मोदी को हराने निकला विपक्षी गठबंधन मगर ,अभी तक तो सीटों पर ही उलझा पड़ा
नहीं थम रही इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे पर रार !!!
4 से 5 महीने के अंदर लोकसभा के चुनाव पूरे हो जाने की संभावना है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी मोदी सरकार की हैट्रिक के लिए पूरी तरीके से कमर कसकर तैयार खड़ी हुई नजर आ रही है। उधर विपक्ष जिन्होंने इंडिया ( शाब्दिक अर्थ ) नाम से गठबंधन बनाया था अभी तक तो सीट बंटवारे को लेकर ही आपस में उलझे पड़े हैं। कौन सा क्षेत्रीय दल , किस राज्य से , कितनी सीट पर चुनाव लड़ेगा इसी बात को लेकर गठबंधन में रार छिड़ी नजर आ रही है। जबकि गठबंधन द्वारा लगातार दावा इस बात का हो रहा है कि मोदी का अश्वमेध रथ का घोड़ा इस बार इंडिया गठबंधन रोक देगा। तो क्या इन हालातो में इंडिया गठबंधन मोदी को हैट्रिक बनाने से रोक पाएगा।
28 दल तो एक साथ , मगर दिल नहीं ?
मोदी की हैट्रिक को रोकने के लिए 28 दल एक साथ अश्मित रथ का घोड़ा रोकने को जमीन पर उतरे हैं । जिसे की इंडिया ( शाब्दिक अर्थ ) नाम दिया गया है। मगर इस गठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती ज्यादातर राज्यों में किसको ( क्षेत्रीय दलों में गठबंधन ) कितनी सीट से चुनाव लड़ाना है, यही सबसे बड़ा मुद्दा है। गठबंधन की कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं मगर अब तक सीट शेयरिंग का कोई निश्चित फार्मूला निकल नहीं पाया है। जबकि चुनाव सिर पर आ खड़ा हुआ है । गठबंधन में शामिल हर क्षेत्रीय दल के अपने-अपने दावों को देखकर तो ऐसा लगता है की मोदी को हराने के पहले इनको अपने आप से लड़ाई करनी पड़ रही है। जहां आज पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि बंगाल में तो टीएमसी बनाम बीजेपी ही चुनाव होगा क्योंकि हमारी लड़ाई सिर्फ और सिर्फ भारतीय जनता पार्टी से है किसी और पार्टी से नहीं। वही महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे शिवसेना ने 23 सीटों पर अपना दावा ठोक दिया है। संजय राउत शिवसेना उद्धव ठाकरे के नेता ने कहा कि शिवसेना महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी है और वह भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ सकती है। तो इसलिए हम 23 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे बाकी सीटों पर इंडिया गठबंधन के दूसरे साथी चुनाव लड़े। इंडिया गठबंधन में सबसे बड़ा मुद्दा सीट शेयरिंग का ही है। उसके बाद दूसरा मुद्दा प्रधानमंत्री का चेहरा कौन होगा या प्रधानमंत्री का चेहरा लेकर चुनाव में जाना है या नहीं जाना है यह भी तय करना है। दरअसल गठबंधन की पिछली बैठक में ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम सामने रखा था जिसका समर्थन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कर दिया था। मगर चर्चा यह चली थी कि खड़गे का नाम आने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नाराज चल रहे थे इसलिए माना यह जा रहा है की गठबंधन प्रधानमंत्री के चेहरे को लेकर चुनाव में नहीं उतरेगा। देश में लोकसभा की कुल 543 सीटे हैं जिसमें कांग्रेस लगभग 300 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है और लगभग 225 सीट वह सहयोगी दलों के लिए छोड़ देना चाहती ताकि गठबंधन के सहयोगी भी चुनाव लड़ सकें। कई राज्यों में कांग्रेस बीजेपी को सीधी टक्कर देती है तो कई राज्यों में सहयोगी दल मजबूत है। जिन राज्यों में सहयोगी दल मजबूत है झगड़ा उन्हीं राज्यों में सीट बंटवारे को लेकर ज्यादा है।
भाजपा ने लॉन्च किया 2024 चुनावी सॉन्ग
भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर “फिर आएगा मोदी” कैंपेन सांग लॉन्च कर दिया है। लगभग 10 मिनट के इस वीडियो में राम मंदिर, नई संसद भवन, सेंघोल की स्थापना सहित प्रधानमंत्री मोदी की कई सार्वजनिक रैलियां नजर आती हैं। इस सॉन्ग के अंदर चंद्रमा की लैंडिंग, जम्मू कश्मीर 370 अनुच्छेद हटाना को भी जगह दी गई है। चुनाव के ठीक पहले भाजपा प्राण प्रतिष्ठा करके राम मंदिर मुद्दे को भी गरमा रही है । यही वजह है की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम जनवरी के अंतिम सप्ताह में होने जा रहा है ।अयोध्या के राम मंदिर मुद्दे को भाजपा पूरी तरीके से भुनाने में लगी हुई है । आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद पूरे भारत में इस समय राम मंदिर मुद्दे को सबसे बड़ा मुद्दा बनाने में लगे हुए हैं ताकि नरेंद्र मोदी को हिंदू हृदय सम्राट साबित किया जा सके। और गठबंधन के पास इस मुद्दे को समर्थन देने के अलावा और कोई चारा नहीं है ।
अगर गठबंधन की सोशल मीडिया पर हो पकड़ और उल जरूर बयानों से रहे दूर
जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी सोशल मीडिया का चुनाव जीतने के लिए पूरी तरीके से इस्तेमाल करती है । और किसी भी प्रकार के विवादित बयानों से भारतीय जनता पार्टी के ज्यादातर नेता दूरी बनाकर रखते हैं । कुछ ऐसी ही रणनीति गठबंधन के नेताओं को भी अपनानी होगी अगर मोदी की हैट्रिक यानी कि अश्वमेध रस का घोड़ा रोकना है तो । भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का जनता से कनेक्शन बनाने का भी अंदाज़ कुछ अलग ही है। चाहे कोई चुनाव हो , चाहे कोई अन्य मुद्दा हो बीजेपी के नेता अपनी बात जनता के दिमाग में कुछ इस तरह फिट करते हैं जैसे उसके अलावा कुछ और है ही नहीं। जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण अपने आप में सुनने योग्य होता है तो वहीं दूसरी तरफ उनके नेता भी कुछ कम नहीं है। अगर इस बात को सरलता से समझना है तो आप भारतीय जनता पार्टी और अन्य विपक्षी दलों के सोशल मीडिया अकाउंट्स उठाकर देख सकते हैं। कोई भी नया ट्रेंड हो, जहां एक तरफ बीजेपी उसको पलभर में लपक कर युवाओं को लुभाती है तो वहीं दूसरी तरफ अन्य विपक्षी दल इसमें मात खा जाते हैं। विपक्षी दलों को भी आज के इस आधुनिक दौर में आधुनिकीकरण से चुनाव लड़ना है तो उन्हें भी अपनी सोशल मीडिया अकाउंट्स पर उतना ही तेज होना पड़ेगा जितना बीजेपी तब होती है जब कांग्रेस या अन्य किसी विपक्षी दल का कोई नेता उल जलूल बयान देता है।
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