लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव एक साथ कराने पर हरियाणा सांसदों & विधायकों में एक राय नही
एक साथ चुनाव कराने को लेकर विधायक राजी मगर सांसद नहीं
शनिवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के रोड शो के बाद देर शाम हरियाणा भारतीय जनता पार्टी की कोर कमेटी की बैठक लोकसभा चुनाव को लेकर हरियाणा भाजपा कार्यालय पंचकमल में बुलाई गई थी । कोर कमेटी की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हरियाणा प्रभारी , मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर , बीजेपी हरियाणा अध्यक्ष नायक सिंह सैनी सहित कई बड़े नेता इस बैठक में मौजूद रहे । कोर कमेटी की बैठक में इस बार 2019 का प्रदर्शन दोबारा से दोहराने को लेकर चर्चा हुई तो इसी बैठक में हरियाणा में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव को साथ मे कराने को लेकर भी चर्चा हुई । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जहां राज्य सरकार लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव करना चाहती है वही हरियाणा बीजेपी के ज्यादातर सांसद इस मामले में राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ हैं ।
पहले आपको बताते हैं की मनोहर लाल खट्टर की सरकार क्यों साथ में चुनाव करना चाहती है ?
तीन राज्यों की चुनाव में जीत के बाद मनोहर लाल खट्टर सरकार को लगता है कि चुनाव में लोकसभा चुनाव में मोदी नाम का जादू सर चढ़कर बोलेगा । क्योंकि इन तीनों चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नही किया गया था । और मध्य प्रदेश में तो सरकार लगभग 18 साल से चल रही थी । एंटी इनकम बेंसी भी थी । उसके बावजूद मध्य प्रदेश में जबरदस्त बहुमत में भारतीय जनता पार्टी की वापसी हुई । हरियाणा में भी मनोहर लाल खट्टर सरकार पिछले 10 सालों से चल रही है और सरकार की जनता के बीच नाराजगी भी बनी हुई है । और 2019 के विधानसभा चुनाव को भी खट्टर सरकार ध्यान में लेकर चल रही है जब खट्टर सरकार का नारा था अबकी बार 70 पर मगर गाड़ी 40 पर ही जाकर रुक गई थी । जबकि विधानसभा चुनाव के 4 महीने पहले ही लोकसभा चुनाव हुए थे और लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार की वापसी हुई थी मगर मोदी सरकार का जादू खट्टर सरकार पर नहीं चल पाया था । यही कारण है कि खट्टर सरकार लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव करवाने की इच्छुक है ।
तो फिर सांसदों को क्या दिक्कत है विधानसभा चुनाव साथ करवाने में !!!!!
2019 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी में क्लीन स्वीप किया था यानी कि हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में 10 की दसों सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में आई थी । इस बार खट्टर सरकार की एंटी इनकंबेंसी जनता में बनी हुई है , जिससे लोकसभा सांसदों को डर लग रहा है । कि कही विधानसभा चुनाव अगर लोकसभा चुनाव के साथ हो गए तो जनता की नाराजगी कही हमारे ऊपर भारी न पड़ जाए । यही एक सबसे बड़ी वजह है जिसका डर लोकसभा चुनाव लड़ने वाले या वर्तमान सांसदों को लग रहा है । जिसका बीती देर रात कोर कमेटी की बैठक में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ करने पर एक राय नहीं बन पाई ।
तो क्या लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे या अलग-अलग होंगे ?
स्थानीय स्तर पर एक राय ना बन पाने की स्थिति में अब यह निर्णय भाजपा हाई कमान की दिल्ली की बैठक में लिया जाएगा कि हरियाणा में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव एक साथ कराई जाए या फिर लोकसभा चुनाव अलग होगा और विधानसभा चुनाव अलग होगा । एक राय बन ना बन पाने की स्थिति में दिल्ली हाई कमान संभवत एक अलग से सर्वे इस बात को लेकर करवा सकता है कि जनता क्या कहती है और लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे या नहीं यह इस सर्वे के रिजल्ट पर ही निर्भर करेगा ।
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