शिक्षा, शोध, उत्पाद और सेवा के माध्यम से वैश्विक स्तर पर तैयार किया जा रहा है आयुर्वेद चिकित्सा तंत्र का ताना बाना : सर्बानन्द सोणोवाल
अपनी नीतियों, रणनीतियों और प्रयासों के ज़रिए भारत में जमीनी स्तर पर एक मजबूत आयुष तंत्र का निर्माण कर एक वैश्विक प्रसार का आधार बनाया गया है
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) 2020, आधुनिक भारत को एक बार फिर से विश्व गुरु बनने की राह पर ले जाने वाले एक बड़े कदम के रूप में साबित होगी
जी20 देशों ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट, समग्र स्वास्थ्य और पार्यवरण की समस्या पर ध्यान देने की जरूरत को समझा है
जी20 की बैठक में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के संदेश को सदस्य देशों की सहमति मिलना और जी20 डिक्लेरेशन एक अभूतपूर्व सफलता है
नए प्रयोगों को महत्व देने के विचार के साथ पिछले एक दशक में भारत एक विकास सील देश से विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन कर उभरा है
आयुष मंत्रालय द्वारा देश के आठ राज्यों की नेशनल आयुष मिशन (एनएएम) रिव्यू मीटिंग आयोजित की गई
पंचकूला , 9 नवंबर : शिक्षा, शोध, उत्पाद और सेवा के माध्यम से वैश्विक स्तर पर एक संगठित आयुर्वेद तंत्र का निर्माण आयुष मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
हरियाणा के पंचकूला में आठवें आयुर्वेद दिवस महापर्व के संदर्भ में हो रही कॉनफेरेंस के उद्घाटन सत्र में केन्द्रीय आयुष मंत्री सर्बानन्द सोणोवाल ने यह बात कही। आयुर्वेद चिकित्सा हजारों साल पुरानी एक संस्कृति का हिस्सा है और प्राचीन काल से यह भारत के समाज, शिक्षा, सेवा और जीवनचर्या के रूप में मौजूद रही है।
सोणोवाल ने कहा कि हाल ही में जी20 की बैठक में भारत ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का संदेश सदस्य देशों के सामने प्रस्तुत किया जिसे सभी की सहमति प्राप्त हुई और जी20 डिक्लेरेशन के जरिए एक अभूतपूर्व सफलता हासिल हुई। नए-नए प्रयोगों को लेकर लगातार आगे बढ़ते रहने की सोच जिनमें से आयुष का विकास भी एक है, भारत को एक विकासशील देश से विश्व के पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में बदल दिया है।
युवा और जन सामान्य सभी कृषि, बागबानी और पशु चिकित्सा से जुड़े आयुर्वेद के उत्पादों का व्यावसायिक निर्माण कर सफल स्टार्टअप्स का निर्माण कर सकते हैं। ऐसे स्टार्टअप्स के बनने और बढ़ने से भारत की अर्थव्ययवस्था एक आत्म निर्भर अर्थव्यवस्था बन कर और मजबूत बन सकेगी।
‘आयुर्वेद दिवस’ के सदर्भ में हो रही कॉनफेरेंस के उद्घाटन में केन्द्रीय आयुष राज्य मंत्री मुंजपरा महेंद्रभाई भी विशिष्ठ अतिथि के रूप में मौजूद रहे। श्री मुंजपरा ने कहा कि ‘स्वास्थ्य’ सेवा का विकास सरकार की जिम्मेदारी है और आयुर्वेद चिकित्सा की खास बात है कि वो स्वस्थ रहने के लिए जन सहभागिता पर जोर देती है। आयुर्वेद को जीवनचर्या का हिस्सा बनाकर स्वास्थ्य जगत की सर्विस डिलवरी को और अधिक मजबूत किया जा सकता है।
समारोह के विशेष अतिथि आयुष मंत्रालय के सचिव पद्मश्री वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि आयुर्वेद ज्ञान का एक कभी न समाप्त होने वाला खजाना है जो समय और संस्कृति के अनुसार आगे बढ़ता रहता है। आज हम इसी उद्देश्य से यहाँ उपस्थित हुए हैं कि आयुर्वेद की इस संस्कृति को हम जन स्वास्थ्य की वैश्विक सोच के साथ कैसे आगे बढ़ा सकते हैं।
आयुष मंत्रालय के प्रयासों से ‘आयुर्वेद फॉर वन हेल्थ’ संदेश के साथ एक माह का वैश्विक अभियान आज पूरा हुआ। पूरी दुनिया से करोड़ों की संख्या में लोग इस अभियान से जुड़े और आयुर्वेद के जरिए मानव, जीव-जन्तु, पर्यावरण और पेड़-पौधे कैसे स्वस्थ रह कर एक अनोखे आयुर्वेद तंत्र का निर्माण कर सकते हैं, इस बात को समझा।
कॉनफेरेंस के साथ ही ‘आयुर्वेद महापर्व’ एक्सपो और आठ राज्यों की नेशनल आयुष मिशन (एनएएम) की रिव्यू मीटिंग भी आयोजित की गई। देश भर से आए आयुर्वेद उत्पाद निर्माताओं, स्टार्ट अप्स और आयुर्वेद प्रोफेशनल्स ने अपने उत्पाद प्रस्तुत किए। नेशनल आयुष मिशन (एनएएम) की बैठक में सभी आठ राज्यों के कार्य और गतिविधियों की समीक्षा की गई और नेशनल आयुष मिशन को सफल बनाने के लिए आयुष मंत्रालय ने सभी राज्यों के प्रतिनिधियों से आग्रह किया और उद्घाटन समारोह के दौरान ही आयुष मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्री माती कविता गर्ग ने आठों राज्यों में आयुष मिशन की विभिन्न गतिविधियों और प्रगति पर एक समीक्षात्मक प्रस्तुति दी। कॉनफेरेंस के उद्देश्य और उसकी व्याप्ति पर आयुष मंत्रालय के आयुर्वेद सलाहकर वैद्य मनोज नेसरी ने परिचयात्मक टिप्पणी की। कल दस नवंबर को आठवें आयुर्वेद दिवस का मुख्य समारोह धन्वंतरि दिवस के उपलक्ष्य में इंद्रधनुष सभागार, पंचकूला में सम्पन्न होगा।
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