अति आत्मविश्वास का शिकार हुई कांग्रेस
एक कहावत है की विश्वास होना अच्छा मगर अती विश्वास होना बुरा । पांच राज्यों के चुनाव में किन चीजों को देखकर कांग्रेस के साथ भी ऐसा ही लगता है कि कांग्रेस अति आत्मविश्वास का शिकार हो गई है । कांग्रेस नेताओं का कहना है कि हम आत्म मंथन करेंगे कि हर किसी तरह हुई और क्यों हुई । बिल्कुल करना चाहिए हर पार्टी के नेताओं को अपनी हर पर आत्म मंथन करना ही चाहिए कि हम क्यों हर आखिर हमसे ऐसी क्या गलती हुई कि मतदाताओं ने हमें नहीं चुना । मगर वातानाकुलित कमरे में बैठकर अगर आत्म मंथन करेंगे तो अगले चुनाव में भी संभव होते हैं वही बैठना पड़ेगा जहां इस चुनाव में बैठे नजर आ रहे हैं आत्म बंधन करने के लिए वतना कुलित कमरे की जगह अगर कांग्रेस नेता जमीन पर उतरकर काम करना शुरू कर दें और सबसे बड़ी बात की कांग्रेस नेता गुटबाजी छोड़कर एक प्लेटफार्म पर सभी नेता अगर नजर आ जाए तो उसका भी असर कहीं ना कहीं पड़ता ही है । मध्य प्रदेश में कमलनाथ और दिग्विजय की लड़ाई जग जाहिर है । राजस्थान में सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के झगड़ों को कौन नहीं जानता । लोग तो आज यह भी कहते हुए नजर आ रहे हैं कि मुख्यमंत्री ने सट्टा कम दी सरकार चली गई मगर मुख्यमंत्री सचिन पायलट को नहीं बनने दिया । राज भवन में अशोक गहलोत ने जब अपना इस्तीफाराज्यपाल कलराज मिश्र को दिया है और जो तस्वीर वहां से निकाल के सामने आई है उसे तो ऐसा ही लगता है कि सत्ता चली गई मुझे कोई गम नहीं मगर सचिन पायलट को नकल मुख्यमंत्री बनने दिया था ना भविष्य मुख्यमंत्री बनने दूंगा ।
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