अमेरिकी को अंतरराष्ट्रीय संधि के तहत समन भेजने की प्रक्रिया जारी , कोर्ट से रिपोर्ट तलब
भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी को लेकर अमेरिकी नियामक एजेंसी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) की कानूनी कार्रवाई तेज होती जा रही है। न्यूयॉर्क की एक अदालत को SEC ने सूचित किया है कि वह अब भी दोनों को कानूनी समन भेजने की प्रक्रिया में जुटा है, जो अंतरराष्ट्रीय हेग सेवा संधि (Hague Service Convention) के तहत भारत सरकार की मदद से संचालित की जा रही है।
दिल्ली
मामला क्या है?
यह मामला 260 मिलियन डॉलर (करीब 2,200 करोड़ रुपये) के कथित संदिग्ध भुगतान से जुड़ा है। SEC ने आरोप लगाया है कि यह राशि एक रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट का कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए दी गई थी। इस सिलसिले में SEC ने 20 नवंबर 2024 को अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के खिलाफ मुकदमा दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि गौतम अडानी और सागर अडानी ने 2021 में जारी बॉन्ड्स से जुड़ी जानकारियों में ग़लत और भ्रामक बयान दिए, जिससे अमेरिकी निवेशकों को गुमराह किया गया।
समन भेजने में अड़चन क्यों?
SEC ने अदालत को बताया कि अमेरिकी एजेंसियां सीधे विदेशी नागरिकों को समन नहीं भेज सकतीं। इसके लिए उन्हें भारत के कानून मंत्रालय और केंद्रीय प्राधिकरण की सहायता लेनी पड़ती है। समन की प्रक्रिया अब भी कूटनीतिक माध्यमों से जारी है और भारत सरकार से सहयोग की अपील पहले ही भेजी जा चुकी है।

कोर्ट की अगली कार्रवाई
न्यूयॉर्क की अदालत ने SEC को 11 अगस्त 2025 तक समन प्रक्रिया की स्थिति पर विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। इससे स्पष्ट है कि अमेरिकी एजेंसी इस मामले को गंभीरता से आगे बढ़ा रही है और कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने में कोई ढील नहीं दे रही।
अडानी समूह की चुप्पी
अब तक अडानी समूह या उसके किसी प्रतिनिधि की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद भी अडानी समूह ने अंतरराष्ट्रीय आरोपों को “राजनीतिक प्रेरित और तथ्यहीन” करार दिया था। वर्तमान मामले में समूह की रणनीतिक चुप्पी को लेकर निवेशक और विश्लेषक दोनों सतर्क निगाहों से देख रहे हैं।
यह मुकदमा अडानी समूह के लिए एक और अंतरराष्ट्रीय चुनौती बनकर उभरा है। अब निगाहें भारत सरकार की भूमिका और SEC की आगामी रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो तय करेगी कि यह मामला कानूनी दिशा में कितना आगे बढ़ता है और अडानी समूह पर इसका दीर्घकालिक प्रभाव क्या हो सकता है।
मामले पर प्रतिक्रियाएं
प्रशांत भूषण-
So, Modi govt is not assisting in Serving US SEC summons on Adani, despite binding obligations under The Hague Convention. Surprised? Is it a case of Adani in the lap of the govt or the govt in the lap of Adani?
अशोक कुमार पांडेय-
कीनिया के विसल ब्लोअर नेल्सन अमेन्या ने अदानी पर दबाव डालने और धमकी का आरोप लगाया है। अमेन्या वही हैं जिनकी पहल के कारण कीनिया में अदानी का धंधा बंद हुआ था।

मुकेश गर्ग-
इन्हीं हरकतों की वजह से आज कोई भी महत्वपूर्ण मुल्क भारत के साथ खड़ा नहीं दिखता … पूरे विश्व में भारत की विदेश नीति को “हम दो हमारे दो” की वजह से बर्बाद करके रख दिया है.
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