ाते खुद हिट विकेट ना हो जाए ।
होली भी आने वाली है
मशहूर फिल्म शोले का एक डायलॉग कब है होली ,, आज ये आर्टिकल लिखते लिखते अचानक मुझे याद आ गया क्योंकि हमारे साहब के कुछ नवरत्न जल्दी ही रिटायर करार कर दिए जाएंगे तो इन नवरत्नों को इंतजार है होली का कि शायद इस होली पर हर बार की तरह कोई आ जाए जो चेहरे पर हरा पीला गुलाल जाते-जाते ही थोड़ा ही सही मगर लगा तो जाए । वैसे हर बार यह नवरत्न गुलाल लगवाने मे बड़े नाज नखरे दिखाते थे मगर इस बार नाज नखरे दिखाने का वक्त नहीं है इस बार तो इंतजार है कि गुलाल लगाने वाले का वो आए तो ।
असल में यह सब बातें आज आप पर इसलिए लिख रहा है क्योंकि आज अपन पूरी तरीके से खाली बैठा है और बसंत की गुनगुनी धूप का आनंद ले रहे हैं । प्यार मोहब्बत इकरार और इजहार का हफ्ता आज अपन भी मना रहा है तो सोचा आप लोग को भी बता ही दें । आप लोग भी प्यार मोहब्बत इकरार और इजहार इस हफ्ते में किसी न किसी से कर ही लो । चलिए आज के लिए बस इतना ही , अगले हफ्ते फिर किसी और गाल पर गुलाल लगाने के लिए मुझे चाहिए तब तक के लिए छुट्टी ।
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