9 फरवरी को है मौनी अमावस्या, कैसे मनाएं ,सावधानियां भी बरतें….
प्रिया ओझा
माघ मास की अमावस्या जिसे मौनी अमावस्या कहते हैं। मौनी अमावस्या इस साल 9 फरवरी 2024 दिन शुक्रवार को है। यह योग पर आधारित महाव्रत है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस मास को भी कार्तिक के समान पुण्य मास कहा गया है। गंगा तट पर इसी कारण भक्त जन एक मास तक कुटी बनाकर गंगा स्नान व ध्यान करते है
क्या है इसके पीछे की कहानी, क्यों इतना महत्वपूर्ण है मौनी अमावस्या
सागर मंथन कथा के अनुसार जब सागर मंथन से भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए उस समय देवताओं एवं असुरों में अमृत कलश के लिए खींचा-तानी शुरू हो गयी इससे अमृत की कुछ बूंदें छलक कर इलाहाबाद हरिद्वार नासिक और उज्जैन में जा गिरी। यही कारण है कि यहाँ की नदियों में स्नान करने पर अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त होता है। यह तिथि अगर सोमवार के दिन पड़ती है तब इसका महत्व कई गुणा बढ़ जाता है। अगर सोमवार हो और साथ ही महाकुम्भ लगा हो तब इसका महत्व अनन्त गुणा हो जाता है।
क्या है मौनी अमावस्या की पूजन विधि…
शास्त्रों में कहा गया है सत युग में जो पुण्य तप से मिलता है द्वापर में हरि भक्ति से, त्रेता में ज्ञान से, कलियुग में दान से, लेकिन माघ मास में संगम स्नान हर युग में अन्नंत पुण्यदायी होगा। इस तिथि को पवित्र नदियों में स्नान के पश्चात अपने सामर्थ के अनुसार अन्न, वस्त्र, धन, गौ, भूमि, तथा स्वर्ण जो भी आपकी इच्छा हो दान देना चाहिए। इस दिन तिल दान भी उत्तम कहा गया है। इस तिथि को मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है अर्थात मौन अमावस्या। चूंकि इस व्रत में व्रत करने वाले को पूरे दिन मौन व्रत का पालन करना होता इसलिए यह योग पर आधारित व्रत कहलाता है। शास्त्रों में वर्णित भी है कि होंठों से ईश्वर का जाप करने से जितना पुण्य मिलता है, उससे कई गुणा अधिक पुण्य मन का मनका फेरकर हरि का नाम लेने से मिलता है। इसी तिथि को संतों की भांति चुप रहें तो उत्तम है। अगर संभव नहीं हो तो अपने मुख से कोई भी कटु शब्द न निकालें। इस तिथि को भगवान विष्णु और शिव जी दोनों की पूजा का विधान है। वास्तव में शिव और विष्णु दोनों एक ही हैं जो भक्तो के कल्याण हेतु दो स्वरूप धारण करते हैं इस बात का उल्लेख स्वयं भगवान ने किया है। इस दिन पीपल में आर्घ्य देकर परिक्रमा करें और दीप दान दें। इस दिन जिनके लिए व्रत करना संभव नहीं हो वह मीठा भोजन करें।
भूल कर भी न करे ये काम वरना पछताएंगे…
मांस-मदिरा के सेवन से बचें
शास्त्रों के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन मांस-मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन केवल सादा भोजन ही करें। साथ ही जितना हो सके मौन रहने की कोशिश करें।
झूठ बोलने से बचें
मौनी अमावस्या के दिन बोलने से बचना चाहिए। वैसे तो कहा जाता है कि किसी की भलाई के लिए बोला गया झूठ पाप नहीं माना जाता है। लेकिन मौनी अमावस्या के दिन किसी की भलाई के लिए भी झूठ न बोलें। इससे उल्टा प्रभाव आपके जीवन में पड़ने की संभावना रहती है।
देर तक सोने से बचें
धर्म शास्त्रों के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन देर तक सोने से बचना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा स्नान करें। यदि आप गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं, तो पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद सूर्य देवता को अर्घ्य जरूर दें। ध्यान रहे स्नान करने से पहले तक कुछ बोलें नहीं।
श्मशान के पास जाने से बचें
अमावस्या के दिन श्मसान घाट या फिर कब्रिस्तान के आसपास भी न जाएं। इसके अलावा अमावस्या के दिन रात में अधर-उधर न निकलें, क्योंकि उस रात में बुरी आत्माओं का वास होता है।
लड़ाई-झगड़ा करने से बचें
मौनी अमावस्या के दिन किसी से भी लड़ाई-झगड़ा न करें। साथ ही किसी को भूलकर भी कोई ऐसी बात न बोलें, जिससे सामने वाले को बुरा लगे।
पीपल की पूजा न करें
वैसे तो पीपल के पेड़ की पूजा करना शुभ माना जाता है। लेकिन मौनी अमावस्या के दिन पीपल की पूजा नहीं करनी चाहिए। अमावस्या के दिन पीपल की पूजा करना सही नहीं माना जाता है।
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