त्योहारों का बदलता स्वरूप और समाज
भारत तीज-त्योहारों का देश है। यहां शायद ही कोई हफ्ता ऐसा बीतता हो जिस हफ्ते में भारत के किसी न किसी इलाके में तीज या त्योहार ना आते हो। कभी महाराष्ट्र में गणेश उत्सव चलता है तो पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा तो पूर्वांचल में बिहू आ जाता है तो पंजाब में लोहड़ी। आजकल कि अगर बात करें तो, पूरे देश में पंचदिवसीय त्योहारों का समय चल रहा है। धनतेरस, दीपावली अन्नकूट, भैया दूज और उसके बाद में पूर्वांचल का प्रमुख त्योहार छठ पूजा।
त्योहारों का बदल रहा स्वरूप
अगर इतिहास के आईने में झांके यानी लगभग 25 – 30 साल पहले की बात करें तो त्यौहार भारत के किसी भी इलाके में हो कोई सा भी त्यौहार हो, लोग मिलजुल कर आपस में प्यार बांटकर मानते थे। लोग अपने-अपने घरों में त्योहारों की विशेष तौर पर तैयारी किया करते थे। मगर जैसे-जैसे बाजारीकरण समाज पर हावी हुआ वह प्यार और मोहब्बत धीरे-धीरे घटने लगी। आजकल तो आलम यह हो गया है की मिठाई तक भी बाजार से खरीद कर आने लगी है। इतिहास में ही अगर झांके तो 25 30 साल पहले लोग होली पर या दीपावली पर, लोग एक दूसरे से घर जाकर शुभकामनाएं प्रेषित करते थे और एक दूसरे का हाल-चाल लेते थे। मगर जब से सोशल मीडिया ने हमारे और आपके जीवन में एंट्री ली है, तब से एक दूसरे के घरों में आना जाना अब मुश्किल हो गया है। यहां तक की अब तो फेसबुक और व्हाट्सएप पर ही शुभकामनाएं भेज दी जाती हैं और वहीं पर शुभकामनाएं मिल भी जाती है।
धीरे-धीरे बढ़ रहा गिफ्ट लेने-दिन का चालान
बाजारीकरण क्या हावी हुआ की की एक दूसरे को गिफ्ट देने का चलन भी धीरे-धीरे बाजार ने हमारी और आपकी आदत में शामिल हो गया। अगर आज के समय में कोई भी त्यौहार हो और आस-पड़ोस के लोग एक दूसरे को गिफ्ट ना दें तो ऐसा लगता है कि त्योहार अधूरा है। बल्कि कई बार तो गिफ्ट देने वाला और लेने वाला दोनों मां महसूस कर लेनदेन करते हैं। गिफ्ट देने वाला कहता हुआ नजर आता है कि गिफ्ट फलां फलां को गिफ्ट देने जाना पड़ रहा है और गिफ्ट लेने वाला उस गिफ्ट को लेकर दूसरे को आगे टरकाने के प्रयास में लगा रहता है क्योंकि उसे भी तो आगे गिफ्ट देना ही है। यही गिफ्ट कल्चर कहीं ना कहीं आपस के प्रेम को या आपस के प्यार को कम करता हुआ नजर आ रहा है, क्योंकि कई बार लोग चाहते हुए भी एक दूसरे के घर इसलिए नहीं जाते क्योंकि गिफ्ट देना पड़ेगा। उनकी वैल्यू हमारे से ज्यादा है और हम उनके लिए क्या गिफ्ट लेकर जाए इस अवसर पर, इसको ध्यान में रखते हुए भी लोग एक दूसरे से दूर हटते हुए नजर आ रहे हैं।
त्योहारों का बदलता स्वरूप और समाज
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