लाल किले से RSS की तारीफ पर विपक्ष का हमला, बोला- प्रधानमंत्री देश के लिए नहीं, संगठन के लिए बोले
नई दिल्ली — स्वतंत्रता दिवस 2025 के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से दिए गए भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तारीफ के बाद राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में RSS को “एक NGO” बताते हुए कहा कि “100 साल का इसका इतिहास याद रखा जाना चाहिए।”
इस टिप्पणी के बाद विपक्ष ने तीखे हमले शुरू कर दिए। आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा, “लाल किले से प्रधानमंत्री के भाषण में उम्मीद होती है कि वे देश के प्रधानमंत्री के रूप में, बिना किसी पूर्वाग्रह या झुकाव के बोलेंगे, लेकिन हर बार निराशा होती है। RSS की आजादी में भूमिका पर अगर चर्चा होती तो अच्छा लगता, मगर लगता है कि भाषण चुनावी मंच जैसा था, न कि स्वतंत्रता दिवस का।”
कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने भी निशाना साधते हुए कहा, “RSS को लेकर दो दृष्टिकोण हैं—एक हमारा और दूसरा प्रधानमंत्री का। दोनों में जमीन-आसमान का फर्क है। राष्ट्रीय एकता के दिन इस तरह के विवादित विषय को उठाना उचित नहीं था।”
विपक्ष का कहना है कि स्वतंत्रता दिवस का संबोधन पूरे देश के लिए होना चाहिए, किसी संगठन विशेष के लिए नहीं, जबकि भाजपा समर्थक प्रधानमंत्री के बयान को “इतिहास की सच्चाई” और “RSS के योगदान की मान्यता” बता रहे हैं।
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