महाकुंभ में 50% फर्जी साधु : स्वामी आनंद स्वरूप का दावा
प्रयागराज के महाकुंभ में इस बार जहां भव्यता और दिव्यता की चर्चा हो रही है, वहीं कुछ विवाद भी सुर्खियों में बने हुए हैं। महाकुंभ में संतों और साधुओं की उपस्थिति को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। इस बीच, सांभवी पीठ के पीठाधीश्वर और काली सेना के प्रमुख स्वामी आनंद स्वरूप ने महाकुंभ में 50% फर्जी साधुओं की उपस्थिति का दावा किया है। उन्होंने कहा कि कई लोग भगवा चोला पहनकर भिखारी बनकर घूम रहे हैं और इनमें से अधिकांश को संतत्व का कोई ज्ञान नहीं है। इन फर्जी साधुओं के कारण असली साधु-संतों को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है।
स्वामी आनंद स्वरूप ने यह भी कहा कि अगर यह स्थिति रही तो अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद को इस पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए और इन लोगों को महाकुंभ से बाहर निकालना चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि महाकुंभ में आस्था और अध्यात्म की स्थिति को बनाए रखने के लिए केवल वास्तविक साधु-संतों की उपस्थिति जरूरी है, न कि सोशल मीडिया या रील बनाने वालों की।
स्वामी ने सोशल मीडिया पर रील बनाने वालों के बारे में कहा कि वे महाकुंभ में आकर आस्था और अध्यात्म का मजाक उड़ा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि महाकुंभ का उद्देश्य केवल यूट्यूब और सोशल मीडिया पर ट्रेंड बनाने का नहीं, बल्कि वास्तविक संतत्व और आस्था का सम्मान करना है ।
हर्षा रिछारिया पर भी किया बयान
वहीं, ‘सबसे सुंदर साध्वी’ के रूप में वायरल हुई हर्षा रिछारिया पर स्वामी आनंद स्वरूप ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति भगवा धारण करके सीधे साधु नहीं बन सकता, इसके लिए त्याग और एक पवित्र प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। उन्होंने हर्षा रिछारिया को समझाते हुए कहा कि महाकुंभ में रथ पर बैठने और संत समुदाय का हिस्सा बनने का कदम गलत था। उन्होंने कहा कि एक मॉडल को संतों के साथ अमृत स्नान में भाग नहीं लेना चाहिए था, क्योंकि यह संत समाज के लिए अपमानजनक था।
हर्षा रिछारिया की प्रतिक्रिया
हर्षा रिछारिया ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह अभी साध्वी नहीं बनी हैं और केवल गुरु दीक्षा ली है। सोशल मीडिया पर उनके ‘साध्वी’ बनने की चर्चा के बाद वह भावुक हो गईं और बताया कि उन्होंने महाकुंभ में आकर सनातन धर्म को समझने और अपनी आस्था को मजबूत करने की कोशिश की थी, लेकिन लोगों के विरोध के कारण उन्हें महाकुंभ छोड़ने का निर्णय लेना पड़ा।
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