बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ नारा क्या सिर्फ बोलने के लिए ?
बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ ऐसा लगता है की सरकारों का यह नारा सिर्फ और सिर्फ कागजों में ही है । जमीनी हकीकत इस नारे से कोसों दूर नजर आती है । बेटियां पढ़ेंगी तब , जब बेटियां बचेगी । महाभारत काल में दुशासन जिसने द्रौपदी की साड़ी भरी सभा में खींची थी और सभी विद्वान वहां पर चुप थे । आज भी कुछ ऐसा ही हो रहा है । चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र बनारस हो , हरियाणा का जींद हो , हिसार हो या देश का अन्य कोई भी राज्य हो , बेटियां आज कहीं भी सुरक्षित नजर नहीं आ रही है । आज बात बीते कुछ दिनों में घटी तीन बड़ी घटनाओं पर करते हैं , यूं तो घटनाएं इतनी है कि उनके लिए पूरा अखबार कम पड़ जाएगा । मगर तीन बड़ी घटनाओं का जिक्र इसलिए जरूरी है , क्योंकि तीनों ही घटनाएं स्कूल / कॉलेज से जुड़ी हुई है । पहली घटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र बनारस की है , जहां पर की एक युवती रात में अपने दोस्त के साथ कहीं जा रही होती है ( जैसा पुलिस को शिकायत में बताया गया है ) और तीन बुलेट सवार लोग अचानक कहीं से आते हैं , उनके वाहन को रोका जाता है , लड़की के साथ जबरन अश्लील हरकतें की जाती है , लड़की के कपड़े उतरवाए जाते हैं और वीडियो बनाई जाती है और फिर वह भाग जाते हैं । दूसरा मामला बनारस से लगभग 1000 किलोमीटर दूर हरियाणा के एक जिले जींद के सरकारी स्कूल का है । जहां के प्रिंसिपल पर आरोप है कि उसने अपने दफ्तर के दरवाजे पर काले शीशे लगाकर रखता है , और उस काले शीशे के पीछे उसके कारनामे भी काले ही होते हैं । इन काले कारनामों में स्कूल की ही एक महिला टीचर भी सहयोगी बनती है । और मजे की बात तो यह के शिकायत होने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होती है , और कार्यवाही भी तब होती है , जब मामला हरियाणा महिला आयोग ( जैसा रेनू भाटिया चेयरपर्सन ने आज पत्रकारों को बताया ) में पहुंच जाता है । आज सवाल इस बात का है कि आखिर किस विश्वास के साथ में अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे ? जिस स्कूल के प्रिंसिपल या टीचर पर भरोसा करके वह स्कूल भेजते हैं अगर वही दुशासन का रोल निभाने पर उतर जाए तो जिम्मेदार कौन होगा या यह जिम्मेदारी किसकी होगी ? क्या सिर्फ कागजों में बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ लिखने से बेटियां बचेंगी । जमीन पर भी इन खूबसूरत नारो की हकीकत जानने के लिए सरकार दिखेगी ।
तीसरा मामला वह भी स्कूल से ही जुड़ा हुआ है और वह भी हरियाणा के हिसार के स्कूल का है । जहां पर स्कूल का एक टूर राजस्थान के उदयपुर गया था । इस टूर मे जहां लड़कियां थी वही लड़के भी थे और स्कूल के महिला अध्यापक और पुरुष अध्यापक भी इस टूर प्रोग्राम का हिस्सा थे । साथ-साथ स्कूल के डीन भी अवैध तौर पर उदयपुर साथ गए थे । आरोप स्कूल के डीन पर कुछ बच्चों के द्वारा लगाया गया है , यहां भी आरोप संगीन ही है । बच्चों का आरोप है कि डीन ने टूर कार्यक्रम के दौरान वहां पर शारीरिक शोषण किया है । डीन के द्वारा कुछ बच्चियों के शरीर के अंतर वस्त्र के साथ छेड़खानी की गई और डीन पर यह भी आरोप है कि वह बच्चियों के बिस्तर में भी घुसने की कोशिश उनके द्वारा की गई ।
