“रेलवे टिकट पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के साथ पीएम मोदी की तस्वीर छिड़ा विवाद !
एक बार फिर उठे आत्मप्रचार के सवाल
केंद्र सरकार की ओर से जारी नई रेलवे टिकटों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के विजुअल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर प्रकाशित किए जाने पर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। विपक्षी दलों और कई नागरिकों ने इसे “आत्मप्रचार की पराकाष्ठा” करार दिया है और भारतीय सेना के पराक्रम को राजनीतिक लाभ के लिए भुनाने का आरोप लगाया है।
यह पहला अवसर नहीं है जब सरकारी दस्तावेज़ों या सेवाओं पर प्रधानमंत्री की तस्वीर को प्रमुखता से दिखाया गया हो। इससे पहले कोविड-19 वैक्सीनेशन प्रमाणपत्रों पर भी नरेंद्र मोदी की तस्वीर को लेकर विवाद खड़ा हुआ था। अदालतों में याचिकाएं दायर हुई थीं और आलोचना के बाद अंततः प्रमाणपत्रों से तस्वीर हटानी पड़ी थी।
विवाद का मुख्य बिंदु
विपक्ष का कहना है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सेना की वीरता का प्रतीक है और इसे राजनीतिक प्रचार के साथ जोड़ना अनुचित है। सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स और राजनीतिक टिप्पणीकारों ने कहा कि ऑपरेशन में शहीद हुए सैनिकों का नाम या सम्मान कहीं नहीं दिख रहा, बल्कि सिर्फ राजनीतिक नेतृत्व की छवि को उभारा गया है।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस प्रकार के प्रचार से एक ओर सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर अपनी सख्त छवि प्रस्तुत करना चाहती है, वहीं दूसरी ओर यह भी सवाल उठता है कि क्या सेना के अभियानों का राजनीतिक इस्तेमाल उचित है।
सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। हालांकि सरकारी सूत्रों ने पहले इस तरह की आलोचनाओं को “जन-संवाद” का हिस्सा बताया था।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी सैन्य कार्रवाइयों को लेकर राजनीतिक विमर्श और प्रचार की सीमाएं क्या होनी चाहिए ।यह सवाल अब और अधिक प्रासंगिक हो गया है। जब सरकारी माध्यमों पर प्रचार और देशभक्ति का संतुलन बिगड़ता है, तब लोकतंत्र में जवाबदेही की ज़रूरत और बढ़ जाती है।
रेलवे टिकटों पर ऑपरेशन सिंदूर के साथ प्रधानमंत्री मोदी की फोटो छापने पर लोगो की प्रतिक्रिया
कोविड सर्टिफिकेट के बाद रेलवे टिकट पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के साथ छपे पीएम मोदी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने एक बार फिर छपास की सीमाएं तोड़ दी हैं। मोदीजी को रेलवे की टिकटों पर ऑपरेशन सिंदूर के साथ छापा गया है। इससे पहले यह कारनामा कोविड टीकों के बाद मिले सर्टिफिकेट पर भी देखा गया था। जिसे बाद में हटाना पड़ा था।
डॉ मुकेश कुमार-आप जितनी कल्पना कर सकते हैं मोदी सरकार उससे भी सौ गुना ज़्यादा निर्लज्ज है। उसकी निर्लज्जता की मिसाल है आत्मप्रचार का उसका नया हथकंडा। सेना के शौर्य को वह अपनी कामयाबी के रूप में प्रचारित कर रही है। रेल टिकट तक में मोदी जी की तस्वीर ऑपरेशन सिंदूर के साथ छापी जा रही है। इसे देखकर आपके अंदर वितृष्णा पैदा होने के बाद पहला शब्द क्या आपकी ज़ुबान पर क्या आया बताइए।
देवेंद्र सिंह- नरेंद्र मोदी जी के प्रचार की भूख देखिए, रेलवे टिकट पर भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम के प्रतीक ऑपरेशन सिंदूर को नरेंद्र मोदी के प्रचार के रूप में उपयोग किया जा रहा है। इससे पहले कोविड के सर्टिफिकेट पर भी मोदी जी का फोटो छपा था और जब कोविड वैक्सीन से नागरिकों की मौत का दावा हुआ तो फोटो हटा ली गई।
भाविका कपूर- Now Operation Sindoor is also being sold like a product and its advertisements are being given with Modi’s photo.I have no words to describe how cheap the BJP party is. See the sample:
अपूर्व भारद्वाज-रेलवे टिकट पर ऑपरेशन सिंदूर की फोटो है… शहीद कहीं नहीं हैं… बस मोदी जी हैं। तिरंगा यात्रा निकली… पर तिरंगा पीछे छूट गया… आगे सिर्फ नेताओं की जय-जयकार हो रही है। ये युद्ध सैनिकों ने लड़ा था… मगर श्रेय नेताओं को मिल रहा है। किसी पोस्टर पर एक भी शहीद का नाम नहीं… क्यों? पुलवामा के बाद भी यही हुआ था… सेना की शहादत को वोट में बदल दिया गया था। अब फिर वही हो रहा है… शहीद की चिता पर सत्ता की रोटियाँ सेंकी जा रही हैं। कभी-कभी लगता है — वोट के लिए ये लोग देश भी बेच देंगे… और टीवी पर आकर कहेंगे “नेशन फर्स्ट”
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