*स्वास्थ्य मंत्री के ललनटॉप हॉस्पिटल के दावे फेल* दवाईयों की कमी से जूझ रहे मरीज,बाजार से महँगी दवाइयां खरीदने को मजबूर
*स्वास्थ्य मंत्री के ललनटॉप हॉस्पिटल के दावे फेल*
रायपुररानी,22 दिसम्बर,देवेन्द्र बाजवा
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के आदेशों के बावजूद सीएचसी रायपुररानी में मरीज सुविधाओं का अभाव झेल रहे है। हालात यह है कि डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाइयां सीएचसी में उपलब्ध ही नहीं है। जबकि स्वास्थ्य मंत्री इस संबंध में स्पष्ट आदेश दे चुके हैं कि सरकारी अस्पतालों से मरीजों को दवाइयां दी जाए। लोगों का आरोप है कि डॉक्टरों की मिलीभगत के चलते यह पूरा खेल चल रहा है। मरीजों को मजबूरी में बाजार से महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं। बताया जा रहा है कि सीएचसी में दवाइयों का पूरा स्टॉक नहीं है, जिसके कारण मरीजों को दवाइयां नहीं दी जा रही है। जब इस संबंध में खबरी प्रशाद अखबार ने डॉ.गौरव प्रजापति से बात की, तो उन्होंने कहा कि सिविल सर्जन पंचकुला और डीजी मेडिसिन हेडक्वार्टर को दवाइयों की आपूर्ति करने के लिए एक पत्र लिखा गया है।
*सस्तें इलाज का दावा फेल,मरीज़ों की जेबों पर पड़ रहा डाका*
सीएचसी रायपुररानी में मरीज दवाइयां लेने के लिए सुबह से लंबी कतारों में लगे रहते हैं। जब उनका नंबर आता है, तो उन्हें डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाइयां में से एक या दो दवाई ही दी जाती है। मरीजों को बाकी की दवाई बाजार से खरीदने के लिए कह दिया जाता है। सीएचसी अस्पताल में लंबे समय से यह हालात बने हुए हैं। मजबूरी में मरीजों को बाहर से महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही है। दवाइयों के लिए कतारों में लगे मरीजों ने बताया कि बाजार से महंगी दवाइयां खरीदने के कारण उन्हें सरकारी योजना या सरकारी अस्पताल का लाभ ही नहीं मिल पा रहा है। बाजार से दवाइयां खरीद रहे गरीब मरीजों की जेब पर यह डाका डालने से कम नहीं है। मरीजों का आरोप है कि डॉक्टर पर्ची पर अस्पताल की कम और बाहर की दवाइयां ज्यादा लिख रहे है। निजी अस्पतालों में महंगे इलाज से बचने के लिए लोग सरकारी अस्पताल में 5 रुपए में इलाज कराने आते हैं, लेकिन सस्ता इलाज का दावा महंगी दवाइयों के कारण एक मजाक बनकर रह गया है।
*दवा वितरण खिड़की से बैरंग घर लौट रहे मरीज*
दवा वितरण खिड़की पर मरीज जब डॉक्टर की लिखी पर्ची देते हैं, तो कर्मचारी डॉक्टर की लिखी दवाई पर काटा लगाकर वापस मरीज को दे देते हैं। खबरी प्रशाद के संवाददाता ने जब इस मामले की पड़ताल की तो सामने आया कि यह सिलसिला लंबे समय से चला आ रहा है। टीम ने अस्पताल परिसर में सुबह 11 बजे से 12 बजे तक लगभग दो दर्जन मरीजों से बातचीत की। इस दौरान 20 मरीजों को बाहर से दवाई लेने को कहा गया। सरकारी अस्पताल में गरीब तबके के लोग अधिक आते हैं, जो बाहर से दवा लेने में सक्षम नहीं होते हैं। वह दवा ना मिलने पर कई बार बैरंग घर लौट जाते हैं। रायपुररानी सीएचसी में अव्यवस्थाओं का आलम है। मरीजों की संख्या के अनुपात में दवा वितरण केंद्रों की संख्या कम है। बुजुर्गों के लिए अलग से व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसे में बुजुर्गों को भी काफी देर तक लंबी कतारों में लगे रहना पड़ता है।
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