सवाल : भ्रष्टाचारी नगर निगम कर्मचारियों के घर पर भी ढोल बजवाएगा नगर निगम ?
साहब को भ्रष्ट कर्मचारियों के घर ढोल बजवाने में क्यों लगता है डर ?
कूड़ा फेंकने वाले नागरिकों के घर पर नगर निगम चंडीगढ़ ने ढोल बजाकर किया शर्मिंदा और लगाया जुर्माना !
चंडीगढ़ नगर निगम में एक नई मुहिम शुरू की है जिसमें सड़क पर कूड़ा फेंकने वाले नागरिकों के घरों के बाहर ढोल बजाया जाएगा और उनसे जुर्माना वसूला जाएगा । इस मुहिम की शुरुआत सोमवार को हुई और सोमवार को ही मनीमाजरा क्षेत्र में दो नागरिकों घर पर ढोल बजाकर उन्हें शर्मिंदा किया गया और बाद में निगम के कर्मचारियों द्वारा उनसे जुर्माना वसूला गया । तरीका अच्छा है इसमें कोई दो राय नहीं है की कूड़े को कूड़े की जगह पर ही फेंका जाना चाहिए सड़क पर कूड़ा फेंकने से गंदगी फैलती है और चंडीगढ़ एक साफ सुथरा शहर माना जाता है और साफ सुथरा शहर बनाने की जिम्मेदारी अधिकारियों के साथ-साथ नागरिकों की भी होती है । तभी शहर साफ सुथरा रहेगा और स्वच्छता रैंकिंग में नंबर वन आ सकता है जब नियमों का पालन सख्ती के साथ किया जाएगा ।
भ्रष्ट कर्मचारियों के घर कब बजेगा ढोल ?
पर यहां एक सवाल खड़ा होता है कि अभी ज्यादा दिन नहीं बीते हैं दो-तीन महीने पहले नगर निगम के ही एक सफाई कर्मचारियों ने एक वीडियो वायरल किया था जिसमें उसने नगर निगम के ही कुछ कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। उसे मामले का क्या हुआ ? क्या निगम कमिश्नर साहब , बताएंगे कि भ्रष्टाचारी वह कर्मचारी कौन सी वाशिंग मशीन में डालकर साफ कर दिए गए । और अगर अब तक नहीं साफ किए गए हैं तो एक बार ढोल उनके घर पर भी बजवा देते । ताकि आम जनता को पता चल जाता कि निगम के यह कर्मचारी हैं जो पैसा लेकर काम कर देते हैं ।
जब नगर निगम का ढोलकी नियम तोड़ने पर आम नागरिकों के घर पर जाकर ढोल बजा सकता है तो वही ढोलकी भ्रष्टाचार्यों के घर पर जाकर ढोल क्यों नहीं बजाता । न्यायका तराजू तभी बराबर माना जाएगा जब आप अपने कर्मचारियों के घर के बाहर पहले ढोल बजवाते फिर आम नागरिकों के घर के बाहर ढोल बजवाया जाता । तब नागरिकों को कोई एतराज नहीं होता ।
साहब को भ्रष्ट कर्मचारियों के घर के बाहर ढोल बजने में क्यों लगता है डर ?
पर वह तो आपके अपने हैं उनके घर के बाहर आप कैसे ढोल बजा सकते हैं अगर आपने उनके घर के बाहर ढोल बजवा दिया तो यह भी हो सकता है कि वह आपका विरोध करने लग जाए या कर्मचारी संगठन आपका विरोध में उतर जाए । सीधा सा तात्पर्य कि कहीं ना कहीं आपके मन में इस बात का डर है कि अगर भ्रष्टाचारी कर्मचारियों की पोल खोली या खुलवाई तो मुसीबत गले पड़ सकती है । इसलिए भ्रष्टाचारी किसी भी कर्मचारी के घर पर ढोल ना बजा है और नहीं बजेगा । ढोल बजेगा तो सिर्फ और सिर्फ आम नागरिक के दरवाजे पर जाकर ।
उन तमाम मीडिया घरानों को भी ढोल बजाने वाली खबर के साथ-साथ निगम कमिश्नर साहब से सवाल पूछना चाहिए था कि आखिरकार क्या कभी भ्रष्ट कर्मचारियों के घर के बाहर भी आप ढोल बाजवा सकेंगे । पर नहीं मंगलवार को जितने भी अखबारों में निगम की खबर आई है सिर्फ और सिर्फ आम नागरिक के घर पर ढोल बजाने की खबर आई है जैसे निगम ने बहुत अच्छा काम कर दिया हो ।
निसंदेह स्वच्छता रैंकिंग सुधारने के लिए निगम का यह तरीका अच्छा हो सकता है पर कमिश्नर साहब यह कैसे भूल गए की निगम पर गाहे बगाहे भ्रष्टाचार के भी आरोप लगाते हैं कोई ऐसा तरीका वहां के लिए भी निकलिए कि अगर भविष्य में ( पिछले भ्रष्टाचार को अगर छोड़ भी दिया जाए तो ) अगर कोई कर्मचारी भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़ा जाएगा तो उसके घर भी ढोल बजाया जाएगा ।





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