चंडीगढ़ बीजेपी को सताया डर, क्योंकि ,निगम चुनाव में इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी लड़ेंगे मेयर चुनाव
आप और कांग्रेस का गठबंधन क्या बीजेपी के सपने पर लगा देगा ब्रेक
अपनी अंतरात्मा की आवाज पर पार्षद करे वोट : बीजेपी
चंडीगढ़ नगर निगम मेयर चुनाव के पहले पॉलिटिकल ड्रामा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। मेयर चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी द्वारा आम आदमी पार्टी के पार्षद को तोड़कर भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन करवा दी गई। इसके तुरंत बाद ही आम आदमी पार्टी ने भी भारतीय जनता पार्टी के पार्षद को अपनी पार्टी में ज्वाइन करवा कर भारतीय जनता पार्टी को करारा जवाब दिया था। इसी के साथ कयास लगाए जा रहे थे कि मेयर चुनाव के पहले इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी खेला कर सकती हैं। इसी पर मोहर आज उस समय लग गई जब कांग्रेस पार्टी के मेयर पद के उम्मीदवार बंटी ने अपना नामांकन वापस ले लिया। नामांकन वापस लेते वक्त चंडीगढ़ कांग्रेस के सुप्रीमो पवन बंसल ने कहा कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच मेयर चुनाव को लेकर गठबंधन हुआ है। जहां मेयर पद के लिए आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ेगी तो वहीं डिप्टी मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी।
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के गठबंधन से अब बीजेपी को अंदर ही अंदर डर सताने लगा है। बीजेपी के सीनियर नेताओं को अब 2024 लोकसभा चुनाव से पहले चंडीगढ़ में होने वाले इस सेमीफाइनल मैच मे उनकी नाव डूबती नजर आ रही है । सूत्रों के अनुसार बीजेपी हाई कमान से चंडीगढ़ भाजपा इकाई को सख्त हिदायत आई है कि, *”हारो तो हारो मगर इज्जत मत उतारो।”* यूं तो यह शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण स्टार मूवी हैप्पी न्यू ईयर में दीपिका पादुकोण द्वारा बोला गया एक डायलॉग है मगर यहां पर बीजेपी के आला नेताओं का कहना है कि गठबंधन होने से अगर मेयर संभव नहीं हो पाता है तो डिप्टी मेयर या सीनियर डिप्टी मेयर तो कम से कम अपना करना ही है। बीजेपी आला कमान ने पार्टी के अलग-अलग नेताओं को यह जिम्मेदारी सौंपी है की *साम दाम दंड भेद* कुछ भी करो मगर अपनी झोली खाली नहीं रहनी चाहिए नहीं तो लोकसभा चुनाव से पहले इस सेमीफाइनल में हारने से बहुत किरकिरी होगी।
साम दाम दंड भेद का आखिर क्या है मतलब?
अक्सर सभी ने अपनी जिंदगी में यह शब्द सुने होंगे और कई बार तो इस्तेमाल भी किए होंगे। मगर कुछ चुनिंदा लोगों को ही इनका मतलब भी पता होता है।
साम – इसका मतलब होता है समझा बूझाकर बाजी अपनी ओर करना
दाम – मतलब दाम देकर अपनी जीत करना
दंड – इसका अर्थ तो नाम से ही साफ है, दंड देकर या उसका डर दिखाकर बाजी पलटवा देना
भेद – इसका मतलब है की सामने वाले के भेद जानकर अपनी रणनीति बनाकर जीत हासिल करना
आम तौर पर शुरआत साम यानी प्यार के साथ होती है , मगर इस मामले मे दंड के साथ आरंभ होता हुआ नजर आ रहा है । बीते कल ही नगर निगम में पर्चा वापसी के दौरान जब काला आम आदमी पार्टी के नेताओं के साथ पहुंचे हुए थे तो उनके साथ पंजाब पुलिस के 50 से ज्यादा जवान थे । उसकी वजह है सेक्टर 31 थाने में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अरुण सूद के द्वारा कराई गई FIR , उधर आम आदमी पार्टी ने भी चंडीगढ़ भाजपा के उपाध्यक्ष देवेंद्र बबल के फार्म हाउस पर तलाशी ली है । यही वजह थी कि कल भाजपा छोड़कर आम आदमी पार्टी ज्वाइन करने वाले पार्षद कला पंजाब पुलिस के 50 जवानों के घेरे में घूमते हुए नजर आए ।
