सहकारिता विभाग के घोटाले की 30 साल की जांच कर कर मनोहर सरकार ने खेला मास्टर स्ट्रोक
5 सीएम के कार्यकाल की होगी जांच
31 IAS अधिकारी जांच के घेरे में
सहकारिता विभाग के 100 करोड के घोटाले की जांच का दायरा बढ़ाकर मनोहर सरकार ने एक बड़ी चाल चली है। मनोहर सरकार की एक चाल से 5 सीएम का कार्यकाल, 31 आईएएस सहित तमाम अधिकारी और कर्मचारी जांच के घेरे में आ गए हैं। सरकार ने अब 1995 से सहकारिता विभाग की एकीकृत सहकारिता विकास परियोजना के जांच करवाने के आदेश दिए हैं। मनोहर सरकार के फैसले से राजनीतिक गलियारों में कई मायने निकाले जा रहे हैं। जहां एक ओर इस फैसले से उन्होंने अपने अलावा चार अन्य मुख्यमंत्री के कार्यकाल के भी जांच के आदेश दिए। तो वहीं दूसरी ओर उनके इस आदेश से 31 आईएएस अधिकारी सहित तमाम अन्य अधिकारी और कर्मचारी जांच की घेरे में आ गई है। मनोहर सरकार के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह, चौधरी भजन लाल, बंसी लाल और ओमप्रकाश चौटाला के कार्यकाल के दौरान सरकार द्वारा भेजी गई ग्रांट की भी जांच होगी।
कौन-कौन कब-कब रहा सीएम?
जून 1991 से लेकर मई 1996 तक चौधरी भजनलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री थे। जून 1996 से लेकर जुलाई 1999 तक बंसीलाल मुख्यमंत्री थे। जुलाई 1999 से मार्च 2005 तक ओमप्रकाश चौटाला ने हरियाणा पर राज किया। मार्च 2005 से अक्टूबर 2014 तक भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा के मुख्यमंत्री थे। अक्टूबर 2014 से लेकर अब तक मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के मुख्यमंत्री हैं।
मुख्यमंत्री का मास्टर स्ट्रोक
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 20 फरवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र से पूर्व जांच का दायरा बढ़ाने का फैसला लेकर सभी को चौका दिया है। यह फैसला ऐसे समय लिया गया है जब विपक्ष सरकार को इस घोटाले को आधार बनाकर घेरने की तैयारी में था। विपक्ष इस बजट सत्र में मनोहर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में है जिसका आधार यही घोटाला है। बुधवार को चंडीगढ़ में कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई जिसमें यह प्रस्ताव रखा गया। खट्टर सरकार के खिलाफ यह दूसरा अविश्वास प्रस्ताव होगा।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में हुई इस मीटिंग में खनन, आयुष्मान और FPO घोटाले को भी मुद्दा बनाने का फैसला लिया गया। इन सब के अलावा प्रदेश में बेरोजगारी, कौशल रोजगार निगम की गड़बड़ियों, युवाओं को युद्ध के दौरान इसराइल भेजने, हरियाणा की भर्तियों में बाहरियों को प्राथमिकता देने, भर्ती घोटाले और अग्निपथ योजना पर भी सरकार से जवाब मांगा जाएगा।
क्या है सहकारिता घोटाला?
हरियाणा की सहकारिता विभाग की एकीकृत सहकारिता विकास परियोजना में एंटी करप्शन ब्यूरो ने घोटाला पड़ा है वह 2018 से 2021 के बीच का है जिसमें 100 करोड़ की हेरा फेरी हुई है। एंटी करप्शन ब्यूरो से जुड़े हुए सूत्रों का कहना है कि यह घोटाला काफी लंबे समय से चला आ रहा है और यह 100 करोड़ ना होकर कई ज्यादा का होगा।
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