दो साल की मरम्मत के बाद फिर धड़की समय की धरोहर: स्वर्ण मंदिर की 123 साल पुरानी कर्जन घड़ी चालू
श्री दरबार साहिब परिसर में लगी ऐतिहासिक कर्जन घड़ी एक बार फिर समय बताने लगी है। करीब 123 साल पुरानी यह घड़ी लंबे समय से बंद पड़ी थी और इसकी सुइयां 10 बजकर 08 मिनट पर थमी हुई थीं। अब दो साल की लंबी मरम्मत प्रक्रिया और लगभग 96 लाख रुपये की लागत के बाद इस ऐतिहासिक धरोहर को उसके मूल स्वरूप में बहाल कर दिया गया है।
इस घड़ी का इतिहास ब्रिटिश काल से जुड़ा है। वर्ष 1900 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन ने अपनी पत्नी के साथ स्वर्ण मंदिर का दौरा किया था। उस समय परिसर में लगी साधारण घड़ी उन्हें अनुपयुक्त लगी। इसके बाद उन्होंने इंग्लैंड के बर्मिंघम स्थित एल्किंगटन एंड कंपनी को विशेष रूप से एक भव्य घड़ी तैयार करने का आदेश दिया। करीब दो वर्षों के कार्य के बाद पीतल से बनी यह घड़ी 31 अक्टूबर 1902 को दीवाली और बंदी छोड़ दिवस के अवसर पर श्री दरबार साहिब को भेंट की गई थी।
समय के साथ यह घड़ी क्षतिग्रस्त हो गई थी। किसी हादसे में इसके ढांचे को नुकसान पहुंचा और बाद में इसकी मूल मैकेनिकल प्रणाली को हटाकर साधारण क्वार्ट्ज सिस्टम लगा दिया गया, जिससे इसकी ऐतिहासिक पहचान लगभग समाप्त हो गई। वर्ष 2023 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) द्वारा कराए जा रहे संरक्षण कार्य के दौरान इस घड़ी को दोबारा पहचाना गया।
एसजीपीसी की अनुमति के बाद गुरु नानक निष्काम सेवक जत्था की देखरेख में घड़ी को मरम्मत के लिए ब्रिटेन भेजा गया। बर्मिंघम में विशेषज्ञों ने करीब दो वर्षों तक काम कर इसके मूल मैकेनिकल सिस्टम को दोबारा तैयार किया। पीतल का नया डायल, रोमन अंकों और पारंपरिक डिजाइन के साथ बनाया गया। इस पूरी प्रक्रिया पर लगभग 80 हजार पाउंड, यानी करीब 96 लाख रुपये खर्च हुए।
नवंबर में घड़ी भारत लौट आई है और इसे जनवरी में अपने पुराने स्थान पर फिर से स्थापित किया जाएगा। एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि ऐतिहासिक विरासत का संरक्षण सिख संस्थाओं की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि यह घड़ी अब केवल समय ही नहीं बताएगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को श्री दरबार साहिब से जुड़े गौरवशाली इतिहास की भी याद दिलाएगी।





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