साम दाम दंड भेद के अलावा भाजपा के पास जीतने के और क्या विकल्प
अगर भाजपा का साम दाम दंड या भेद में से कोई भी फार्मूला काम नहीं करता है तो उसे स्थिति में भाजपा के पास अपना मेयर सीनियर डिप्टी मेयर या डिप्टी मेयर बनाने के लिए क्या उपाय रहेगा। अगर 18 जनवरी से पहले भाजपा अपनी पार्टी में पार्षदों की संख्या नहीं बढ़ा पाती है तो बीजेपी के पास केवल एक ही उपाय बचता है जिससे वह अपनी जीत की कामना कर सकते हैं। बीजेपी विपक्षी पार्टियों के पार्षदों के वोटों को इनवेलिड करवार कर ही अपना मेयर या सीनियर डिप्टी मेयर या डिप्टी मेयर बनवा सकती है।
किस पार्टी के पास है कितने वोट
शुरुआत में जब आम आदमी पार्टी के पार्षद बीजेपी में शामिल हुए थे तब बीजेपी के नेताओं मे अलग ही उत्साह था कि अब तो उनके रथ को कोई रोक ही नहीं पाएगा। मगर चंद घंटे में ही आम आदमी पार्टी ने करारा जवाब देते हुए बीजेपी के ही एक पार्षद को अपनी पार्टी में शामिल कराया और भाजपा नेताओं के चेहरे की खुशियां गायब कर दी। बात करें अगर वोटों की तो भारतीय जनता पार्टी के पास 13 पार्षदों के वोट हैं। इसी के साथ-साथ भाजपा के पास एक सांसद का वोट भी है जिससे भाजपा के कुल वोट 14 हो जाते हैं। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन के बाद दोनों के कुल मिलाकर वोट 20 हो गए हैं। इसी के साथ-साथ एक वोट शिरोमणि अकाली दल के पार्षद का भी है। हालांकि अकाली दल के पार्षद मेयर चुनाव की वोटिंग में हिस्सा लेंगे या फिर नहीं अभी इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता और लेते भी है तो किसके लिए वोट करेंगे भविष्य के गर्भ में है यह बात।
पार्टियों को सता रहा हॉर्स ट्रेडिंग का डर
सभी पार्टियों को अपने पार्षदों को लेकर हॉर्स ट्रेडिंग का डर सता रहा है। इसीलिए सभी पार्टियों ने अपने-अपने पार्षदों को अलग-अलग जगह पर टूर के लिए भेजा है। कांग्रेस के पार्षद जहां शिमला में विंटर वेकेशन मना रहें हैं। वहीं आम आदमी पार्टी अपने पार्षदों को रोपड़ के एक रिसॉर्ट में लेकर गई है। बीजेपी ने अपने पार्षदों को पंचकुला स्थित पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस भेजा है। कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी के पार्षदों से हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर खुद रूबरू हो सकते हैं। इसके अलावा तीनों पार्टियों द्वारा अपने सभी पार्षदों को विशेष रूप से वोटिंग की ट्रेनिंग भी दी जा रही है ताकि उनका एक भी वोट इनवेलिड ना करार दिया जा सके।
मेयर चुनाव की घोषणा के बाद पहले आम आदमी पार्टी के पार्षद लखबीर सिंह बिल्लू भाजपा में शामिल हो गए। इसके तीन दिन बाद भाजपा के पार्षद गुरचरण काला आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। मेयर चुनावों से पहले और कोई दलबदली ना हो जाए, पार्टियों को इस बात का भी डर है इसीलिए पार्टियां पूरे एहतिहात बरत रही है और पार्षदों को किसी के भी संपर्क में आने नहीं दिया जा रहा है।
चंडीगढ़ के इतिहास में इतना कांटे का मुकाबला चंडीगढ़ की जनता को काफी अरसे बाद दिखाई देने वाला है क्योंकि इस चुनाव के नतीजे की गूंज बहुत दूर तक जाएगी। इस चुनाव के नतीजे का असर पंजाब, हरियाणा और हिमाचल के साथ-साथ लोकसभा चुनाव पर भी पडना निश्चित माना जा रहा है। तो करिए इस पूरे पॉलिटिकल ड्रामा का इंतजार 18 जनवरी तक क्योंकि 18 जनवरी को मेयर पद के लिए चुनाव होना है। उसी दिन पता चलेगा की मेयर का पद इस बार भाजपा की झोली में रहेगा या पहली बार चंडीगढ़ नगर निगम में आम आदमी पार्टी का मेयर बनेगा।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!