कड़कड़ाती ठंड में सरकार को आया पसीना ,सड़क सुरक्षा कानून पर फिलहाल लगी ब्रेक
2 दिन से चल रही ड्राइवर लॉबी की हड़ताल पर देर रात ट्रांसपोर्ट यूनियन के साथ बैठक के बाद ब्रेक लग गया । मगर इन दो दिनों की हड़ताल में ही सरकार के माथे पर कड़कड़ाती ठंड में ड्राइवर लॉबी ने पसीने छुड़ा दिए । और लोकसभा चुनाव के ठीक पहले सड़क न्याय सुरक्षा संबंधित कानून को लेकर ड्राइवर लॉबी पूरी तरीके से हड़ताल पर उतर गई । और उसका नतीजा जरूरी चीजों की शॉर्टेस्ट 2 दिन के अंदर ही हो गई । देश की ज्यादातर पेट्रोल पंप मंगलवार शाम तक सूख गए । हालात यहां तक बन गए कि कई शहरों के प्रशासन द्वारा शर्तों के साथ पेट्रोल एवं डीजल दिए जाने के आदेश जारी कर दिए गए । उधर सरकार की ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पदाधिकारी के साथ बैठक जारी थी । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बैठक के अंदर सरकार की तरफ से अजय भल्ला बातचीत करने उतरे और अंतत यह फैसला हुआ कि फिलहाल यह कानून लागू नहीं होगा ।
तीन कृषि कानून की तरह सड़क न्याय बिल फिलहाल लागू नहीं
जिस तरह किसानों को लेकर बनाए गए तीन कृषि कानून का किसानों द्वारा जबरदस्त विरोध किया गया था और संसद पर ट्रैक्टर मार्च निकाल दिया गया था उसके बाद दिल्ली की सीमाओं पर किस लगभग 7 महीने तक डेरा डालकर बैठ गए थे । और अंततः मोदी सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा । कुछ इस तरह ड्राइवर लॉबी के सामने सरकार झुकी । क्योंकि सरकार को समझ में आ गया कि सामने लोकसभा चुनाव है । और यह फैसला लोकसभा चुनाव के लिए मोदी सरकार की गाड़ी जिसे कि वह 400 की स्पीड में लेकर आना चाहती है ब्रेक ना लगा दे।
कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्री नेत्र ने सोशल पर शेयर की फनी फोटो
फोटो से ही मैसेज साफ है । दादागिरी नॉट ओके ।
‘दादागिरी नहीं चलेगी मोदी जी’
इतनी ज़ोर से दहाड़े ट्रक ड्राइवर कि साहेब सहम गये ,, कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्री नेत के सोशल मीडिया अकाउंट से
कानून सख्त होना ही चाहिए मगर जनता को भी यह समझना चाहिए कि
ठीक है, हाल के लिए ट्रक ड्राइवर्स की बात मान ली गई।लेकिन ‘हिट एंड रन’ मामलों में सजा सख़्त होनी ही चाहिए।अमेरिका में ट्रक ड्राइवर्स अपनी साइड लेन में चलते हैं, बार बार लेन नहीं बदलते, कभी स्पीडिंग नहीं करते, सावधानी से चलते हैं। अतः एक्सीडेंट भी न के बराबर हैं क्यों कि सजा बहुत सख़्त है। हाँ, मॉब लिंचिंग नहीं होती क्यों कि उसकी भी सजा बहुत सख़्त है। इस प्रकार की हड़ताल से बेहतर है कि क़ानून का पालन करना सीखें, दोनों ड्राइवर्स और जनता।लेकिन अगर सख़्त क़ानून नहीं होगा तो अनुशासन नहीं आएगा । हाँ, हड़ताल के बहाने राजनीति की रोटी सेकने वाले अपने गरेबाँ में झांकें कि जब वे सत्ता में थे तो उन्होंने क्या कदम उठाये कि ‘हिट एंड रन’ मामले कम हों ?
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