राजनीति में युवाओं की भागीदारी बढ़ाई जाए, देश को भावी युवाओं के नेतत्व की जरूरत
राजनीति में युवाओं को आगे लाने की बात सभी राजनीतिक पार्टियां करती हैं लेकिन वे पूरी तरह से इस मामले में एकमत नजर नहीं आती दिखाई देती। क्योंकि इसमें उन्हें बुर्जुग नेताओं को सियासत में बिछाई शतरंज की चाल के मोहरे धरे के धरे रह जाने का खतरा जहां मंडरता दिख रहा है, वहीं दूसरी ओर सारी मलाई टिकट के रूप में युवा पीढ़ी ही खा जाएगी, यह बात उन्हें हजम नहीं होने वाली। वहीं दूसरी ओर जब हमारे संवाददाता ने इस बारे में लोगों के दिल की बात टटोलने का प्रयास किया तो हाकम सिंह व सज्जन सिंह ने कहा कि राजनीति में युवाओं की भागीदारी बढ़ाई जानी चाहिए और लोक सभा के चुनावों में युवा पीढ़ी को ही ज्यादा से ज्यादा टिकट दिए जाने चाहिएं। उनका कहना है कि भले ही इस तरह के प्रयोग से बुर्जुग नेता कुछ निराश हों लेकिन यदि यह प्रयोग सभी दलों के हाईकमानों ने कर दिया तो यह देश के लिए किसी परमाणु परीक्षण करने से कम नहीं होगा। रमण अरोड़ा व मीत सिंह सचदेवा का कहना है कि इससे देश की राजनीति में यह सोच व नए उत्साह को बल मिलेगा। लेकिन लोगों का यह सोच तभी सकारात्मक साबित हो सकती है जब सभी राजनीतिक पार्टियां इस विषय में गंभरीता से विचार विमर्श कर युवाओं की भागीदारी को बढ़ाते हुए युवाओं को आगे लाएं। सोमनाथ अरोड़ा व राजेश मदान ने कहा कि राजनीति में यदि युवाओं की भागीदारी बढ़ा दी जाए और उन्हें भी देश का नेतृत्व करने के अवसर दिए जाएं तो देश और भी खुशहाल होगा। इंजीनियर डी.एल. गुप्ता व राम प्रकाश सुखीजा का कहना है कि इस समय देश को भावी युवाओं के नेतत्व की जरूरत है। गौरतलब है कि अतीत में राÞल गांधी भी युवाओं को आगे लाने की बात कहकर इस ओर इशारा कर चुके हैं कि देश के युवाओं को अब राजनीति में लाया जाए। गौरतलब है कि हरियाणा के राजनेता कुलदीप बिशनोई,अजय चौटाला व अभय चौटाला और कांग्रेस के राहुल गांधी युवा पीढ़ी को आगे लाने पर जोर देते आ रहे हैं। लेकिन इस मामले में जिला करनाल के लोगों की सोच भी युवाओं को ही आगे लाने की है। इस बारे में संजीव मल्होत्रा व संदीप पोपली व सोनू मल्होत्रा ने कहा कि जब 18 साल के युवा को मत देने का अधिकार दिया गया है और वह अपनी सूझ बूझ से अच्छे बुरे नेता की पहचान करते Þए उनको वोट देकर चुनते हैं तो युवाओं को राजनीति में भी आगे लाने के लिए हर्ज ही क्या है। सुनील ग्रोवर का कहना है कि राजनीति में बुर्जुगों को पीछे धकेलने की बात नहीं है। उनका मानना है कि राजनीति में भी पढ़े लिखे व काबिल लोगों को आना चाहिए और इनके लिए भी क्वालीफिकेशन के माप दंड तय होने चाहिएं। क्योंकि देश को चलाने की जिम्मेदारी कोई आसान काम नहीं है। युवाओं को भी स्वयं आगे आना चाहिए। हाईकमान को इस संबंघ में निर्णय लेकर इस बारे विचार विर्मश करना चाहिए।
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