तीन दिवसीय 45वें वार्षिक चंडीगढ़ संगीत सम्मेलन का पहला दिन
शास्त्रीय संगीत गायिका चिन्मयी और बांसुरी वादक बहनें देबोप्रिया और सुचिस्मिता ने अपने अतुल्य जुगलबंदी प्रदर्शन से दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध
सम्मेलन के दूसरे दिन गायिका अनघा भट्ट और आदित्य खांडवे प्रस्तुति देंगे
चंडीगढ़ 3 नवंबर 2023ः इंडियन नेशनल थियेटर द्वारा दुर्गा दास फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय 45वें वार्षिक चंडीगढ़ संगीत सम्मेलन के पहले दिन हिंदुस्तानी संगीत गायिका विदुषी चिन्मयी अथाले ने अपने मधुर गायन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। जबकि बांसुरी वादक बहनें देबोप्रिया और सुचिस्मिता ने अपनी बांसुरी की कर्णप्रिय लहरियों की प्रस्तुति से उपस्थित श्रोताओं का समां बांधा और खूब प्रशंसा बटोरी।
बतां दे कि इस वर्ष का यह संगीत सम्मेलन इंडियन थियेटर के संरक्षक स्वर्गीय एन खोसला की याद में आयोजित किया जा रहा है जिनकी इस वर्ष स्वर्गवास हो गया था। कार्यक्रम से पूर्व इंडियन नेशनल थियेटर के प्रेसिडेंट अनिल नेहरू ने इंडियन नेशनल थियेटर के संरक्षण स्वर्गीय एन खोसला को भावभीनी श्रद्धांजलि दी जिसके बाद दो मिनट का मौन रखा गया।
कार्यक्रम की शुरूआत में स्ट्रॉबेरी फील्ड्स हाई स्कूल के छात्रों ने सामूहिक सरस्वती वंदना के साथ की।
सेक्टर 26 के स्ट्रॉबेरी फील्ड्स हाई स्कूल के ऑडिटोरियम में आयोजित इस संगीत सम्मेलन में सबसे पहले चिन्मयी अथले ने अपने गायन की शुरुआत राग मधुवंती में निबद्ध विलम्बित एक ताल की बंदिश ‘ए मां तू अम्बिके अक्षरे त्रियम्बके से की। जिसके पश्चात मध्यलय तीनताल में निबद्ध एक सुंदर रचना व द्रुत आड़ाचैताल में निबद्ध तराना सुनाकर श्रोताओं से खूब प्रशंसा बटोरी। उन्होंने इस बाद राग हंसध्वनि में मध्यलय में एक तराना और तीन ताल में निबद्ध एक द्रुत बंदिश ’जब से लागी लगन तोसे’ प्रस्तुत की।
चिन्मयी के साथ तबले पर जयदेव तथा हारमोनियम पर विनय मिश्रा ने उनके साथ बखूबी संगत की।
दूसरी ओर बांसुरी वादक बहनों देबोप्रिया और सुचिस्मिता ने अपनी बांसुरी की सुरीली ध्वनि से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया और श्रोताओं से खूब प्रशंसा बटोरी। उन्होंने अपनी प्रस्तुति राग मारु बिहाग से शुरू की। जिसमंेे आलाप, जोड़ और झाला की कर्णप्रिय प्रस्तुति दी। अपनी प्रस्तुति को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने इसके पश्चात रूपक ताल में निबद्ध (7 बीट्स का एक लयबद्ध चक्र) पर निबद्ध मध्य लय में एक संुदर रचना प्रस्तुत की। उन्होंने अपने वादन का समापन तीन ताल (16 बीट्स का एक लयबद्ध चक्र) पर सेट एक द्रुत बंदिश को श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत कर खूब प्रशंसा बटोरी।
इस दौरान उनके साथ तबले पर अविर्भव वर्मा ने बखूबी संगत की।
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