यहां पर आज हमने इन तीन मामलों का जिक्र इसलिए किया है , ( हमारा उद्देश्य किसी सरकार विशेष को क्रिटिसाइज करना नहीं है , क्योंकि तीनों ही मामलों में सरकार भारतीय जनता पार्टी शासित ही है । ) और तीनों के तीनों मामले स्कूल या कॉलेज से जुड़े हुए हैं । यह वही स्कूल कॉलेज है जहां पर सरकार बड़े-बड़े पोस्टर और बड़े-बड़े बैनर लगाकर प्रचार करती है , बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ । मगर इन हालातो में कैसे कोई अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजेगा या विश्वास कर सकेगा कि मेरी बच्ची जिस स्कूल में जा रही है वहां वह सुरक्षित है ।
प्रधानमंत्री जी के निर्वाचन क्षेत्र बनारस में दो हजारों छात्र सड़कों पर लगभग 12 घंटे तक डटे रहे तब जाकर बीएचयू प्रशासन ने उनकी बात सुनी और एक हफ्ते के अंदर इस बात का भरोसा दिया गया कि एक हफ्ते के अंदर जो भी अपराधी हैं उनको गिरफ्तार करके सलाखों के पीछे डाला जाएगा उसके बाद छात्रों ने अपना धरना खत्म किया ।
हरियाणा की जींद मामले को लेकर आज हरियाणा महिला आयोग की चेयरपर्सन रेनू भाटिया ने एक पत्रकार वार्ता की । रेनू भाटिया का कहना था कि जिस तरह की शिकायत आई है , यह शर्मिंदगी की बात है कि महिला DEO को बच्चियों ने शिकायत दी थी , मगर उसने लापरवाही बरती । हमारे पास शिकायत 13 सितंबर को आई , हमने जांच के लिए अगले दिन ही भेज दी । मगर हैरानी की बात तो यह है कि लगभग 40-45 दिन तक शिकायत पर कोई भी कार्यवाही नही हुई । दुबारा बच्चो ने जब हमसे संपर्क किया तो हमने 24 घंटे मे FIR दर्ज करने को कहा । सवाल इस बात का है कि जब आयोग ने सितंबर मे शिकायत संबधित अधिकारियों को भेज दी थी , मगर इतना वक्त बीतने के बाद जांच ना होना कहीं ना कहीं जांच कर्ताओं की मंशा पर संदेह होता है । उनका कहना था कि पहले हमारे पास शिकायत सिर्फ 15 बच्चियों ने की थी , लेकिन जब जांच शुरू हुई तो यह मामला 60 बच्चियों तक पहुंच गया और बीती रात उनके पास कुछ बच्चियों के फोन आए थे , जिसमें उन्हें बताया गया कि उनका फोन पर धमकाया जा रहा है कि बेकार में मामला बढ़ा रही हो बार-बार चंडीगढ़ के चक्कर लगाने पड़ेंगे । जिसकी वजह से मुझे पूरी रात नींद नहीं आई । पत्रकार वार्ता मैं उन्होंने हरियाणा के डीजीपी , जींद के पुलिस आयुक्त से सख्त तौर पर कहा है कि 24 घंटे के अंदर आरोपी प्रिंसिपल को गिरफ्तार करें और बच्चियों को आश्वासन देते हुए कहा है कि डरने की जरूरत नहीं है ना तो कोई आपके स्कूल में फेल कर सकता है , ना ही आपका कोई स्कूल से नाम काट सकता है मैं खुद बहुत जल्द जींद आप लोगों के बीच में आऊंगी और आप लोगों से मिलकर सारी बात को समझेगी ।
तीसरा मामला भी हरियाणा के हिसार सही है जहां पर की एक स्कूल का टूर राजस्थान के उदयपुर गया था जहां पर स्कूल के डीन पर स्कूल की बच्चियों ने अश्लील हरकत किए जाने के आरोप लगाए हैं ।
आज सवाल सिर्फ इस बात का नहीं है कि छेड़छाड़ या अश्लील हरकतों के कहां और किस राज्य या किस सरकार में हो रहे है । ऐसे मामले चाहे , हरियाणा में हो या पंजाब में , उत्तर प्रदेश में हो या राजस्थान में ,, सवाल इस बात का है कि आखिरकार ऐसे गुनहगारों को बचाता कौन है ? और इतनी सख्त कानून होने के बावजूद भी इन कुत्सित मानसिकता वाले लोगों को सजा क्यों नहीं मिल पाती है ।
आपके विचार हमें नीचे दी गई मेल के माध्यम से जरूर भेजें ताकि अच्छे सुझावों को हम उन लोगों तक हम पहुंचा सके , जिनके हाथ में कानून बनाने की और कानून का पालन करवाने की जिम्मेदारी है । मेल आईडी है ।
deskkhabari@gmail.com
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