कांवड़ यात्राओं में अराजकता यानी आस्था का अपमान
धर्म आस्था का विषय है, जिसे किसी भी स्थिति में मनोरंजन या अराजकता का पर्याय नही बनाना चाहिए। कानफोड़ू संगीत तथा सड़कों पर एकाधिकार करके यातायात बाधित करने के दृश्य श्रावण मास में आम तौर पर देखे जा सकते हैं। आम आदमी की असावधानी कब किस कांवड़िये के क्रोध में अग्नि धधका दे, इसका कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। यूँ तो भारत में भक्ति एवं आस्था की अटूट धारा प्रवाहित रहती है। प्रयागराज महाकुंभ में देश विदेश के करोड़ों श्रद्धालु अनुशासित ढंग से आस्था की डुबकी लगाते हैं तो श्रावण मास में बर्फानी बाबा अमरनाथ की दुर्गम यात्रा में करोड़ों भक्त अपनी आस्था का परिचय देते हैं। पूरे श्रावण मास में बेलपत्र, धतूरा एवं जलार्पण से लेकर घर घर में होने वाले व्रत तथा पूजा अर्चना से जहां श्रावण में शिव भक्ति का ज्वार दृष्टिगत होता है, वहीं बाबा अमरनाथ की पवित्र यात्रा से लेकर उत्तर भारत में श्रावण मास प्रारम्भ होने पर कांवड़ यात्रा का महत्व किसी से छिपा नहीं है। राजस्थान, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गोमुख, हरिद्वार से गंगा जल लाकर अपने अपने नगरों के शिव मंदिरों में जलाभिषेक किया जाता है, जिसमें अधिकांश कांवड़िए श्रावण कृष्ण चतुर्दशी तक अपने अपने क्षेत्र के शिवालयों में जलाभिषेक करते हैं, वहीं रूहेलखंड क्षेत्र में सम्पूर्ण श्रावण मास में प्रत्येक सोमवार को शिवालयों में जलाभिषेक की पुनरावृत्ति की जाती रहती है।
दुःख का विषय है कि कठोर तप व साधना से की जाने वाली इस तपस्या से भरी यात्रा में कुछ उद्दंडी कांवड़िये इस महा आयोजन को कलंकित करने का दुस्साहस करने से नहीं चूकते । यदि ऐसा न होता तो कांवड़ यात्रा के प्रारम्भ में ही अनेक स्थानों से कांवड़ियों की अराजकता के दृश्य प्रकाश में आने शुरू न होते । कहीं किसी वाहन से कांवड़ छू जाने या खंडित हो जाने से या किसी स्थल पर लहसुन या प्याज की गंध आने से निजी व सरकारी वाहनों तथा भोजनालयों पर कांवड़ियों का हमला और गाड़ियों में तोड़ फोड़ यह दर्शाती है, कि कांवड़ियों के नाम पर कुछ अराजक तत्व इस यात्रा में अधिक सक्रिय हो गए हैं, जो धर्म की आड़ में शासन और प्रशासन को बदनाम करने में पीछे नही है। यहाँ इस आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि हो सकता है कि कुछ अराजक और षड्यंत्रकारी शक्तियाँ ऐसे तत्वों की आड़ में कांवड़ यात्रा में विघ्न डालने का प्रयास कर रही हों । कौन नहीं जानता कि देश में षड्यंत्रकारी शक्तियाँ सदैव विघटनकारी स्थिति उत्पन्न करने की दिशा में सक्रिय रहती हैं तथा कुछ राजनीतिक दल भी सदैव सत्ता को बदनाम करने के प्रयास में जुटे रहते हैं। जो सरकार की असफलता को सदैव राजनीतिक मुद्दा बनाने की फिराक में रहते हैं।
मेरा मानना है कि चाहे कुछ भी हो, धार्मिक यात्राओं को बदनाम करने वाले या विघ्न डालने वाले तत्वों के प्रति किसी भी प्रकार की सहानुभूति रखने का कोई औचित्य नही है। इनके विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही अपेक्षित है, ताकि कोई धर्म की आड़ में शिव भक्ति की पवित्र व कठोर कांवड़ यात्रा को कलंकित करने का दुस्साहस न कर सके।
डॉ. सुधाकर आशावादी-विनायक फीचर्स
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