पंजाब में गैंगस्टरों का नया डिजिटल हथकंडा: हत्याओं की फर्जी जिम्मेदारी लेकर दहशत फैलाने की कोशिश, पुलिस हाई अलर्ट पर
पंजाब पुलिस ने हाल के दिनों में एक चिंताजनक ट्रेंड का खुलासा किया है। कुख्यात गैंग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उन हत्याओं की जिम्मेदारी ले रहे हैं, जिनसे उनका कोई संबंध ही नहीं होता। पुलिस का कहना है कि इन फर्जी दावों के पीछे मकसद सिर्फ दहशत का माहौल तैयार करना, सोशल मीडिया पर लाइमलाइट बटोरना और डर का फायदा उठाकर उगाही बढ़ाना है।
पुलिस की साइबर टीमें ऐसे अकाउंट्स पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और कई मामलों में इन फर्जी पोस्टों तक पहुंचने वाले नेटवर्क का पता भी लगाया जा रहा है। हाल में सामने आए दो मामलों—मानकी गांव हत्या केस और कार्तिक बग्गन मर्डर केस—ने इस ट्रेंड की गंभीरता को एक बार फिर उजागर किया है।
मानकी गांव मर्डर केस: लॉरेंस बिश्नोई गैंग के नाम पर फर्जी पोस्ट
3 नवंबर को समराला के मानकी गांव के रहने वाले गुरविंदर सिंह उर्फ किंदा की बाइक सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। घटना के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हुई, जिसमें दावा किया गया कि लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल बिश्नोई ने इस हत्या की जिम्मेदारी ली है।
खन्ना की SSP ज्योति यादव बैंस ने जांच पूरी होने के बाद साफ किया कि बिश्नोई गैंग का इस हत्या से कोई संबंध नहीं मिला। उन्होंने कहा कि पुलिस ने पोस्ट को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू की, लेकिन यह साबित हुआ कि यह दावा पूरी तरह फर्जी था।
जांच में सामने आया कि हत्या किसी गैंगवार का हिस्सा नहीं थी, बल्कि स्थानीय रंजिश का नतीजा थी। समराला के एक रक्तदान शिविर में धर्मवीर उर्फ धर्मा और मडपुर के करण के बीच विवाद हुआ था, जिसके बाद दोनों पक्षों में तनाव बढ़ गया। बदला लेने के प्रयास में हुई फायरिंग में गुरविंदर की गोली लगने से मौत हो गई। पुलिस अब तक 19 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है।
कार्तिक बग्गन मर्डर केस: गोपी घनश्यामपुर गैंग का झूठा दावा
इसी तरह 23 अगस्त को लुधियाना के सुंदर नगर इलाके में इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर कार्तिक बग्गन की हत्या के बाद भी सोशल मीडिया पर एक गैंग ने जिम्मेदारी लेने का दावा किया था। ‘गोपी घनश्यामपुर गैंग’ के नाम से शेयर की गई पोस्ट ने लोगों में दहशत फैला दी।
लेकिन पुलिस कमिश्नर स्वपन शर्मा ने जांच के आधार पर बताया कि यह दावा भी झूठा था। हत्या पुराने निजी विवाद से जुड़ी थी और किसी संगठित गैंग का इसमें हाथ नहीं था।
पुलिस की चेतावनी और जनता से अपील
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि गैंग अब सोशल मीडिया को “साइकोलॉजिकल वॉरफेयर के हथियार” की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने जनता को आगाह किया है कि ऐसे दावों पर भरोसा न करें और संदिग्ध पोस्टों की तुरंत रिपोर्ट करें।
अधिकारियों का कहना है कि साइबर सेल ऐसे फर्जी दावों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रहा है और इन मामलों को ट्रैक कर गैंगों के डिजिटल नेटवर्क को तोड़ने पर भी काम जारी है।
सार यह है कि पंजाब में अपराधियों का डिजिटल खेल अब असली खतरा बनता जा रहा है, लेकिन पुलिस ने साफ किया है कि किसी भी तरह की दुष्प्रचार अभियान को पनपने नहीं दिया जाएगा।



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