अधिकारों के साथ मौलिक कर्तव्यों के प्रति भी रहें सचेत
संविधान दिवस पर विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता का आह्वान
विधान सभा में भव्य समारोह, डॉ. अम्बेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित
अधिकारियों-कर्मचारियों को करवाया संविधान की उद्देश्यिका का वाचन
हरियाणा विधान सभा की ओर से रविवार को संविधान दिवस के मौके पर भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने केंद्रीय संसदीय मंत्रालय की वेबसाइट से संविधान की उद्देश्यिका को पढ़कर कर डिजीटल प्रमाण पत्र हासिल किया और विधान सभा के अधिकारियों और कर्मचारियों को इसका वाचन करवाया। इससे पूर्व उन्होंने विधान भवन में स्थापित संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल के शुरू से ही संवैधानिक संस्थाओं और मूल्यों को सुदृढ़ करने के लिए अनेक कारगर कदम उठाए हैं। संविधान दिवस पर होने वाले इस प्रकार के आयोजन उसी कड़ी का एक हिस्सा है। उन्होंने नागरिकों से आह्वान किया कि वे संविधान प्रदत अधिकारों के प्रति जागरूक रहते हुए संविधान के भाग 4 क के अंतर्गत अनुच्छेद 51 क में दिए मौलिक कर्तव्यों के पालन के प्रति भी सचेत रहें। अपने कर्तव्यों को पालन करने वाले नागरिकों के बल पर ही कोई राष्ट्र परम वैभव को प्राप्त कर सकता है।
गुप्ता ने कहा कि आज पूरा देश अपने संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता अर्पित कर रहा है। आज के दिन ही वर्ष 1949 में हमारे संविधान निर्माताओं ने विश्व के सबसे बड़े लिखित संविधान का निर्माण कार्य पूरा किया था। 26 नवंबर को समस्त देशवासियों का प्रतिनिधित्व कर रही संविधान सभा के तौर पर भारत के लोगों ने इसे अंगीकृत एवं आत्मसमर्पित किया।
उन्होंने कहा कि इस संविधान के तहत कार्य करते हुए महान भारत निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर रहा है। आज भारत ने जो मुकाम हासिल किया है, उससे अगर सबसे बड़ी भूमिका की बात की जाए तो निश्चित रूप से इसका श्रेय संविधान को जाएगा। यह संविधान सिर्फ आकार में विश्व का सबसे बड़ा संविधान नहीं है अपितु इसकी व्यावहारिकता, इसकी ग्राह्यता और दूरगामी दृष्टि इसे विश्व का सबसे आदर्श संविधान भी बनाती है।
इसका प्रमुख कारण यह रहा कि हमारे संविधान निर्माता जहां कानून के श्रेष्ठतम जानकार थे वहीं वे आधुनिक भारत की जरूरतों और इसके शाश्वत मूल्यों की बारीकियों को भी समझते थे। इसमें जहां नए भारत का स्पष्ट विजन स्पष्टता से रेखांकित किया गया, वहीं वैश्विक समाज में हमारी भूमिका प्रभावी बनी है। इस संविधान के तहत भारत ने संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली को अपनाया, जिसका सीधा सा तात्पर्य है जनता का शासन।
इसने समस्त अधिकार जनता को सौंपे, जिसके तहत जनता अपने में कुछ लोगों को अपना प्रतिनिधि चुनती है। इन प्रतिनिधियों में से ही बहुमत के आधार पर सरकारों का गठन होता है। ये प्रतिनिधि सरकारों का गठन करने के साथ-साथ उस पर पैनी निगाह तथा अंकुश भी रखते हैं। इस पूरी व्यवस्था में सरकारों की जवाबदेही स्वत: जनता के प्रति सुनिश्चित हो जाती है।
आज विश्व तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। विज्ञान और तकनीक का विकास अपने चरम पर है। तकनीक विकास की रफ्तार इतनी तीव्र है कि प्रगति के मापदंड आए दिन बदल रहे हैं। भारत को वैश्विक समाज में अपना सम्मानजक स्थान बनाए रखना अत्यंत जरूरी हो जाता है। ऐसे में भारत की जनता और इसके जनप्रतिनिधि विधायक, सांसदों की जिम्मेदारी कहीं ज्यादा हो जाती है।
विधान मंडलों के सदस्यों द्वारा यहां दिए वक्तव्यों को कहीं भी चुनौती नहीं दी जा सकती। ऐसे में यह व्यवस्था अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बड़ा आदर्श रूप बनने के साथ-साथ जनता की आवाज का सशक्त माध्यम भी बन जाती है। पूरी व्यवस्था में जहां विधायकों और सांसदों की जिम्मेदारी अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाती है तो वहीं जनता की भूमिका भी प्रभावशाली होनी चाहिए। जनता और जनप्रतिनिधियों की सचेत भूमिका ही लोकतांत्रिक व्यवस्था को समुन्नित बनाएगी।
विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने संविधान दिवस के इस अवसर पर जनता और जनप्रतिनिधियों से आह्वान किया कि वे अपनी भूमिका का निर्वहन पूरी कुशलता और राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए करें।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!