आपदा में अवसर : बाढ़ की वजह से सब्जियों के दाम बेतहाशा बढ़े !
पंजाब-हिमाचल की बारिश और बाढ़ का असर सब्जियों पर
थालियों से गायब हो रही हरी सब्जियां, दाल-राजमा बनी सहारा
ब्लैक मार्केटिंग करने वालों से शक्ति से निपटेंगे मोनिका गुप्ता उपयुक्त पंचकूला
चंडीगढ़, 5 सितंबर
पंजाब और हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश और बाढ़ ने जहां गांवों और खेतों को प्रभावित किया है, वहीं अब इसका सीधा असर आम आदमी की थाली पर भी दिखाई देने लगा है। सब्जियों की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित होने से बाजार में कीमतें अचानक आसमान छूने लगी हैं। हालत यह है कि हरी सब्जियां धीरे-धीरे थालियों से गायब हो रही हैं और लोग दाल, राजमा और चने का सहारा ले रहे हैं।
कीमतों में बेतहाशा उछाल
सब्जी बाजार में इस समय हालात चिंताजनक हैं। सामान्यत: 30 से 40 रुपये किलो बिकने वाली शिमला मिर्च 70–80 रुपये किलो तक पहुंच गई है। टमाटर, जो सीजन में 10 से 20 रुपये किलो तक आसानी से मिल जाता था, फिलहाल 60 से 70 रुपये किलो तक बिक रहा है। खीरा और गोभी 40–50 रुपये किलो, जबकि लौकी 50–60 रुपये किलो तक पहुंच चुकी है। आलू, जो सामान्य दिनों में 10–15 रुपये किलो बिकता था, अब 100 रुपये में सिर्फ चार किलो मिल रहा है। इसी तरह अदरक, नींबू, तरोई और भिंडी जैसी सब्जियों के दाम भी उपभोक्ताओं की पहुंच से बाहर हो गए हैं।
आपूर्ति बाधित, मांग बरकरार
थोक मंडियों से आने वाली सप्लाई बाढ़ और खराब सड़कों के कारण रुक गई है। ट्रक और छोटे वाहन समय पर मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। फुटकर विक्रेताओं का कहना है कि जब थोक मंडी से सामान महंगे दाम पर मिलेगा, तो बाजार में सस्ते दाम पर बेचना संभव नहीं है। “आपूर्ति कम है लेकिन लोगों की मांग वही है, यही वजह है कि दाम तेजी से बढ़ रहे हैं,” एक सब्जी विक्रेता ने बताया।
उपभोक्ता पर बोझ
महंगाई की मार सीधे उपभोक्ताओं पर पड़ रही है। परिवारों का बजट बिगड़ गया है और लोग मजबूरी में महंगी सब्जियों की जगह दाल-राजमा और चने को अपना रहे हैं। जिन घरों में रोजाना सब्जियों का उपयोग होता था, वहां अब हफ्ते में केवल 2–3 बार ही सब्जी पकाई जा रही है।
मार्केट से मंडी बोर्ड के कर्मचारी गायब
पंचकूला में मार्केट कमेटी जो की फुटकर बाजार के सब्जियों के रेट पर निगाह रखती है । उनके कर्मचारी मंडी में कहीं भी नजर नहीं आते कौन सा दुकानदार किस सब्जी को क्या रेट बेच रहा है वह अब उसकी मर्जी है । जबकि सरकारी नियम कहता है की मंडी बोर्ड की तरफ से मंदिरों में चुनिंदा सब्जियों के दाम निर्धारित कर दिए जाते हैं । अगर कोई व्यापारी या दुकानदार उसे रेट से ज्यादा दम पर सब्जी बेचता हुआ पाया जाता है तो उसका चालान किया जाता है या जुर्माना किया जाता है । पर आफत की इस घड़ी में सब्जी विक्रेता भी आपदा में अवसर तलाश कर मनमर्जी से सामान बेच रहे हैं ।
व्यापार पहले से कम ऊपर से महंगाई की मार : अनिल थापर
पंचकूला व्यापार मंडल के अध्यक्ष अनिल थापर का सब्जियों के रेट को लेकर कहना है कि ट्राई सिटी का व्यापार हिमाचल और पंजाब से ही चलता है । जब यहां पर बाढ़ आई हुई है तो ऐसे में ट्राई सिटी का व्यापार पर बहुत फर्क पड़ा है । व्यापार लगभग आधे से भी काम हो गया है और ऐसे में सब्जी वालों की मनमर्जी से खाने की थाली पर भी फर्क पड़ने लगा है अगर सब्जियों के दाम इसी तरीके से बढ़ते रहे तो लोग सब्जी का थैला लेकर बाजार जाना बंद कर देंगे । सरकार को चाहिए मनमर्जी से सब्जी के रेट चार्ज करने वालों पर भी सख्ती हो ।

अगर कोई व्यक्ति आपदा में ब्लैक मार्केटिंग करेगा और सब्जियों के दाम ज्यादा वसूलेगा तो कार्रवाई की जाएगी । रही बात मार्केटिंग बोर्ड की तो उसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है वह हमें पता कर लेती हूं अगर ऐसा है तो जल्दी ही मार्केट कमेटी वाले सब्जी मंडी में जाकर चेक करना शुरू करेंगे की कोई ज्यादा रेट ना चार्ज करें ।
मोनिका गुप्ता उपायुक्त पंचकूला
सरकार के लिए चुनौती
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर बारिश और बाढ़ का असर अगले दो हफ्तों तक जारी रहा, तो सब्जियों की कीमतें और बढ़ सकती हैं। ऐसे में राज्य सरकारों और केंद्र के लिए बाजार स्थिर रखना बड़ी चुनौती होगा।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!