प्रदेश भर में सड़क सुरक्षा विषय पर आयोजित की गई दूसरे चरण की खंड स्तरीय सड़क सुरक्षा प्रतियोगिता
– पांच ‘ई‘- इंजीनियरिंग, एजुकेशन, एन्फोर्समेंट, एमपैथी तथा एमरजेंसी केयर के मूलमंत्र के साथ हुआ आयोजन
– एक लाख 972 विद्यार्थियों ने भागीदारी सुनिश्चित करते हुए दिया ‘सड़क सुरक्षा‘ का संदेश
सड़क सुरक्षा संबंधी पांच ‘ई‘ अर्थात् इंजीनियरिंग, एमपैथी, एजुकेशन, एन्फोर्समेंट तथा एमरजेंसी केयर के मूलमंत्र के साथ प्रदेश भर के विद्यालयों व महाविद्यालयों में दूसरे चरण की खंड स्तरीय सड़क सुरक्षा प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की गई। इस प्रतियोगिता में एक लाख 972 विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर भागीदारी सुनिश्चित करते हुए संयुक्त रूप से सड़क सुरक्षा का संदेश दिया। प्रदेश में अलग- अलग स्थान पर आयोजित की गई इस प्रतियोगिता में संबंधित जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने फील्ड में विजिट करते हुए व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर के दिशा निर्देशानुसार इस प्रतियोगिता संबंधित समुचित प्रबंध सुनिश्चित करने को लेकर प्रदेश भर के जिलों में पुलिस विभाग के नोडल अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई थी। विद्यार्थियों की शैक्षणिक योग्यता तथा आयु अनुसार उन्हें अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया गया था। इस प्रतियोगिता के माध्यम से विद्यार्थियों से ऐसे प्रश्न पूछे गए ताकि विद्यार्थी सड़क सुरक्षा का महत्व समझें और समय आने पर अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए निर्णय लें।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इस अभियान के शुरू होने से पहले विद्यार्थियों को सड़क सुरक्षा के नियमों संबंधी पाठ्य सामग्री उपलब्ध नही करवाई जाती थी। पुलिस महानिदेशक के मार्गदर्शन में इस अभियान के तहत प्रदेश भर के सभी आयु वर्गों को शामिल करते हुए इसकी रूपरेखा तैयार की गई। सड़क सुरक्षा के अभियान को आगे बढ़ाते हुए परिवहन विभाग में प्रधान सचिव के पद पर रहते हुए पुलिस महानिदेशक श्री शत्रुजीत कपूर ने सड़क सुरक्षा नीधि के माध्यम से सभी शैक्षणिक संस्थाओं में पुलिस कैडेट कोर तथा चालक प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई ताकि सड़क सुरक्षा की परिकल्पना को धरातल स्तर पर मूर्त रूप दिया जा सके।
इसके अलावा ,सड़क सुरक्षा को लेकर कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य किए गए। आवश्यकता अनुरूप रोड़ इंजीनियरिंग अर्थात सड़क अभियांत्रिकी में सुधार करते हुए संबंधित विभाग की जवाब देही सुनिश्चित की गई। इतना ही नहीं , दुर्घटना के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को तत्काल स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने की पहल भी की गई। सभी विद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयो में सड़क सुरक्षा , ज्ञान केंद्र तथा रोड सेफ्टी क्लबो की स्थापना करते हुए इनका संचालन किया गया। सड़क सुरक्षा फंड की स्थापना कर सभी इच्छुक संस्थाओं तथा विभागों को समुचित धनराशि उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की गई
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