पेड़ों की अवैध कटाई का मामला: HSVP और नगर निगम के बीच टकराव, नियमों की खुली अवहेलन
मिली भगत करके लाखों रुपए के पेड़ हजारों में बेच दिए निगम कर्मचारियों ने
लगातार कट रहे पेड़ कही बेंगलुरु और हैदराबाद ना बन जाए पंचकूला
वैसे तो सरकार हर साल पेड़ लगाने का अभियान चलाती है पर उसे अभियान पर पलीता सरकार के ही प्रशासनिक कर्मचारी लगा देते हैं । दरअसल मामला पंचकूला के सेक्टर 19 में कुछ सफीदो के पेड़ को काटे जाने का है । जितने सफेदे के पेड़ को काटने की परमिशन ली गई थी उसे उससे कहीं ज्यादा पेड़ काट दिए गए और सबसे बड़ी बात वह यह है कि सरसरी निगाह में ही पेड़ काटने में गड़बड़ घोटाला नजर आ रहा है ।
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) और नगर निगम पंचकूला के बीच अधिकारों और प्रक्रियाओं की अनदेखी कर पेड़ों की अवैध कटाई को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। सेक्टर-19 में ट्यूबवेल लगाने के लिए पेड़ों की कटाई को लेकर नियमों की अनदेखी कर कार्यवाही की गई, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा, बल्कि सरकारी राजस्व को भी बड़ा घाटा हुआ है।
क्या है पूरा मामला:
HSVP की इंजीनियरिंग विंग को सेक्टर-19 में ट्यूबवेल लगाने का कार्य करना था। जिस स्थान पर ट्यूबवेल लगाया जाना था, वहां पर पेड़ खड़े थे। नियमानुसार, HSVP की जमीन पर लगे पेड़ केवल HSVP की बागवानी शाखा की अनुमति से ही काटे जा सकते हैं। इसके लिए एक प्रक्रिया निर्धारित है जिसमें बागवानी शाखा पेड़ों की असेसमेंट करती है, फिर कमेटी गठित कर सार्वजनिक नीलामी के माध्यम से पेड़ काटे जाते हैं।
लेकिन इंजीनियरिंग विंग ने इस प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए नगर निगम को सीधे पत्र भेजकर पेड़ों की कटाई करवा दी। नगर निगम सामान्यतः सेक्टरों और सड़कों के किनारे पेड़ काट सकता है, न कि HSVP के जलस्रोत स्थलों पर।
सात पेड़ों की अनुमति, दस की कटाई
नगर निगम ने वन विभाग से सात पेड़ों की असेसमेंट करवाई, और महापौर कुलभूषण गोयल की अध्यक्षता में गठित ट्री कमेटी से कटाई की अनुमति प्राप्त की। लेकिन मौके पर जाकर जांच करने पर सामने आया कि कुल 10 पेड़ काटे गए, यानी अनुमति से अधिक पेड़ों की कटाई की गई।
इन पेड़ों की कोटेशन के माध्यम से कीमत मात्र 29,000 रुपये लगाई गई, जबकि HSVP बागवानी विभाग का कहना है कि यदि ये पेड़ नीलामी में बेचे जाते, तो इनसे लगभग 2 से 2.5 लाख रुपये का राजस्व मिल सकता था। इस तरह सरकारी खजाने को सीधा नुकसान हुआ है।
पेड़ कटाई के मामले पर विभागों की प्रतिक्रिया में भी फर्क
HSVP अधिशासी अभियंता ढिल्लो का कहना है कि नगर निगम को पेड़ काटने का पत्र उन्होंने जानकारी के अभाव में लिखा।
SDO प्रवीण सेठी ने कहा, “पेड़ नियम से असेसमेंट के बाद काटे गए, इसमें क्या गुनाह हो गया?”
HSVP के सुप्रिटेंडिंग इंजीनियर पवन कुमार ने इससे अनभिज्ञता जताई और कहा कि उनकी ओर से ऐसा कोई पत्र जारी नहीं किया गया।
नगर निगम SDO अजय गौतम ने दावा किया कि केवल सात पेड़ों की अनुमति ली गई थी, और उन्हें अधिक कटने की जानकारी नहीं है।
नगर निगम आयुक्त अपराजिता ने कहा कि पेड़ नियमानुसार, वन विभाग की असेसमेंट और कमेटी की मंजूरी के बाद ही काटे गए हैं।
क्या कहती है प्रक्रिया?
HSVP की भूमि पर पेड़ काटने की प्रक्रिया स्पष्ट है — केवल HSVP की बागवानी शाखा ही कमेटी गठन के बाद पेड़ों का मूल्यांकन कर नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर सकती है। इस मामले में न केवल इस प्रक्रिया को नजरअंदाज किया गया, बल्कि कमेटी की अनुमति से अधिक पेड़ काटे गए, जिससे प्रशासनिक लापरवाही और संभावित भ्रष्टाचार की बू आती है।
क्या होगी कार्रवाई?
फिलहाल यह मामला HSVP और नगर निगम के बीच अधिकार क्षेत्र और नियमन के उल्लंघन को लेकर टकराव की स्थिति में है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है, और क्या पेड़ कटाई में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कोई जवाबदेही तय होती है या नहीं।
यह घटना ना सिर्फ सरकारी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है, बल्कि पर्यावरणीय चेतना और पारदर्शिता की जरूरत को भी उजागर करती है।
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