फरीदाबाद फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट मामला: सरकारी अस्पताल में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट ने की 55 सर्जरी, 3 मरीजों की मौत, ACB जांच शुरू
हरियाणा में 18 साल पुराने किडनी रैकेट की यादें अभी धुंधली भी नहीं हुई थीं कि अब फरीदाबाद से दिल दहला देने वाला ‘हार्ट कांड’ सामने आया है। बीके सिविल अस्पताल के हार्ट सेंटर में बीते सात महीनों के दौरान एक फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट ने 55 हार्ट सर्जरी कीं। इनमें से तीन मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि दर्जनों की हालत गंभीर होने पर उन्हें अन्य अस्पतालों में रेफर किया गया।
इस फर्जी डॉक्टर ने हमनाम असली डॉक्टर पंकज मोहन के नाम और पहचान का दुरुपयोग कर सरकारी अस्पताल में नौकरी हासिल की थी। अब मामला तूल पकड़ चुका है और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) इसकी जांच कर रही है।
कैसे हुआ पर्दाफाश?
यह मामला तब उजागर हुआ जब एक मरीज इलाज के लिए अस्पताल पहुंचा और डॉक्टर के अनुपस्थित होने पर उसके क्लिनिक गया। वहां पता चला कि जो डॉक्टर सरकारी अस्पताल में हार्ट सर्जरी कर रहा था, वह असल में वह डॉक्टर था ही नहीं।
असल डॉक्टर डॉ. पंकज मोहन ने जब अपने नाम की सरकारी पर्ची पर मुहर और हस्ताक्षर देखे, तो वह स्तब्ध रह गए। उन्होंने तत्काल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) में शिकायत दर्ज कराई।
अस्पताल और कंपनी की लापरवाही
बीके अस्पताल में हार्ट सेंटर का संचालन मेडिट्रीना हॉस्पिटल्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी करती है, जिसे वर्ष 2018 में PPP मोड पर जिम्मेदारी दी गई थी। आरोप है कि कंपनी ने डॉक्टरों का योग्यता सत्यापन किए बिना ही नियुक्तियां कीं। जुलाई 2024 में इस फर्जी डॉक्टर को कॉर्डियोलॉजिस्ट के रूप में भर्ती किया गया।
फर्जी डॉक्टर के कारनामे की राम कहानी :
प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि फर्जी डॉक्टर ने 7 महीनों में 1000 से अधिक मरीजों का इलाज किया, 55 हार्ट सर्जरी क, 3 मरीजों की मौत हो चुकी है, 30 से ज्यादा मरीजों की हालत बिगड़ने पर रेफर करना पड़ा. डॉक्टरों का मानना है कि बिना विशेषज्ञता और सर्जरी प्रशिक्षण के इस तरह के ऑपरेशन जानलेवा साबित होते हैं, जैसा कि इस मामले में भी हुआ।
शिकायत, लापरवाही और देर से हरकत
हालांकि इस मामले की शिकायतें वकील संजय गुप्ता और अन्य द्वारा दो महीने पहले ही पुलिस और स्वास्थ्य विभाग को दी जा चुकी थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अंततः गृह मंत्रालय और सीएम विंडो में शिकायत दर्ज कराने के बाद प्रशासन सक्रिय हुआ और जांच के आदेश दिए गए।
फिलहाल मामले में क्या हो रहा है?
आरोपी डॉक्टर को अस्पताल से हटाया गया है
धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और गैर-कानूनी सर्जरी के आरोप में केस दर्ज होने की तैयारी
ACB और स्वास्थ्य विभाग संयुक्त जांच कर रहे हैं
मेडिट्रीना कंपनी की लाइसेंस और संचालन प्रक्रिया भी जांच के घेरे में है
सवाल क्यों खड़े हुए ?
क्या अस्पताल प्रशासन ने डॉक्टरों का सत्यापन किया था?
स्वास्थ्य विभाग ने दो महीने तक कार्रवाई क्यों नहीं की?
PPP मोड पर चल रहे स्वास्थ्य संस्थानों में जवाबदेही कैसे तय की जाएगी?
इस ‘हार्ट कांड’ ने सरकारी अस्पतालों की निगरानी व्यवस्था और पीपीपी स्वास्थ्य मॉडल की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है। अब देखना होगा कि इस दर्दनाक चूक के लिए जिम्मेदारों पर कब तक और कितनी कड़ी कार्रवाई होती है।
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